महाकाल मंदिर सुरक्षा प्रभारी ने जांच रिपोर्ट को दबाया, दोनों में से एक विकास दुबे को पकडऩे वाला
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में सुरक्षा का ठेका संभालने वाली एसआईएस कंपनी के सुपरवाइजर से विवाद करने वाले दो सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा प्रभारी द्वारा बिना जांच नौकरी से बाहर कर दिया गया है। इनमें से एक सुरक्षाकर्मी गैंगस्टर विकास दुबे को पकडऩे में शामिल रहा है। ऐसे में सुरक्षा प्रभारी की नीयत पर सवाल उठाया जा रहा है।
करीब 2 माह पहले मंदिर की क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस) टीम के राहुल शर्मा और शैलेंद्र योगी का विवाद कंपनी की महिला सुपरवाइजर से नौकरी पर देर से आने को लेकर हो गया था। जिस पर महिला सुपरवाइजर ने इसकी शिकायत मंदिर के सुरक्षा प्रभारी दिलीप बामनिया और कंपनी के ब्रांच हेड अरविंद सिंह से की थी। मामले को बढ़ता देख इसकी जांच सुरक्षा प्रभारी श्री बामनिया को सौंपी गई थी। लेकिन 2 माह गुजर गए लेकिन अभी तक उनके द्वारा जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया गया है। जबकि मंदिर के अन्य सुरक्षाकर्मियों द्वारा दोषी बनाए गए दोनों सुरक्षाकर्मियों के हित में हस्ताक्षर अभियान चलाकर उनको सौंपा गया था। इसमें बताया गया था कि दोनों टीम सदस्य का चरित्र के बिल्कुल पाक-साफ है।
होल्ड पर रखकर किया नौकरी से बाहर
मंदिर के सुरक्षा प्रभारी दिलीप बामनिया द्वारा जांच के नाम पर ना तो किसी अन्य सुरक्षाकर्मी के बयान लिए गए और ना ही महिला सुपरवाइजर से देर से आने का नौकरी पर कारण पूछा गया। दोनों की शिकायत पाते ही सुरक्षा प्रभारी द्वारा दोनों को होल्ड पर रखा जा कर उनको नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जबकि दोनों सुरक्षाकर्मी मंदिर के अच्छे सुरक्षाकर्मियों में गिने जाते हैं। इनमें से एक राहुल शर्मा द्वारा गैंगस्टर विकास दुबे को पकडऩे में भी अहम भूमिका निभाई गई थी। लेकिन उनको पुरस्कृत करना तो दूर नौकरी से बाहर कर दिया गया।
विरोध करना भारी पड़ा
दोनों सुरक्षाकर्मी कंपनी से लेकर सुरक्षा प्रभारी से विनती करते रहे। लेकिन उनको नौकरी पर नहीं रखा गया। बताया जाता है कि महिला सुपरवाइजर उज्जैन शहर से बाहर से अप डाउन करती थी। जिसके चलते उपस्थिति रजिस्टर में वह 2 घंटे पहले का साइन कर देती थी। इसी बात को लेकर दोनों सुरक्षाकर्मियों ने अपना विरोध जताया था। जिसका परिणाम उनको नौकरी गंवा कर उठाना पड़ा।