कपिला गौशाला से लौटकर अर्जुन सिंह चंदेल
यत्र गाव: प्रसन्ना: स्यु: प्रसन्नास्तत्र सम्पद:।
यत्र गावो विषण्णा: स्युर्विषण्णास्तत्र सम्पदा:।।
अर्थ- जहाँ गाय प्रसन्न रहती है वहाँ सभी सम्पत्तियाँ प्रसन्न रहती है। जहाँ गायें दु:ख पाती हैं, वहाँ सारी सम्पदायें दु:खी हो जाती है।
उज्जैन, अग्निपथ। शहर से 12 किलोमीटर दूर ग्राम रत्नाखेड़ी में नगर पालिक निगम द्वारा संचालित कपिला गौशाला गौ-तीर्थ के रूप में पूरे मध्यप्रदेश में एक मिसाल बनेगी। उज्जैन शहर को मिलने वाली इस अनूठी सौगात के बारे में पाठकों के मन में प्रश्न आ रहा होगा कि ऐसा क्या अनूठा है इस कपिला गौशाला में? तो चलिये आज आपको ले चलता हूँ कपिला गौशाला की सैर कराने। उज्जैन में रहते हुए भी मैं आज पहली बार ही पहुँचा था इस कपिला गौशाला में।
लगभग 32.41 बीघा (729439.70 स्क्वेयर फीट) का यह विशाल भूखंड नये निर्माणाधीन देवास-बदनावर फोरलेन से मात्र 400 मीटर दूर स्थित है। दूर से ही बने हुए शेड दिखायी देने लगते हैं। कपिला गौशाला के द्वार पर पहुँचते ही दायीं ओर एक छोटा सा भवन बना हुआ है जिसमें गौसेवक स्वामी अच्युत्तानंद जी निवास करते हैं।
सौभाग्य से महाराज श्री के दर्शनों का लाभ मिल गया। साधारण से कक्ष में प्रवेश करते ही आकर्षक व्यक्तित्व के धनी भगवाधारी, लगभग 6 फुट के लंबे स्वामी जी को देखते ही श्रद्धा से उनके प्रति शीश अपने आप झुक गया क्योंकि वह एक ऐसी तपस्या और सेवा कर रहे हैं जो कृषि प्रधान भारत देश और हिंदू धर्म के लिये अति आवश्यक है।
स्वामी जी से आत्मीय बातों का सिलसिला शुरू हो गया। वह ऋषिकेश के एक आश्रम में निवास करते थे और निरंजनी अखाड़े से ताल्लुक रखते हैं। गौ सेवा जैसे कठिन क्षेत्र को कैसे चुना के प्रश्न पर महाराज श्री ने बताया कि वह ऋषिकेश में जिस आश्रम में अपने गुरुदेव के साथ रहते थे वहाँ पर 6-7 गौ माताओं की सेवा होती थी। एक दिन सारी गायों को भक्तों को भेंट करने का विचार गुरुदेव के मन में आया।
एक भक्त को गाय भेंट कर दी गयी परंतु कुछ दिनों बाद वह गाय बहुत कमजोर होकर लौटी थी तभी गुरुजी के मन में गौ सेवा का विचार आया उन्होंने सारे शिष्यों को मृत्यु-पर्यन्त गौ सेवा का प्रण दिलवाया। इसी बीच एक महात्मा का आश्रम में आगमन हुआ गुरुदेव ने आश्रम की सभी गौ माताओं को भेंट कर दिया और साथ ही आश्रम के पास नकद जमा 90 हजार भी गौ माताओं की सेवा के लिये भेंट कर दिये।
गुरुदेव के इस निर्णय की जानकारी जब देश भर में फैले उनके अनुयायियों को लगी तो 15 दिन के अंदर ही गौ सेवा के लिये साढ़े तीन करोड़ जमा हो गये। गुरुदेव के सभी शिष्य उत्साह से भर गये और गौ सेवा आश्रमों की शुरुआत उत्तराखंड से हुयी। आज देश भर में अनेक स्थानों पर महाराज जी के साथी गौ सेवा की सेवा में रत हैं।
गायों के बच्चे महाराज से करते हैं प्रेम
अच्युत्तानंद जी महाराज मुझे जब गायों के छोटे बच्चों के कक्ष में ले गये तो सारे बछड़ा-बछिया महाराज जी को देखकर खुश हो गये और उनके इर्द-गिर्द जमा हो गये। महाराज जी जब उन्हें दुलारते तो वह खुश होते और उछल कूद करके प्रसन्नता व्यक्त करते नजर आते हैं।
कपिला गौशाला में बीमार गायों की चिकित्सा के लिये अलग कक्ष है जहाँ पर पशु चिकित्सक आकर बीमार गायों का उपचार करते हैं। इसी तरह बीमार, घायल व अशक्त गायों के लिये भी अलग से कक्ष है जिसे चारों ओर से मच्छर जालियों से कवर दिया गया है ताकि घायल गायों के घावों पर मक्खी, मच्छर ना बैठ सके।
मृत गायों के शरीर का विनिष्टकरण भी गौशाला में
कपिला गौशाला में मृत गायों के शरीर के विनिष्टिकरण हेतु भी शीघ्र ही व्यवस्था की जा रही है ताकि मृत गायों के शरीर को बाहर न ले जाना पड़े। महाराज जी ने बताया कि वर्तमान में म.प्र. की संवेदनशील सरकार द्वारा 40 रुपये प्रति गौवंश के मान से अनुदान दिया जा रहा है जो कांग्रेस सरकार की तुलना में दोगुना है।
अपना शेष जीवन गौवंश को समर्पित कर चुके महाराज अच्युत्तानंद जी उज्जैन की कपिला गौशाला के अलावा प्रदेश ही नहीं देश की अन्य गौशालाओं की व्यवस्था भी संभाल रहे हैं।