रात 12 बजे से सौभाग्येश्वर महादेव पर पूजन शुरू, रात भर जागकर चलेगा भजन-कीर्तन का सिलसिला
उज्जैन, अग्निपथ। आज शुक्रवार से तीज-त्यौहार का लंबा दौर शुरू होने वाला है। शुक्रवार को हरतालिका तीज और शनिवार को श्रीगणेश विराजेंगे और गणेश उत्सव प्रारंभ होगा। इसके साथ ही डोल ग्यारस, अनंत चतुर्दशी, पितृपक्ष, नवरात्रि, दशहरा-दिवाली सहित अन्य त्यौहारी महोत्सव की भी शुरुआत हो जायेगी। त्यौहारों का यह सिलसिला देवप्रबोधिनी एकादशी तक चलेगा।
आज शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र एवं शुक्ल योग की उपस्थिति में हरितालिका तीज का व्रत मनाया जाएगा। शुक्रवार का दिन हस्त नक्षत्र विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस योग में हरितालिका की पूजा पति को दीर्घायु और पुत्र – पौत्र की वृद्धि को देने वाली मानी जाती है। शहर के मध्य स्थित 84 महादेव में एक श्री सौभाग्येश्वर मंदिर में पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ आधी रात से जुटना शुरू हो गई है।
हरितालिका तीज के व्रत में शिव पार्वती के संयुक्त क्रम की पूजन पौराणिक कथाओं में प्राप्त होती है। कथा के श्रवण से पति की दीर्घायु एवं परिवार में सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। जिन कन्याओं का विवाह नहीं हुआ है, उन्हें भी यह व्रत उत्तम वर की प्राप्ति के लिए करना चाहिए।
स्कंद पुराण के अवंती खंड की मान्यता के अनुसार, उज्जैन में 84 महादेव में एक सौभाग्यायेश्वर महादेव का स्थान पति, पुत्र, पौत्र वंश की वृद्धि, पारिवारिक सुख, समृद्धि-शांति, उत्तम स्वास्थ्य दीर्घायु के लिए हरितालिका तीज के पूजन की परंपरा है। यहां पर विशिष्ट पूजन सामग्रियों के द्वारा महिलाएं व्रत रखकर पारायण करती हैं, नियमन करती है, भगवान का पंचामृत पूजन अभिषेक कर कथा का श्रवण करती है। शहर के अन्य शिव मंदिरों में भी महिलाएं पूजन के लिए पहुंचती है। घरों में भी पूजन किया जाता है। महिलाएं रात भर जागकर तीज माता का पूजन करेंगी और सुबह विसर्जन के साथ व्रत का समापन होगा।
गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म-रवि योग व चित्रा नक्षत्र का संयोग
गणेश चतुर्थी का पर्व शनिवार 7 सितंबर को मनाया जाएगा। भगवान श्रीगणेश को समर्पित यह पर्व गणपति बप्पा के जन्म उत्सव के रूप में जाना जाता है। सनातन धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूज्य माने जाते हैं। 33 कोटी देवताओं में प्रथम पूज्य और सभी गणों के स्वामी हैं। गणेशजी की पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं।
भाद्रपद माह और सर्वाधिक शुभ होता है। धार्मिक मान्यताओं पौराणिक कथा के अनुसार इस मास में जन्म हुआ था। इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर से शुरू हो रहा है, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर के दिन किया जाएगा। दस दिन तक उनकी मान मनुहार का क्रम जारी रहेगी। उनकी पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं। चिंता, कष्ट दूर होते हैं। हम जो चाहते है वो प्राप्त होता है। मनोकामनापूर्ण होती है, विशेष फल की प्राप्ति के लिए, किसी भी नए काम की शुरुआत यदि गणेश जी के नाम से की जाए, तो वह हमेशा सफल होता है। वैसे तो रोजाना ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन सप्ताह में बुधवार का दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार इस दिन ब्रह्म, रवि योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि की महत्ता को अधिक बढ़ रहा है। भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 7 सितंबर शनिवार को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर होगा।
मूर्ति स्थापना के लिए मुहुर्त
7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ विशिष्ट मुहूर्त 12 बजकर 10 मिनट से शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 30 मिनट पर होगा। इसके अलावा सुबह 7.45 से 9.18 तक दोपहर 12.25 से शाम 5.04 तक शाम 6.37 से रात 8.04 तक अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11.59 से 12.49 तक स्थिर लग्न मुहूर्त वृश्चिक लग्न दोप. 11.24 से 01.42 तक कुंभ लग्न शाम 05.29 से 06.57 तक रहेगा।
गणेश जी की सूंड के दोनो भाग घर के लिए शुभ है
पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में गणेश जी की दाईं और बाईं सूंड दोनों का महत्व है। दाईं ओर मुड़ी सूंड समृद्धि और सिध्दि की प्रचुरता से जुड़ी है, जबकि बाईं ओर मुड़ी सूंड बुद्धि और रचनात्मकता से जुड़ी है सुखदायक उर्जा प्रवाह शुभदायक माना जाता है। चुनाव व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और वांछित आशीर्वाद पर निर्भर करता है। गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है।