गुड्डू कलीम हत्याकांड की कहानी – 5 : राजनीति के भंवर में फंसे गुड्डू कलीम की होटल उत्सव पर चला बुलडोजर

‘गुड्डू कलीम’ हत्याकांड

उज्जैन, (अर्जुन सिंह चंदेल) अग्निपथ। 2005 में हुए नगर निगम चुनावों में मेरी भाभी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में थी तब गुड्डू कलीम ने मित्रता निभाते हुए पूरे वजीर पार्क के वोट भाभी के पक्ष में डलवाये, जिसके कारण वह विजयी हुयी यह गुड्डू कलीम का चंदेल परिवार पर एहसान था। वर्ष 2010 में चूँकि मैं भारतीय जनता पार्टी का समर्थक था और भाजपा प्रत्याशी के रूप में डॉ. जुगल किशोर राठौड़ थे इस कारण मैंने गुड्डू कलीम को धर्म संकट में नहीं डाला और ना ही उसकी सहायता की गुहार की। उन चुनावों में भाजपा प्रत्याशी डॉ. राठौड़ विजयी रहे।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव दक्षिण क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी थे। उस दौरान गुड्डू ने उनका साथ नहीं दिया। जब मतपेटियां खुली तो सारा सच सामने आ गया, जिस कारण वह कोपभाजन बना और उसकी उत्सव होटल जिस पर अवैध निर्माण था उसे तोड़ा गया और गुड्डू कलीम को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।

फिर 2018 के विधानसभा चुनाव में मोहन जी ही दक्षिण से विधानसभा प्रत्याशी थे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे। चूँकि विधानसभा चुनावों में थोकबंद 1000-1500 वोट भी बहुत बड़ी ताकत रखते हैं इस कारण मोहन जी को समझौता करना पड़ा। नागरिकों का कहना था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने स्वयं उस समय पदस्थ निगमायुक्त को फोन लगाकर गुड्डू कलीम की बनने वाली होटल प्रेसीडेंट का नक्शा स्वीकृत करने का आदेश दिया था। जिसे रातों-रात स्वीकृत किया गया था। वोटों के दम पर राजनीति को घुटनों के बल पर लाने में गुड्डू कलीम अब सिद्धहस्त हो चुका था।

2018 के विधानसभा चुनावों में वजीर पार्क के सारे वोट भारतीय जनता पार्टी को मिले और दक्षिण विधानसभा से मोहन जी दूसरी बार विधायक बने। गुड्डू ने भले ही चुनावों में होटल प्रेसीडेंट का नक्शा पास करवा लिया हो पर वह सरकार के निशाने पर आ चुका था। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रशासन ने शासकीय भूमि पर बने मन्नत गार्डन और उसके नजदीक मार्केट को जिस पर सौ से ज्यादा अवैध गुमटियां थी और गुड्डू कलीम प्रति गुमटी 5000 रुपये महीने की वसूली करता था उसे जमींदोज कर दिया। प्रशासन ने पूरी शासकीय भूमि को अपने कब्जे में भी ले लिया और अपनी योजनाओं को अमली जामा भी पहनाया।

इस घटना से गुड्डू की धाक को काफी नुकसान पहुँचा और उसके साथी भी उससे किनारा करने लगे। गुड्डू अब पूरी तरह से होटल प्रेसीडेंट को संभालने लगा था। गुड्डू के बड़े भाई सलीम की हत्या के बाद उसकी पत्नी जो हिंदु थी वह घर छोडक़र चली गयी थी। लोग बताते हैं उसने शाजापुर में पुलिसकर्मी से विवाह कर लिया था। सलीम भाई के एक पुत्र और एक पुत्री है।

पिता की मृत्यु और माँ के छोड़ जाने के बाद गुड्डू कलीम ने उन्हें अपने पास ही रखा और अपने बच्चों की तरह ही उनकी परवरिश की। गुड्डू कलीम ने सलीम भाई के बच्चों के विवाह आदि के दायित्व का अच्छे से निर्वहन किया। सलीम भाई का पुत्र साये की तरह गुड्डू कलीम के साथ ही रहने लगा और होटल प्रेसीडेंट के संचालन में भी उनका हाथ बंटाने लगा।

अपने छोटे भाई सलीम की हत्या का बदला लेने वाले बड़े भाई रशीद जिन्हें आजीवन कारावास की सजा हुयी थी और सजा दौरान ही उनकी मृत्यु हो गयी थी उनके भी दो पुत्र हैं। लोगों का कहना है कि रशीद भाई गुड्डू कलीम से नाराज हो गये थे। उनका ऐसा मानना था कि काटी गयी वजीर पार्क कॉलोनी में उनके बेटों का भी हिस्सा होना था। रशीद भाई के बेटों ने काफी आर्थिक संकट झेला हालाँकि गुड्डू कलीम ने रशीद भाई के एक बेटे को होटल प्रेसीडेन्ट पर कुछ महीनों तक काम पर रखा था।

बाद में रशीद भाई कोट मोहल्ला में जिस मकान में रहते थे वहीं पर उनके बेटों ने होटल डाल लिया, इसके पूर्व गुड्डू कलीम की कोट मोहल्ला स्थित होटल ब्लू स्टार के संचालन का कार्य भी किया। बाद में स्वयं की होटल बन जाने पर ब्लू स्टार छोड़ दिया। वर्तमान में उस होटल को ठेके पर दे दिया है। बाकी किरदारों की बात अगले अंक में।

शेष अगले अंक में…

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