कायथा, अग्निपथ। तराना रोड रेलवे स्टेशन जोकि तराना तहसील का एक प्रमुख मात्र स्टेशन है जिसमें 215 से अधिक गांव लगते हैं, जिसमें सैकड़ों यात्री, दूध, सब्जी बेचने वाले, स्कूल, कॉलेज जाने वाले यात्री सफर करते थे। जब से ट्रेन बंद हुई है कई लोग बेरोजगार हो गए हैं तराना रोड व आसपास के क्षेत्र से सवारी लाने वाली मैजिक व ऑटो वाले बेरोजगार हो गए हैं।
कहने को तो एक ट्रेन शुरू हुई है पर कोई मतलब कि नहीं क्योंकि टिकट नहीं मिलता। आमजन के लिए टिकट खिडक़ी बंद है। तराना रोड रेलवे स्टेशन से उज्जैन का किराया रुपए 10 से रुपए 45 कर दिया है, वो वह भी आम आदमी मजबूरी में देने को तैयार, पर टिकट खिडक़ी नहीं।
कोरोनावायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन लगा पूरे देश ने इसका समर्थन भी किया। कोरोना को देश में लगभग 11 महीने के आसपास हो गया। इस महामारी ने पूरे देश को जाम कर दिया सभी ने समर्थन किया, लेकिन अब हद हो गई वैक्सीन भी आ गई फिर भी जमीन स्तर पर देखने वाला कोई नहीं।
यह कहानी यहां की नहीं पूरे देश की है। ट्रेन को यूं ही नहीं जीवन रेखा के कहा जाता है पूरे देश में करोड़ों लोकल ट्रेनों में यात्रा करके अपने अपने कार्यस्थल पर पहुंचते हैं। जब से ट्रेन बंद है। मजबूरी में आमजन को अपने निजी वाहन से काम के लिए जा रहे हैं जोकि पहले रुपए 10 में आना-जाना कर लेते था उसे अब आने-जाने के लिए सौ रुपए भी कम पड़ रहे हैं।
जीएम से चर्चा हुई है
जीएम आलोक कंसल से लोकल ट्रेनें शुरू करने पर चर्चा हुई, उन्होंने शीघ्र इसके लिए आश्वासन दिया है। – अनिल फिरोजिया, क्षेत्रीय सांसद
शीघ्र ट्रेने शुरू की जाए
व्यक्ति को जीवनयापन करने में ट्रेन एक उसकी जीवन रेखा है, बंद ट्रेनों को शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए। पहले से जो ट्रेनों की व्यवस्था थी पुन: वहीं व्यवस्था शुरू होना चाहिए। – निर्भय सिंह राठौर, भारतीय जनता पार्टी ग्रामीण मंडल मीडिया प्रभारी तराना