पंचामृत अभिषेक के बाद भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित
उज्जैन, अग्निपथ। धन तेरस के मौके पर श्री महाकालेश्वर मदिर में मंगलवार को 22 पुजारी-पुरोहितों ने बाबा महाकाल के साथ कुबेर और चांदी के सिक्कों का पूजन-अभिषेक कराया।
उज्जैन में दिवाली पर्व की शुरुआत सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन से हुई। 5 दिवसीय त्योहार के पहले दिन मंगलवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने महाकालेश्वर मंदिर में परंपरानुसार धन तेरस की पूजा की। 22 पुजारी-पुरोहितों ने भगवान महाकाल के साथ कुबेर और चांदी के सिक्कों का पूजन-अभिषेक कराया। महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित किया गया।
मंदिर के नंदी हॉल में पुरोहित समिति के पुजारियों ने सुबह करीब 9 बजे वैभव, आरोग्य और सुख-समृद्धि की कामना कर महाकाल की महा पूजा शुरू कराई। यह करीब एक घंटे चली। पुरोहित समिति के सदस्य लोकेश व्यास ने बताया कि जन कल्याण, विश्व कल्याण के लिए गणपति पूजन, महालक्ष्मी पूजन के बाद भगवान महाकाल का पंचामृत और रुद्र अभिषेक पूजन किया जाता है।
देश में सबसे पहले 31 अक्टूबर को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन पुजारी परिवार की महिलाएं बाबा को उबटन लगाएंगी। महाकाल का अद्भुत श्रृंगार होगा। गर्भगृह में अन्न कूट का भोग लगाया जाएगा। शाम को कोटि तीर्थ कुंड में दीप मालाएं सजाई जाएंगी।
धनतेरस के एक दिन पहले सोमवार शाम को पं. आशीष पुजारी ने फुलझड़ी से भगवान महाकाल की आरती की। गर्भगृह में दीपक जलाए गए। देशभर में त्योहार-पर्व को सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाने की परंपरा है। मंदिर पुरोहित समिति के सदस्य लोकेश व्यास ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में ग्वालियर पचांग के अनुसार पर्व मनाए जाते हैं।