उज्जैन, अग्निपथ। खगोलीय गणना के मुताबिक आज यानी 23 सितंबर को दिन और रात समान अवधि 12-12 घंटे के रहेंगे। इसके बाद दिन छोटे होना शुरू हो जायेंगे जो कि 21 दिसंबर तक होंगे। 21 दिसंबर सबसे छोटा दिन होगा। इसके बाद दिन बड़े और रातें छोटी होना शुरू होगी।
शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया कि पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के कारण सूर्य हमें कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच गति करता हुआ दिखाई देता है। वर्ष में दो बार विषुवत लम्बवत् रहता है। 23 सितम्बर को सूर्य विषुवत रेखा पर लम्बवत् होगा। इसे शरद सम्पात कहते है। सूर्य का विषुवत् रेखा पर लम्बवत् होने के कारण दिन और अवधि बराबर 12-12 घण्टे की होती है।
डॉ. गुप्त ने बताया कि 23 सितम्बर को सूर्य दक्षिणी गोलाद्र्ध एवं सायन तुला राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य की क्रन्ति जीरो अंश 16 कला 56 विकला दक्षिण होगी तथा सूर्य की स्थिति सायन तुला राशि में जीरो अंश 28 विकला पर होगी। सूर्य के दक्षिणी गोलाद्र्ध में प्रवेश के कारण अब दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगेंगे तथा रात बड़ी होने लगेगी। यह क्रम 21 दिसंबर तक जारी रहेगा। 21 दिसम्बर को भारत सहित उत्तरी गोलाद्र्ध में दिन सबसे छोटा तथा रात सबसे बड़ी होगी। 24 सितम्बर से सूर्य के दक्षिणी गोलाद्र्ध में प्रवेश के कारण सूर्य की किरणों की तीव्रता धीरे-धीरे उत्तरी गोलाद्र्ध में कम होने लगेगी। जिससे शरद ऋतु का प्रारम्भ होता है।
जीवाजी वेधशाला में देख सकते हैं आमजन
शासकीय जीवाजी वेधशाला में 23 सितम्बर सोमवार की घटना को शंकु यन्त्र तथा नाड़ीवलय यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। इसी दिन शंकु की छाया पूरे दिन सीधी रेखा (विषुवत रेखा) पर गमन करती हुई दिखाई देगी। 23 सितम्बर के पूर्व नाड़ीवलय यन्त्र के उत्तरी गोल भाग (22 मार्च से 22 सितम्बर तक) पर धूप थी।
23 सितम्बर को उत्तरी तथा दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नही होगी तथा 24 सितम्बर से अगले छह माह (20 मार्च तक) नाड़ीवलय यन्त्र के दक्षिणी गोल पर धूप रहेगी। इस प्रकार सूर्य के गोलाद्र्ध परिवर्तन को हम नाड़ीवलय यंत्र के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से देख सकते है। वेधशाला में इस खगोलीय घटना को हम धूप रहने पर हम पूरे दिन देख सकेंगेे।