कुलगुरु डॉ. अखिलेश पांडे ने चार वर्षीय कार्यकाल पूर्ण होने पर प्रेस से चर्चा की
उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने अपना चार वर्षीय कार्यकाल पूर्ण होने पर कहा कि चार वर्ष के दौरान कोरोना काल के कारण मुझे कुल ढाई वर्ष का समय कार्य के लिए मिला। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद विश्वविद्यालय को सौ करोड़ रूपए मिलना सबसे बड़ी उपलब्धि रही। प्रयास किया है कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय ओर आगे जाएगा। हालांकि कार्यकाल पूर्ण होने के बाद भी प्रो. पांडे राजभवन से नियमित कुलगुरू की नियुक्ति होने तक विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू के पद पर बने रहेंगे।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडे का चार वर्षीय कार्यकाल 13 सितंबर को पूर्ण हो चुका है। शुक्रवार को उन्होने अपने चार वर्षीय कार्यकाल की कुछ बातें प्रेस के साथ साझा की। प्रो. पांडे ने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी का साथ और सहयोग मिला, जिसके माध्यम से मैं जो कुछ अच्छा हो सकता था किया। उन्होने कुछ विफलताओं को स्वीकार करते हुए इसकी जिम्मेदारी भी स्वयं ले ली।
उन्होने कहा कि कुछ कार्य ऐसे भी स्थापित किए है कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय नई उंचाईयों पर पहुंचेगा। डॉ. मोहन यादव के उच्च शिक्षा मंत्री रहते विश्वविद्यालय के कई कार्य पूर्ण हुए है। वहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद विश्वविद्यालय को सौ करोड़ रूपए मिलना सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। इस राशि से आने वाले समय में विश्वविद्यालय का कार्य क्षेत्र बढ़ेगा वहीं स्थाई प्रकृति के कार्य हो सकेगें। जिससे नेक मूल्यांकन में सहयोग मिलेगा।
इन कार्यों पर मिली सफलता
- नवीन संकाय की स्थापना: प्रदेश सरकार द्वारा कृषि के उन्नयनन के क्षेत्र में लगातार किए जा रहे प्रयास से कृषि अध्ययनय एवं शोध की मांग दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए महामहिम राज्यपाल व तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री एवं वर्त्तमान मुख्य मंत्री के मार्गदर्शन मे समन्वय समिति मे विक्रम विश्वविद्यालय ने परिनियम एवं अध्यादेश में आवश्यक संशोधन कर कृषि संकाय की स्थापना सर्वप्रथम की गई।
- नवीन अध्ययनशालाओ की स्थापना: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विद्यार्थियों को एक ही प्रांगण मे शिक्षण एवं प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध करने के उदेश्य से पूर्व से संचालित 29 अध्ययनशालाओं के अलावा विधि, कृषि, फॉरेंसिक विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी, ललित कला, शिक्षा एवं शारीरिक शिक्षा आदि के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की 7 नई अध्ययनशालाओ की शुरुआत की गई।
- नवीन पाठ्यक्रमों की शुरुआत: विश्वविद्यालय परिक्षेत्र ही नहीं बल्कि देश एवं प्रदेश के विद्यार्थियों की आवश्यकताएं एवं रुझान को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने 51 पूर्व में संचालित पाठ्यक्रमों के साथ- साथ 240 नए स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट जैसे कई नवीन पाठ्यक्रम भी शुरू किए है।
- विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि: विगत वर्षों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसका प्रमुख कारण विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए नवाचारी प्रवेश प्रक्रिया जैसे विश्वविद्यालय चलो अभियान’, कुलपति विद्यार्थी संवाद’, करियर काउंसलिंग’, विद्यार्थी प्रतिभा सम्मान आदि है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में सक्रिय सहभागिता भी विद्यार्थियों की बड़ी संख्या का कारण है। तीन विदेशी देश सहित वर्तमान में विश्वविद्यालय में 25 प्रांतों के विद्यार्थी अध्यनरत है।
- पुरातत्व संग्रहालय का जीर्णोद्धार: विश्वविद्यालय के संग्रहालय में लगभग 450 से अधिक दुर्लभ जीवाश्म प्रतिमाएं संग्रहित है, जिसमें, एरावत हाथी परिवार के मस्तिष्क का जीवाशय एवं भगवान शिव की अनेक प्रकार की प्रतिमाएं प्रमुख हैं। स्मार्ट सिटी उज्जैन के सौजन्य से रुपए 14 करोड़ की अनुमानित लागत से संग्रहालय के जीर्णोद्धार की शुरुआत की गई जो शीघ्रता से पूर्णता की ओर अग्रसर भी है।
- खेल परिसर का निर्माण- मध्य प्रदेश क्रिकेट संगठन के सौजन्य से लगभग 7 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट मैदान विकसित किया जा रहा है।
- पीएम उषा योजना- राष्ट्रीय उच्चतर अभियान के अंतर्गत केंद्र शासन, राज्य, केंद्र शासित शिक्षण एवं शोध संस्थानों को उच्च शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता के उन्नयन हेतु वित्तीय अनुदान उपलब्ध कराता है तथा इसके अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय को 100 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है।