रुनीजा (बडऩगर), अग्निपथ। जाते-जाते मानसून ने अन्नदाताओं को इस बार फिर आफत में डाल दिया। विगत कुछ दिनों में भादो में इतना पानी बरसा दिया की फसलों को नुकसान होने लगा। खेतो में पानी भरा होने से सोयाबीन की फलियां पौधे पर ही सडऩे एवं अंकुरित होने लग गई। पानी व कीचड़ भरे खेतों में किसान मजबूरी में सोयाबीन की कटाई कर रहा है।
ऐसे खेतों में सोयाबीन का उत्पादन 1-2 क्विंटल बीघा ही हो रहा है। कुछ किसानों ने बताया कि पहले एक बीघा में पांच मजदूर लग रहे थे। वहीं खेतो में पानी भरे रहने से वही काम 7- 8 मजदूरों से हो रहा है। न ही सोयाबीन का सही दाम मिल रहा हैं। सरकार सोयाबीन का भाव 6 हजार नहीं कर रही हैं। ना ही पटवारी, कृषि अधिकारी व जनप्रतिनिधि खेत में जाकर फसल देख रहे है, ना ही किसांनो कि समस्या सुन रहे है। यदि सोयाबीन के दाम अभी अक्टूबर नवंबर में 6 हजार मिले तो किसानों को अगली फसल के बीज मटर, प्याज कण, गेहूं खरीदने में सुविधा हो जावेगी। सरकार सिर्फ भाषणों व कागज में ही खेती को लाभ का धंधा बता रही।