महाकाल भस्म आरती में एंट्री रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडी बैंड से मिलेगी

कलाई पर आईडी बैंड बांधना होगा ताकि अवांछित प्रवेश पर रोक लग सके, नवंबर में लागू होगी नई व्यवस्था

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में रोज सुबह होने वाली महाकाल भस्म आरती में एंट्री के लिए दिवाली के बाद से सभी भक्तों को अपनी कलाई पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडी (आरएफआईडी) बैंड पहनना अनिवार्य होगा।

मंदिर समिति इसे नवंबर के पहले सप्ताह में लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए टेस्टिंग भी शुरू कर दी गई है। इससे मंदिर में अनाधिकृत प्रवेश पर रोक तो लगेगी ही साथ ही ये भी पता होगा कि कितने भक्तों को अनुमति दी गई है और कितनों ने प्रवेश किया है। प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि इंदौर की कंपनी को ठेका दिया गया था। उन्होंने अपनी तैयारी पूरी कर ली है, इसके लिए बना एप, कम्प्यूटर, स्कैनर और प्रिंटर अगले सप्ताह तक मंदिर में इंस्टॉल हो जाएंगे, टेस्टिंग के बाद नवंबर महीने से भस्म आरती में प्रवेश आरएफआईडी से ही होगा।

बारकोड स्कैनर के साथ दिन और समय भी प्रिंट होगा

श्री धाकड़ ने बताया कि कंपनी द्वारा इसे प्राथमिक रूप से तैयार कर लिया है। फिलहाल इसे यूज एंड थ्रो वाले कागज का बनवाया गया है, जिसमें बारकोड स्कैनर के साथ-साथ नाम, उम्र, पता, तारीख और समय भी प्रिंट होगा। इसके लिए कंपनी आरएफआईडी बैंड की टेस्टिंग कर रही है। भस्म आरती में टिकट दिखाने के बाद श्रद्धालु मानसरोवर से एंट्री करने के बाद सभी प्रमुख गेट पर आरएफआईडी बैंड की सुविधा होगी। साथ ही सभी भक्तों को भस्म आरती के दौरान इसे पहनना अनिवार्य होगा।

ऐसे काम करेगा आरएफआईडी बैंड

रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी बैंड) पूरी तरह चिप प्रोसेस पर काम करता है, जिसमें श्रद्धालु की जानकारी को फीड किया जाएगा। जब श्रद्धालु अपने ऑनलाइन या ऑफलाइन टिकट या परमिशन को लेकर मंदिर के अंदर प्रवेश करेंगे तो उससे पहले एक काउंटर पर बार कोड स्कैन कर श्रद्धालु को कलाई पर बांधने के लिए एक बैंड दिया जाएगा।

इसमें उस श्रद्धालु की पूरी जानकारी होगी। श्रद्धालु को भस्म आरती में प्रवेश से लेकर भस्म आरती खत्म होने तक अपनी कलाई पर आरएफआईडी बैंड को बांधकर रखना होगा। आरती खत्म होने के बाद मंदिर समिति के कर्मचारियों को निर्धारित काउंटर पर इसे जमा भी करना होगा।

आरएफआईडी बैंड से गेट खुलेंगे

महाकाल मंदिर के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि शुरुआत में इसे प्रायोगिक रूप से लागू कर रहे हैं। इसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर फ्लैप बैरियर लगाए जाएंगे। उससे इन आरएफआईडी बैंड को जोड़ा जाएगा। नई तकनीक का इस्तेमाल कर एयरपोर्ट जैसी सुविधा भी मिल सकेगी, जिसके तहत आरएफआईडी बैंड को पहनकर आने वाले भक्तों के लिए फ्लैप बैरियर ऑटोमेटिक खुल जाएंगे।

ये फायदा मिलेगा

आधुनिक तरीके से भक्तों को प्रवेश अगले एक या दो हफ्तों में शुरू कर दिया जाएगा। आरएफआईडी रिस्ट बैंड के उपयोग से श्रद्धालुओं की लगने वाली लंबी लाइन कम हो जाएगी। बार-बार स्कैनर या अनुमति दिखाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। एक घंटे में एक हजार श्रद्धालुओं की स्कैनिंग हो सकेगी।

फिलहाल यह है भस्मारती प्रवेश व्यवस्था

महाकाल मंदिर की भस्म आरती में फिलहाल अधिकतम 1600 श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलता है। 300 टिकट ऑफलाइन, 400 ऑनलाइन और बाकी की प्रोटोकॉल के तहत अनुमति दी जाती है। श्रद्धालु एक दिन पहले प्रोटोकॉल और ऑफलाइन के जरिए परमिशन ले सकते हैं। ऑनलाइन के जरिए 3 महीने पहले बुकिंग करा सकते हैं।

ऑफलाइन टिकट के लिए एक दिन पहले मंदिर में विंडो पर पहुंचकर अनुमति लेनी होती है। यह फ्री रहती है। मंदिर की वेबसाइट पर ऑनलाइन परमिशन (टिकट) के लिए 200 रुपए फीस देनी होती है। प्रोटोकॉल में भी भक्तों को परमिशन मिलती है। इसमें अधिकारी, राजनेता, मंत्री, विधायक, सांसद और मीडिया का अलग-अलग कोटा है।

भस्म आरती के लिए रात 2 बजे से लाइन लगना शुरू हो जाती है। भक्तों को मानसरोवर गेट से प्रवेश मिलता है। यहां बार कोड स्कैन और परमिशन चेक होने के बाद मंदिर में प्रवेश मिल जाता है।

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