उज्जैन, अग्निपथ। पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व पर 10 दिनों तक पूरे भारत वर्ष में जैन समाज द्वारा दश धर्मो की आराधना की गई। उत्तम क्षमा मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन, ब्रह्मचर्य को जीवन में उतारने का प्रयास किया। जिससे आत्मा में निर्मलता आती हैं, क्रोध, मान, माया लोभ आदि कषायो में मंदता आती हैं गुस्सा, मायाचारी, छल कपट, बेइमानी, धोखा आदि विभाव रूप भावो में मंदता आती हैं और स्वभाव की और जानें का प्रयास करते हैं जिससे हमारे चित्त में सरलता सहजता, सदाचार, शालीनता, मृदुता और पवित्रता प्रगट होती हैं।
पर्युषण के 10 दिनों को अंगीकार करने के बाद अश्विन कृष्ण एकम के दिन सभी समाज जन अपने रिश्तेदारों से, परिवार वालो से, जान पहचान वालो से वर्ष भर में हुई जानें अनजाने गलतियों की क्षमा याचना हाथ जोडक़र, पैर पड़ कर, गले लगकर, अपने मन, वचन और काया से करते हैं, वाणी की उस पवित्रता को क्षमा वाणी कहा जाता है।
उक्त उद्गार श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर फ्रीगंज में आर्यिका श्री 105 दुर्लभ मती माताजी ने उज्जैन जैन समाज की आयोजित सामूहिक क्षमा वाणी सामारोह में व्यक्त किए। श्री विद्या कुंभ चतुर्मास समिति के संयोजक प्रसन्न बिलाला और पुष्पा बज ने बताया कि सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज उज्जैन द्वारा आयोजित इस समारोह में बड़ी संख्या में समाज जन सम्मिलित हुए।
जिसमें हर क्षेत्र के जिनालयों के ट्रस्टी ,प्रतिनिधियों धर्मेंद्र सेठी, जिनेन्द्र जैन, प्रमोद जैन, नवीन जैन, दिनेश जैन, सुनील जैन, हीरालाल बिलाला, गौरव लुहाडिय़ा, सुशील लुहाडिय़ा, योगेंद्र बडज़ात्या, राजेश कासलीवाल, योगेन्द्र बैनाडा ने क्षमा वाणी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सम्पूर्ण समाज जनों से सामूहिक क्षमा याचना की। समारोह का प्रारम्भ आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महाराज की पूजा से हुआ पश्चात् मंगलाचरण दीपक जैन ने किया एवं मंगलाचरण नृत्य समाज की नन्ही बालिकाओं ने प्रस्तुत किया।
पर्युषण पर्व के पूर्व सोलह कारण जी व्रत के 16 दिन के उपवास करने वाली तपस्वी लता इंद्रमल जैन ,10 दिनों तक अन्न, जल का त्याग करने वाले तपस्वी संदीप पतंग्या, पूजा सोगानी, पायल गोधा, अम्बर जैन, श्रुति जैन, रूबी जैन, वन्दना जैन, अर्षिता बडज़ात्या आदि का स्वागत मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष धर्मेन्द्र सेठी, राहुल जैन आदि ने प्रशस्ति पत्र एवं हथकरघा के वस्त्र, साड़ी, शाल, माला, श्री फल भेंट कर किया जिसका सम्पूर्ण जैन समाज ने बहुत अनुमोदना की। क्षमा वाणी पर समाज के युवा साथियों द्वारा बहुत ही शिक्षा प्रद नाटक की प्रस्तुति भी इस अवसर पर की गई जिसकी सभी ने बहुत सराहना की।
तत्पश्चात आर्यिका अनर्ध मती माताजी, दुर्लभ मती माता जी एवं कीर्ति श्री माताजी ने अपने उद्बोधन दिया। आभार मन्दिर सचिव राहुल जैन ने माना। समारोह के अंत में सम्पूर्ण जैन समाज का स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम के संयोजक कमल बडज़ात्या, हितेष सेठी, योगेश सिंघई, रूपेंद्र सेठी, ललित सरोवर थे और कार्यक्रम का संचालन प्रदीप झांझरी ने किया।