टेंडर शर्तों में ही बेसमेंट में निजी वाहन पार्किंग का नियम
उज्जैन, अग्निपथ। जिला अस्पताल के चरक अस्पताल में शिफ्ट हो जाने के बाद यहां पर अराजकता की स्थिति देखी जा रही है। अस्पताल के सामने निजी सहित डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ के वाहन पार्क हो रहे हैं। ऐसे में जगह की जरूरत महसूस की जा रही है। वहीं अस्पताल के साइड में वाहनों की पार्किंग स्टैंड संचालित हो रहा है। यहां पर अटेंडरों के वाहन बड़ी संख्या में पार्क किये जा रहे हैं। जबकि टेंडर शर्तों के मुताबिक यह पार्किंग बेसमेंट में संचालित होना चाहिये। इस बात की जानकारी सिविल सर्जन को भी नहीं होने से पूरा अस्पताल खचाखच भरा दिखाई दे रहा है।
बुधवार को सिविल सर्जन डॉ. अजय दिवाकर ने पार्किंग स्टैंड के कर्मचारियों के साथ बेसमेंट का दौरा किया। कर्मचारियों ने बताया कि बेसमेंट भी टेंडर शर्तों में पार्किंग स्टैंड के साथ शामिल है। वह जो चौपहिया वाहन यहां पर खड़ा करवाते हैं, वह निजी लोगों के होते हैं। सिविल सर्जन डॉ. दिवाकर ने उनकी बातों को सही मान लिया। क्योंकि उनको टेंडर शर्तों की जानकारी नहीं थी। लेकिन पार्किंग के टेंडर शर्तों की जानकारी रखने वालों ने बताया कि चरक अस्पताल के बेसमेंट में ही दोपहिया और चौपहिया वाहनों की पार्किंग का नियम है। अस्पताल के बाहर परिसर में पार्किंग का संचालन नहीं किया जा सकता। ऐसे में अब मामला उलट हो गया है।
केवल अटेंडरों के चौपहिया और दोपहिया वाहन रख सकते
जानकारों ने यह भी बताया कि चरक अस्पताल बेसमेंट की पार्किंग में संचालक चौपहिया और दो पहिया वाहन तो रख सकता है। लेकिन चौपहिया वाहन अटेंडरों के होना आवश्यक है। जबकि यहां पर कई निजी वाहन रखे हुए हैं, जोकि अटेंडरों के नहीं हैं। वह भी महीनों से रखे हुए हैं। जिनका प्रतिमाह 1500 से 300 हजार रुपये शुल्क लिया जाता है।
स्टाफ के चौपहिया और दोपहिया वाहन रखने की जगह पार्किंग स्टैंड
जानकारों ने यह भी बताया कि चरक अस्पताल पर दोपहिया पार्किंग स्टैंड संचालित किया जा रहा है, वह बेसमेंट में संचालित होना चाहिये। इसकी जगह पर अस्पताल के चौपहिया और दोपहिया वाहन पार्क किये जाना चाहियें। अस्पताल प्रबंधन ऐसा करता है तो अस्पताल के सामने वाहनों के जमावड़ा लगने की समस्या से निजात मिल सकती है।
चौपहिया वाहनों के कारण एम्बुलेंस फंसी
बुधवार की दोपहर में जब संवाददाता सिविल सर्जन के साथ चरक अस्पताल दौरा कर रहे थे, उस समय एक कार के बीच में फंसने के कारण एम्बुलेंस का निकलना मुश्किल हो गया। वहीं अस्पताल का गेट ठेले वालों के कारण संकरा हो गया है, जिससे किसी भी दिन किसी प्रसूता की जान पर खतरा बन सकता है। अस्पताल का दूसरा मुख्य गेट एम्बुलेंस के आने जाने के लिये खुला रखा जाना चाहिये, जबकि अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसको बंद रखा जाता है।