मेघनगर, अग्निपथ। शहर के मंडी मैदान पर आयोजित धर्म सभा में वनवासी संतों ने जिले में हो रहे मंतातरण को अंचल की सबसे बड़ी समस्या बताया। जल-जंगल और जमीन के नाम पर समाज जनों को भ्रमित करने और राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए काम करने वाले संगठनों से सावधान रहने की बात कहीं।
मेघनगर में धर्म जागरण समन्वय और रुद्राक्ष महाभिषेक समिति के बैनर तले आयोजित 6 दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिन धर्मसभा का आयोजन किया गया। महामंडलेश्वर सुरेशानंद जी महाराज, संत कानुराम जी महाराज, महंत दयाराम दास जी महाराज, महंत श्री ब्रदीदास जी महाराज, संत श्री बालमगिरी जी महाराज, संत कमल दास जी महाराज, गौ सेवक महंत श्री रघुवीर जी महाराज, संत श्री वरसिह जी महाराज, संत श्री कानुराम जी महाराज, कृष्णकांत जी अखिल भारतीय सह प्रमुख धर्म जागरण, बृजेन्द्र चुन्नु शर्मा अध्यक्ष आयोजन समिति के मुख्य अतिथि में धर्मसभा का आयोजन किया गया।
सभी संतों एवं अतिथियों ने रुद्राक्ष से निर्मित विशाल का शिवलिंग एवं भारत माता के चित्र पर मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आयोजन में जिले के ग्राम-ग्राम से साधु-संत, पुजारियों सहित हजारों की संख्या में वनवासी बन्धुओं भगिनियों ने सहभागिता की। अतिथि परिचय के पश्चात समिति सदस्यों ने शाल श्रीफल से मंचासिन साधु संतों का अभिवादन किया। आयोजन समिति के सचिव राजेश भंडारी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि क्षेत्र के 160 गांवों तक शबरी के वंशज है भील
धर्म सभा में कोकावद धाम के कमल दास जी महाराज ने झाबुआ जिले को धर्मांतरण मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मतातंरण जिले में जहर की तरह फैलता जा रहा है। आदिवासी समाज में हमारे भाई लोभ-लालच और पांखड, टोने-टोटकों में पड़ कर अपने पुरखों का धर्म छोड़ कर दुसरे धर्म में जा रहे हैं। धर्म बदलवाने के लिए कोई विदेष नहीं बल्कि हमारे ही लोग आ रहे हैं, इनसे बचकर रहने की जरूरत है। भील अंनन काल काल से सनातन हिन्दू था, है और रहेगा।
भगवान राम भी राजा बनने से पहले वनवासी बने थे, इसलिए उन्हें वनवासी होने पर गर्व है। माता शबरी के झुठे बेर भगवान राम ने खाए हम उनके वंशज है। वर्तमान दौर में कुछ लोग राजनीति के लिए समाज को तोड़ रहे हैं, उनसे सावधान रहने करने की अपील की। कमलदासजी महाराज ने कहा कि पटलिया समाज में कोई मंतातरित या दूसरे धर्म में आ जाता है या चला जाता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है ऐसा ही भील समाज में किया जाना चाहिए।
प्राचीन देश का नागरिक हिन्दू
धर्म जागरण के अखिल भारतीय सह प्रमुख अरूण कांतजी ने अपने बुद्धि में कहा कि जब घर से धर्म निकलता है तो अधर्म उसकी जगह ले लेता हैं। हिन्दुओं के घरों से धार्मिक ग्रंथ, पुराणिक संस्कार, धार्मिक विचार की परंपरा चली गई है। पश्चिमी शिक्षा के कारण युवा और बच्चे भारतीय संस्कृति और धर्म से विमुख होने लगे हैं। धर्म को बचाना है तो धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना होगा। उन्होंने कहा कि सबसे प्राचीन देश का नागरिक हिन्दू है। तक्षशिला और नालंदा जैसे ज्ञान के भंडार थे, जिसे आक्रांताओं ने नष्ट करने का काम किया।
भारत ने पूरे विश्व को ज्ञान देने का काम किया। हमारा धर्म विश्व को कुटुंभ मानने के सिद्धांत पर चलता है। शिवाजी महाराज, गुरू गोविन्द सिंह, शंभाजी, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप जैसै बलिदानों ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था, किंतु आज विधर्मी ताकते हमारे ज्ञान और धर्म पर हमला कर रही है। देश में हिन्दू रहेगा तो हिंदुस्तान रहेगा। उन्होंने कहा कि धर्म पर संकट आया तो भारत पर भी संकट आऐगा। इसलिए हिन्दुओं को संगठित रहना होगा।
वनवासी कुंभ जैसा माहौल
आयोजन के प्रेरणास्त्रोत महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 सुरेशानंद जी महाराज ने कहा कि यहां के लोगों का धर्म के प्रति उत्साह देख कर लगाता है कि मेघगनर में वनवासी कुंभ का आयोजन हो रहा है। यहां के लोग भोले है, भोले लोगों के मन में भगवान बसते हैं। विधर्मी वनवासियों के भोलेपन का लाभ उठाकर इन्हें प्रलोभन देकर धर्म बदलने का कुकृत्य कर रहे हैं। महामंडलेश्वर ने कहा कि सनातन आदि से और अंत तक ंरहेगा। कानुरामजी महाराज ने की ज्ञान की कमी के कारण आदिवासी अपना धर्म बदलने का काम कर रहे हैं, धर्म बेच कर जीवन जीने का क्या मतलब? उन्होंने कहा कि मंतातरण को रोकने के लिए घर से शुरूआत करनी होगी। हमारे लोगों को प्रेम से समझा कर अपने मूल से जोडऩे का काम करना होगा।
वनवासी भारत की नींव
रघुवीर जी महाराज ने कहा कि 700 सालों के मुगल शासन और 200 सालों के अंग्रेजों की हुकूमत भी सनातन को समाप्त नहीं कर पाई थी। सनातन तब से है जब से सूरज, चंद्रमा और आकाश है और तब तक रहेगा जब तक ये धरती रहेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में धर्म की हानि जरूर हो रही है किंतु ये समाप्त नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि वनवासी भारत की नींव है और भारत को तोडऩे वाले हमारी नींव को खोखला करने का काम कर रहे हैं, इन्हें रोकना होगा इसके लिए पूरे समाज को जागृत होना होगा।
मंहत दयारामदासजी महाराज ने सनातन के प्रति आस्था जागृत करने लिए धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन पर जोर दिया। जनजाति बच्चों का पिपलखुंटा आश्रम मेंं संस्कृत के अध्ययन के लिए आंमत्रित किया ताकि वे भी पूजा-पाठ धर्म के क्षेत्र में जागृति ला सके। महंत श्री ने अपनी मातृभाषा, अपनी संस्कृति का सम्मान करने का आह्वान किया।
अभिमंत्रित रूद्राक्ष का घर-घर होगा वितरण
प्रचार प्रमुख राजेन्द्र सिंह सोनगरा ने बताया कि ढ़ाई लाख रूद्राक्ष को 4 दिनों तक वैदिक मंत्रों के साथ अभिमंत्रित किया गया। महा मंडलेश्वर सुरेशानंद जी महाराज एवं यज्ञाचार्य आयुष जोशी के मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रों के साथ रुद्राक्ष को अभिमंत्रित किया गया। ग्रामीण इलाकों में ग्राम टोली के माध्यम से रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम चलाया जाएगा। 6 दिवसीय आयोजन में 160 गांव सहित एक नगर के कुल 1062 दंपतियों ने रुद्राक्ष में महा अभिषेक में भाग लिया। स्वास्थ्य शिविर एवं नाड़ी परीक्षण में 622 लोगों ने स्वास्थ्य लाभ लिया।
संतों का सम्मान किया
आयोजन में समिति अध्यक्ष बृजेन्द्र चुन्नु शर्मा, सचिव राजेश भंडारी, मार्गदर्शन विनोद बाफना ने मंचासीन साधु संतों, स्वास्थ्य शिविर में सेवाएं देने वाले वैद्यों का सम्मान किया। आयोजन में शामिल हुए 250 से अधिक संतों-पूजारीयों को भगवा अंग वस्त्र पहनाकर सम्मान किया। धर्म जागरण प्रांत प्रमुख अभिषेक गुप्ता, दिनेष गुप्ता विभाग संयोजक रतलाम के मार्गदर्षन में आयोजन संपंन हुआ। समिति सदस्य हिम्मत सिंह कछावा, दिनेष देवाणा, मोहन प्रजापत, प्रेम सिंह बसौड़, नीलेष भानपुरिया, विक्की हाड़ा, राधेष्याम नायक, प्रषांत टगरिया, संजय (बबलु) चंडालिया ने संतों का सम्मान किया। संचालन सुवाल बारिया , जिला संयोजक धर्म जागरण झाबुआ ने किया । सफल आयोजन पर समिति के अध्यक्ष बृजेन्द्र चुन्नु शर्मा ने आयोजन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सहयोगियों, पुलिस एवं प्रशासन, आयुष विभाग एवं मीडिया के प्रति आभार व्यक्त किया।