उज्जैन, (अर्जुन सिंह चंदेल) अग्निपथ। गुड्डू कलीम हत्याकांड के मुख्य किरदारों के बारे में तो आप जान चुके हैं एक और किरदार बचा है जो मुख्य तो नहीं है, परंतु है महत्वपूर्ण। इस किरादार का नाम है ‘आरिफ’ जो गुड्डू कलीम के बड़े भाई सलीम भाई का बेटा है। आइये जानते हैं आरिफ की जिंदगी के बारे में। आरिफ भी अभागा ही रहा उसका जीवन भी सामान्य न होकर पहेली की तरह है। आरिफ की उम्र इस समय लगभग 37-38 वर्ष की होगी।
वह जब 7-8 वर्ष का रहा होगा तभी उसके पिता सलीम की हत्या हो गयी थी। पिता का साया सिर पर से हटने के बाद माँ भी उसे छोडक़र चली गयी। जब 13-14 वर्ष का रहा होगा तब उसके आश्रयदाता ताऊजी रशीद भाई की मौत हो गयी और अब 23-24 वर्ष बाद उसने अपने पालनहार चाचा की भी मौत देखी। परिवार में हुए हादसों और असामायिक मौतों का वह साक्षी रहा है। आरिफ के पिता सलीम खेती किसानी का ही काम करते थे और बडऩगर रोड स्थित खेत पर ही निवास करते थे।
आरिफ के भी शिक्षित होने का सवाल ही नहीं उठता उसे भी ताऊ जी रशीद भाई के बच्चों की तरह ही बड़ा होना था। कोट मोहल्ले में ही आरिफ पैरों पर चलना सीखा। मासूम आरिफ को मालूम भी नहीं होगा कि हत्या किसे कहते हैं तभी पिता की हत्या हुयी। सलीम भाई के जाने के बाद गुड्डू कलीम और रशीद भाई ने मिलकर आरिफ और उसकी बहन की परवरिश की। दोनों बच्चों की शादी भी जोरदार की।
गुड्डू का कारोबार बड़ा हो चला था। आरिफ बेगमबाग में निवास करने लगा था। अपने चाचा का विश्वास अर्जित कर चुका आरिफ साये की तरह उनके साथ रहता था। गुड्डू कलीम का भरोसा बेटों से ज्यादा भतीजे आरिफ पर हो चला था। वह अपने चाचा का हमराज बन चुका था। गुड्डू द्वारा किये गये जमीनों के अनेक सौदों की जानकारी आरिफ को थी।
साये की तरह साथ रहने वाला आरिफ अपने चाचा के लिये सीने पर गोली खाने के लिये भी मानसिक रूप से तैयार था। हष्ठ-पुष्ठ आरिफ होटल के प्रबंधन में भी हाथ बंटाता था। उसकी बहन भी अच्छे घर में गयी थी जो वर्तमान में कोट मोहल्ला क्षेत्र से पार्षद है। गुड्डू कलीम की आरिफ से अंतरंगता बेटों आसिफ, दानिश और पत्नी नीलोफर को नागवार लग रही थी।
बेटी के ससुराल में गुड्डू के समधी नासिर लाला की दखलंदाजी बढ़ती जा रही थी। बताते हैं हत्या के कुछ दिनों पहले ही गुड्डू का समधी नासिर लाला से विवाद भी हुआ था। विवाद के समय गुड्डू के भतीजे आरिफ ने पाइपों से नासिर लाला को मारा भी था और होटल से बेइज्जत करके भगा दिया था।
आरिफ को नहीं पता था कि उसके भाग्य में क्या लिखा है। वह जो कुछ भी है चाचा की बदौलत ही है और पूरी तरह उन पर ही निर्भर। उसकी सारी दुनिया चाचा से शुरू होकर चाचा पर ही खत्म हो रही थी। आरिफ ने कभी अलग दुनिया के बारे में सोचा ही नहीं उसे कल्पना भी नहीं थी कि चाचा कलीम गुड्डू का उससे अधिक स्नेह और लगाव, पूरे परिवार की बर्बादी का कारण बन जायेगा।
शेष अगले अंक में…
गुड्डू कलीम हत्याकांड की कहानी – 1 : शैतान स्वयं संतानों के रूप में आकर खड़ा हो गया