दीपावली तक सुनसान था मंदिर, अब गुजरात-महाराष्ट्र से लोगों का आना शुरू
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकाल मंदिर में दीपावली के बाद दर्शनार्थियों का आना फिर शुरू हो गया है। शनिवार को मंदिर में एकाएक दर्शनार्थियों की भीड़ बढ़ी है।
पिछले कुछ दिनों से मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या में कमी आई थी। माना जा रहा है कि नवरात्रि, दशहरा और दीपावली की तैयारियों के कारण यह स्थिति बनी थी। दीपावली के करीब चार-पांच दिनों तक तो मंदिर में सन्नाटा छाया हुआ था। सिर्फ स्थानीय दर्शनार्थी ही सुबह-शाम पहुंच रहे थे।
लेकिन शनिवार से बाहरी दर्शनार्थियों की संख्या में एकाएक तेजी से आई है। ये गुजरात और महाराष्ट्र के दर्शनार्थी है। यहां पर दीपावली की पूजन धनतेरस पर होती है। इसके बाद से लोगों का बाहर घूमने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
ऐसे में गुजरात-महाराष्ट्र प्रदेश के रहवासी धार्मिक पर्यटन पर निकल जाते हैं। इन प्रदेशों में अधिकतर व्यापार भी दीपावली के दिनों में बंद ही रहते हैं। यहां की फैक्ट्रियों, उद्योग और दुकानों पर काम करने वाले यूपी-बिहार के श्रमिक अधिक होते हैं जो दीपावली पर घर जाते हैं और छठ पूजन के बाद लौटते हैं। इस कारण व्यापार-व्यवसाय भी ठप रहता है। ऐसे में व्यवसायी परिवार के साथ घूमने-फिरने का आनंद उठाते हैं। मंदिर समिति सूत्रों के मुताबिक दोपहर तक करीब एक लाख से अधिक दर्शनार्थी मंदिर में दर्शन कर चुके थे।
भगवान महाकाल की कार्तिक मास की पहली सवारी कल
महाकालेश्वर मंदिर से श्रावण-भादौ और दशहरा पर्व के बाद राजाधिराज भगवान महाकाल की चार सवारी कार्तिक एवं अगहन मास की निकली जायेगी। पहली सवारी 4 नवंबर को निकलेगी। भगवान महाकाल भक्तों को दर्शन देने के लिए राजसी ठाठबाट से नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
सवारी के क्रम में कार्तिक मास में दो और अगहन मास में भी दो सवारी निकलेगी। इसके अलावा वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर भी सवारी गोपाल मंदिर तक आएगी। श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की कार्तिक मास की दो और अगहन मास में दो सवारी सोमवार को इस बार मंदिर के आंगन से निकलेगी। वहीं एक सवारी वैकुंठ चतुर्दशी पर गोपाल मंदिर तक जाएगी।
कार्तिक मास की पहली सवारी 4 नवंबर को शाम 4 बजे मंदिर से प्रारंभ होकर गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पर भगवान श्री महाकालेश्वर का मां शिप्रा के जल से पूजन- अभिषेक के पश्चात वापसी में सवारी शिप्रा तट रामघाट से गणगौर दरवाजा, मौढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।
इसके बाद कार्तिक मास की दूसरी सवारी 11 नवंबर को अगहन मास की पहली सवारी 18 नवंबर और दूसरी व क्रम अनुसार चौथी राजसी सवारी 25 नवंबर को निकलेगी। अंतिम राजसी सवारी का रूट बढ़ जाता है। वहीं 14 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी की सवारी महाकालेश्वर मंदिर से अर्ध रात्रि को प्रारंभ होकर गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर तक जाएगी। जहां पर हरिहर मिलन का आयोजन होगा।