गुड्डू कलीम हत्याकांड की कहानी – 6 : जानिये मुख्य किरदार ‘दानिश’ की जिंदगी के कुछ पहलुओं को

उज्जैन, (अर्जुन सिंह चंदेल) अग्निपथ। गुड्डू कलीम हत्याकांड के मुख्य किरदार उसके बेटे दानिश के बीच ऐसा क्या हुआ कि नौबत पिता की हत्या तक पहुंच गई। उत्सव होटल टूटने से गुड्डू का बहुत नुकसान हुआ परंतु वह इतनी संपत्ति अर्जित कर चुका था कि उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। उसने विवादित भूमियों में हाथ डाल कर बहुत धन कमाया। 2005 में पार्षद का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही गुड्डू की राजनैतिक पारी का भी अंत हो गया। परंतु वोटों की ताकत अब भी उसके पास थी।

वर्ष 2011 में गुड्डू ने अपने साथी सत्तार बडऩगर रोड और बबला गैरेज वाले के साथ मिलकर गेहूँ से लदे ट्रक के मालिक से विवाद कर लिया। चूँकि ट्रक का मालिक इंदौर का भाजपा से जुड़ा प्रभावशाली व्यक्ति था इस कारण मध्यप्रदेश शासन के तात्कालीन केबिनेट मंत्री पारस जी की मदद से गुड्डू पर गेहूँ ट्रक की लूट का मामला दर्ज कर लिया गया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

इस मामले में कई दिनों बाद जमानत मिली। गुड्डू का बड़ा बालक आसिफ तो ठीक लाईन पर चल रहा था और अपने पिता के कामकाज में हाथ बटाने लगा था पर छोटा बेटा दानिश पिता की ही तरह उद्दंड निकला। गलत शोहबत का असर उस मासूम बच्चे के दिलों दिमाग पर असर करने लगा। पिता गुड्डू कलीम पैसा कमाने में इतने मशगूल रहते थे कि बच्चों के लालन पालन पर ध्यान ही नहीं दे पाये।

माँ नीलोफर का दानिश पर नियंत्रण नहीं रहा वह उसकी पहुँच से बाहर हो गया। वर्ष 2013 में गुड्डू ने बड़े बेटे आसिफ की शादी उज्जैन के ही नासिर लाला की बेटी से कर दी। यह शादी बहुत धूमधाम से हुयी थी। बड़ा बेटा 22-23 वर्ष का रहा होगा और दानिश की उम्र उस वक्त 20-21 साल की रही होगी। गुड्डू के घर में बहू आने से घर खुशियों से भर गया। इधर दानिश भी जवान हो चला था उसकी पर्सनेलिटी शानदार थी। एक युवती से उसकी आँखे लड़ गयी, इश्क परवान चढऩे लगा, रिश्ते में ही होने के कारण मेल-मुलाकात में कोई अड़चन नहीं आयी।

दानिश ने अपनी माँ नीलोफर को प्रेम प्रसंग के बारे में बताया और उस लडक़ी से शादी करने की इच्छा जाहिर की। माँ आखिर माँ होती है। नीलोफर अपने दिल के टुकड़े बेटे दानिश की खुशियों के लिये उसकी प्रेमिका को बहू के रूप में स्वीकार करने के लिये तैयार हो गयी। नीलोफर ने अपने पति गुड्डू कलीम को बेटे दानिश और बहू को स्वीकार करने के लिये बहुत समझाया, मिन्नतें की हाथ-पैर जोड़े परंतु जिद्दी गुड्डू टस से मस नहीं हुआ वह बेटे दानिश के प्रेम के खिलाफ था।

दानिश के प्रेम प्रसंग को लेकर घर में रोज किचकिच होने लगी 2015 के दिसंबर में गुड्डू ने गुस्से में आकर छोटे बेटे दानिश को घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बेटे को घर से बाहर निकालने के पीछे पिता गुड्डू की सोच यह थी कि शायद उसके इस कदम से दानिश उस लडक़ी से नाता तोड़ ले पर शायद उसी दिन गुड्डू कलीम की हत्या का दिन तय हो गया था। दानिश ने प्रेमिका का साथ नहीं छोड़ा और पिता की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली।

दानिश के प्रेम विवाह के कारण पिता-पुत्र के संबंधों के बीच दरार और बढ़ गयी। दानिश जीवन यापन के लिये कड़ी मेहनत और संघर्ष कर रहा था। भाग्य की विडंबना देखिये जिस दानिश और उसकी पत्नी को ऐशो आराम की जिंदगी बितानी चाहिये थी वह अरबपति और रसूखदार बाप का बेटा दर-दर की ठोकरे खाने लगा। दानिश ने कभी नानी के घर आजाद नगर इंदौर तो कभी मौसियों के यहाँ रहकर अपने दिन गुजारे। परिवार वालों ने नाते रिश्तेदारों ने गुड्डू को बहुत समझाया कि वह दानिश को वापस घर बुला ले पर जिद्दी गुड्डू नहीं माना।

मेहनतकश दानिश ने दाल रोटी के लिये अंडे का ठेला लगाया वहीं पाड़ों की लड़ायी दौरान मन्नत गार्डन के बाहर ही पार्किंग से भी पैसे कमाकर पेट की आग बुझायी, हालांकि दानिश को उसकी माँ नीलोफर और बड़ा भाई आसिफ गुड्डू से छुपाकर आर्थिक मदद करते रहते थे।

पाठकों के लिये दानिश को जानना भी बेहद जरूरी है कि उसके द्वारा किये गये जघन्य अपराध के लिये वह कितना दोषी है? और इसको विवेक की कसौटी पर तोला भी जाना चाहिये। विवाह के दो वर्ष बाद दानिश के यहाँ पुत्री ने जन्म लिया। एक बार फिर गुड्डू कलीम की पत्नी नीलोफर ने अपने पति से बेटे-बहू और पोती को अपनाने के लिये मिन्नतें की पर वह नहीं माना। दानिश के मन में पिता कलीम के लिये नफरतें धीरे-धीरे ज्वालामुखी का रूप लेती जा रही थी।

वैमनस्यता की खाई बढ़ रही थी इसी बीच दानिश के जीवन में एक और हादसा हो गया शादी के ६-७ वर्षों बाद उसकी जीवन संगिनी ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। यह घटना लगभग सन् 2021-2022 के दरमियान रही होगी। दानिश ने तो मर्द होने के नाते जीवन से संघर्ष करके आर्थिक अभाव में रहना सीख लिया था परंतु अरबपति परिवार की वह बहू जिंदगी में धन का संकट बर्दाश्त नहीं कर पायी और उसने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। दानिश टूट गया। निश्चित तौर पर पिता के लिये नफरत की चिंगारी उस वक्त शोले में बदल गयी होगी। जब दुख की इस घड़ी में दानिश की पत्नी की शवयात्रा में भी गुड्डू कलीम नहीं गया। बस दानिश के मन में उसी वक्त शैतान बैठ गया होगा।

अगले अंक में…

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