अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने और विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने का लिया संकल्प
उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय में नए कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने सोमवार को अभिजीत मुहूर्त में पदभार ग्रहण किया। इसके पहले उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद परिसर में पौधा रोपण किया। फिर कुलगुरु कार्यालय पहुंचकर निवृमान कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडे से चार्ज लिया।
पदभार ग्रहण के दौरान बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी, अधिकारी मौजूद थे। इसके बाद निवत्र्तमान कुलगुरु प्रो. अखिलेश कुमार पांडे से चार्ज लेते हुए प्रो. भारद्वाज ने विक्रम विश्वविद्यालय के 32वें कुलगुरू के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय छवि देने पर जोर
पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए प्रो. भारद्वाज ने कहा कि उनका उद्देश्य विक्रम विश्वविद्यालय को एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय को एक ऐसे मुकाम पर ले जाएंगे जहां पूरी दुनिया उज्जैन और विक्रम विश्वविद्यालय को जाने। इसके साथ ही, उन्होंने काल गणना के केंद्र के रूप में विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए चल रहे प्रयासों में तेजी लाने का संकल्प व्यक्त किया।
आज का युग प्रतिस्पर्धा का, स्टूडेंट्स का करेंगे तैयार
प्रो. भारद्वाज ने कहा कि आज प्रतिस्पर्धा का युग है, और विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना होगा। नैक के नए मूल्यांकन पद्धति के तहत विश्वविद्यालय को इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस के स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए वे कभी रुकेंगे नहीं और लगातार प्रगति की दिशा में प्रयास करेंगे।