अर्जुन सिंह चंदेल
मुन्नार की हसीन सुबह के नजारों का आनंद लिया। ऐसा लग रहा था इंद्र देवता ने बादलों की पूरी फौज के साथ चप्पे-चप्पे पर डेरा डाल रखा हो। मुन्नार की सडक़ों पर बादलों का ऐसा डेरा था जैसे हमारे उज्जैन में सडक़ों पर आवारा मवेशियों का। 9 बजे हमें नाश्ते के लिये भोजनालय में पहुँचना था। 8 बजे होटल वालों का जागने के लिये फोन आता ही है।
तैयार होकर हम दल के सभी सदस्य पहुँच गये नाश्ता करने। नाश्ता क्या वह तो पूरे भोजन की तैयारी थी। तरबूज का जूस, टमाटर का सूप, इडली, डोसा (सादा), आलू की सब्जी, पूड़ी, पराठा, ब्रेड, बटर, शहद, चाय, दूध, कॉफी, कार्न और भी आयटम हम तो भूल ही गये इतने दिनों में। भो
जनालय के मुख्य उस्ताद (सेफ) ने आकर बड़ी विनम्रता से हम लोगों से पूछा और आप लोग क्या चाहेंगे, अपने राम तो चटोरे ठहरे, मौके की नजाकत का फायदा उठाते हुए झट से तीन आमलेट का आर्डर दे डाला और शाम के भोजन के लिये केरल की मछली की फरमाइश नोट करा दी।
होटल के रेस्टोरेन्ट दल की एक महिला कर्मचारी का सौम्य व्यवहार हमारे पूरे दल को आकर्षित कर रहा था। अपना तो पत्रकारिता धर्म जागृत हो उठा उस सौम्य महिला का साक्षात्कार ले ही लिया। नेपाल निवासी महिला दार्जिलिंग में रहती है पर रोजी रोटी के लिये वह सुदूर केरल में नौकरी कर रही थी विगत 3-4 वर्षों से उसके आवास की व्यवस्था अन्य महिला कर्मचारियों के साथ होटल परिसर में ही थी।
चूँकि ‘केसरी’ का दल मुन्नार में हमेशा होटल हिल व्यू में ही रूकता होगा इस वजह से दल के सभी सदस्यों के प्रति उसके मन में आत्मीयता का भाव था। जूस निपटाने के बाद ब्रेड पर मक्खन का शानदार आवरण लपेटकर आमलेट का आनंद लिया गया। हमें तो केरल का डोसा जमा ही नहीं, अपने यहाँ बिल्कुल पतला और कुरकुरा पसंद किया जाता है वहाँ पर मोटा डोसा बनाया जाता है। एकाध पूड़ी खाकर, चाय पीकर आत्मा तृप्त की।
मुन्नार का अर्थ-तीन नदियों का नगर
अब हम सबको निकलना था केरल के सबसे सुंदर पर्यटन स्थल मुन्नार घूमने। ‘मुन्नार’ यह मलयालम शब्द है जो ‘मनु और आरू से मिलकर बना है। ‘मनु’ का अर्थ होता है 3 (तीन) और ‘आरू’ का नदी अर्थात तीन नदियों का नगर। दक्षिण भारत में कभी अँग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहने वाला मुन्नार तीन नदियों 1 मुथिरापुझा, 2 नल्लथन्नी, 3 कुंडला के संगम पर स्थित है। समुद्र तल से लगभग 8841 फीट ऊँचाई पर है।
50 से चाय बगान
इसे ‘चाय नगर’ भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में चाय उत्पादन का यह सबसे बड़ा क्षेत्र है। सन् 1880 से यूरोप के लोगों द्वारा प्रारंभ किये गये चाय बगानों की आज 50 से ज्यादा एस्टेट मौजूद है। इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5 करोड़ किलो चायपत्ती का उत्पादन होता है केरल के इडुक्की जिले में स्थित मुन्नार बेहद खूबसूरत, शांति और सुकून का स्वर्ग, अंतहीन चाय बगान, प्राचीन घाटियां और पहाड़, जंगली अभ्यारण, वनस्पति, जीवों की विदेशी प्रजातियों, मसालों की खुशबू, ठंडी हवा, लुढक़ती पहाडिय़ों, विशाल झरने और घुमावदार रास्तों के लिये प्रसिद्ध है।
557 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला मुन्नार भगवान के देश में एक रमणीय पर्यटन स्थल है ‘जहाँ आप जाना पसंद करेंगे आना नहीं’। खैर ज्यादा तारीफ हो गयी मुन्नार की अब टेम्पो टे्रवलर में बैठकर निकलते हैं मुन्नार की सैर पर जहाँ कुछ अद्भुत और अकल्पनीय चीजों का वर्णन में अगले एपिसोड में बताऊँगा।
शेष कल