दीपावली पर शाम बन रहे हैं सुख-समृद्धि देने वाले 4 राजयोग
उज्जैन, अग्निपथ। 31 अक्टूबर को अमावस्या शाम 4 बजे के बाद शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम तक रहेगी। इस कारण देश में ज्यादातर जगह 31 अक्टूबर को दीपावली मनेगी। कुछ लोग 1 नवंबर को भी मना रहे हैं।
31 अक्टूबर को कई ऐसे योग भी बन रहे हैं, जो लक्ष्मी पूजन से लेकर नए कामों की शुरुआत के लिए शुभ रहेंगे। पंडितों का मानना है कि दीपावली पर शाम को समृद्धि देने वाले 4 राजयोग बनेंगे। शश, कुलदीपक, शंख और लक्ष्मी योग बनने से इस महापर्व का शुभ फल और बढ़ जाएगा। यहां आप सभी की सविधा की दृष्टि से प्रदोष काल, चौघडिय़ा मुहूर्त और स्थिर लग्न मुहूर्त दिया जा रहा है। आप अपनी कुल परंपरा मान्यता अनुसार पूजन कर सकते हैं।
दीपावली पूजन मुहूर्त
दीपावली (शास्त्र-सम्मत)
1 नवम्बर 2024 शुक्रवार
प्रदोष काल पूजन शाम 5.47 से रात 8.21 तक।
चौघडिय़ा अनुसार पूजन शुभ समय
प्रात: 7.58 से 10.46 तक।
दोपहर 12.10 से 1.35 तक।
रात 900 से रात 10.35 तक।
रात 12.11 से 3.00 तक।
स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन समय
स्थिर वृश्चिक लग्न प्रात: 7.44 से 10.00 तक।
स्थिर कुम्भ लग्न – दोपहर 1.52 से 3.24 तक।
स्थिर बृषभ लग्न – शाम 6.35 से रात 8.33 तक।
स्थिर सिंह लग्न – रात 1.00 से रात 3.15 तक।
दीपावली (मतांतर से)
31 अक्टूबर 2024 गुरुवार
प्रदोष काल पूजन शाम 5.48 से रात 8.22 तक।
चौघडिय़ा अनुसार पूजन शुभ समय
प्रात: 6 से दोपहर 7.57 तक।
दोपहर 12.10 से 3.00 तक।
शाम 4.24 से 7.24 तक।
रात 12.11 से 1.46 तक।
स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन समय
स्थिर वृश्चिक लग्न प्रात: 7.48 से 10.4 तक।
स्थिर कुम्भ लग्न – दोपहर 1.55 से 3.28 तक।
स्थिर बृषभ लग्न – शाम 6.39 से रात 8.37 तक।
स्थिर सिंह लग्न – रात 1.7 से रात 3.18 तक।
– डॉ. सर्वेश्वर शर्मा (सर्वेश गुरुजी)
ज्योतिष विभाग विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
गजलक्ष्मी मंदिर में सुबह चार घंटे होगा दुग्धाभिषेक
प्राचीन मां गजलक्ष्मी मंदिर में दिवाली के मौके पर गुरुवार सुबह 7 से 11बजे तक मां लक्ष्मी का दुग्धाभिषेक होगा। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दुग्धाभिषेक के लिए पहुंचते है। सुबह दुग्धाभिषेक के बाद दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में मां लक्ष्मी की आरती होगी। माता का श्रृंगार के बाद शाम 4 बजे से रात 2 बजे तक महा नैवेद्य लगाया जाएगा। रात्रि में ही आरती होगी।
मान्यता है कि गज लक्ष्मी का मंदिर करीब दो हजार साल पुराना है। यहां राजा विक्रमादित्य राजलक्ष्मी के रूप में इनकी पूजा करते थे। पुराने शहर के नई पेठ स्थित मां गजलक्ष्मी मंदिर में गुरुवार को दीपावली पर्व के अवसर पर सुबह से ही मां लक्ष्मी का दूध से अभिषेक करने के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचेंगे। सुबह 7 से 11 बजे तक श्रद्धालु अपने हाथों से मां लक्ष्मी का दुग्धाभिषेक करेंगे।
शाम 4 बजे से माता लक्ष्मी का सोलह श्रृंगार कर महा नैवेद्य का भोग अर्पित होगा। दीपावली की रात 2 बजे तक माता के दर्शन होंगे। इसके बाद सुहाग पड़वा के पूजन की तैयारी शुरू होगी। लक्ष्मी पूजन के बाद संध्या से देर रात्रि तक श्रद्धालु लक्ष्मी माता के दर्शन के लिए पहुंचते है। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां पर कमल का फूल चढ़ाकर मनोकामना मांगते है।
गज लक्ष्मी के साथ विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा भी विराजित: मंदिर में मां गजलक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा भी है। यह प्रतिमा अति प्राचीन है। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु के छोटे-छोटे रूप में 24 अवतारों का वर्णन है। मंदिर आने वाले लोग भगवान विष्णु के भी दर्शन करते है। मां गजलक्ष्मी मंदिर दो हजार साल पुराना है। इस मंदिर में मां लक्ष्मी सफेद हाथी पर बैठी है। देश के किसी मंदिर में ऐसा नही है। माना जाता है कि माता गजलक्ष्मी को विक्रमादित्य अपनी राजलक्ष्मी मानकर पूजन करते थे।
शहीद प्रतिमाओं पर होगा दीप प्रज्जवलन
संस्था सरल काव्यांजलि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी आज, दीपावली पर्व की शाम छ: बजे चरक अस्पताल के पास स्थित स्वाधीनता सेनानी नेताजी सुभाष प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम आयोजित करेगी। जानकारी देते हुए संस्था अध्यक्ष डॉ. संजय नागर ने बताया कि संस्था पिछले बारह वर्षों से प्रति दीपावली पर यह अभिनव आयोजन करती आई है। इस वर्ष इस आयोजन के मुख्य अतिथि ख्यात समाजसेवी गोविंद यादव ( बबलू भैया) रहेंगे। कार्यक्रम पश्चात सभी सदस्य अपने निवास के निकट स्थित शहीद प्रतिमाओं पर दीप जलाएंगे। डॉ. नागर ने शहर के नागरिकों से राष्ट्र भक्ति के इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने की अपील की है।