अर्जुन के बाण : उज्जैन की पेयजल प्रदाय व्यवस्था सँभालने वाली टीम की स्थिति बैंड वालों जैसी

अर्जुन सिंह चंदेल

गतांक से आगे
चलो भाई पेयजल की अव्यवस्था को लेकर समाचार पत्रों में रोजाना छप रही खबरों ने एक बार फिर से सोये हुए विपक्ष को जगा दिया। बाकायदा आज धरना-प्रदर्शन के पूर्व ही मित्रता का फर्ज निभाते हुए बेचारे, निरीह नगर के प्रथम नागरिक को सूचित कर दिया गया कि हम सुबह 10 बजे धरना-प्रदर्शन करने आ रहे हैं। सोची समझी रणनीति के तहत विपक्षी दल के मु_ी भर लोग पहुँच गये महापौर बँगले।

कैमरे के सामने नारेबाजी, टॉवर पर बेहतरीन फोटोग्राफी, सोश्यल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन करते हुए सुंदर फोटो पोस्ट हो गयी। ठंडे पानी के ठंडे-छीटे डालकर शहर के 6 लाख नागरिकों का मन समझाने के लिये पेयजल अव्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन का असफल प्रयास किया गया।

अरे यदि विरोध प्रदर्शन ही करना था तो माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारी बहन कलावती जी यादव के निवास पर जाकर करना था ताकि विरोध की आवाज तो भोपाल स्थित श्यामला हिल्स में मुख्यमंत्री जी के कानों तक पहुँचती और उज्जैन के नागरिकों की समस्या का निदान होता और राहत मिलती। पर नहीं, निरीह महापौर निवास पर किया जहाँ महापौर के साथ मेयर इन कौंसिल के चार-पाँच सदस्यों के अलावा नगर निगम, पी.एच.ई अधिकारी-कर्मचारियों की बात तो छोडिय़े एक चपरासी तक मौजूद नहीं था जो विपक्षी नेताओं को तकनीकी पक्ष रखकर संतुष्ट कर सके या व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दे सके।

खैर पेयजल समस्याओं की इस सत्यनारायण कथा के कम से कम 5 अध्याय तो पूरे करने ही होंगे। कारण यह है कि अपने राम को भी इस कथा में रस बहुत आ रहा है क्योंकि वर्ष 2000 से 2005 तक अपन भी इसी विभाग के प्रभारी रह चुके हैं और 2005 से 2010 तक भाभी श्रीमती शशि अनिल चंदेल प्रभारी रही। तब भी अपने राम प्रत्यक्ष ना सही अप्रत्यक्ष रूप से विभाग से जुड़े रहे।

इसी कारण शायद अपना शरीर पी.एच.ई. से मुक्त हो गया है पर आत्मा का कुछ हिस्सा वहीं रचा-बसा है। 2010 से गुजर गये 14 सालों के बाद भी वहाँ के कर्मचारियों का प्यार स्नेह बदस्तूर जारी है और यह मेरा परम सौभाग्य है। पेयजल प्रदाय जैसे महत्वपूर्ण विभाग की वह भी मुख्यमंत्री जी के गृहनगर की ऐसी दुर्दशा पीड़ादायक है।

8-10 वर्षों से केमिस्ट नहीं

जवाबदार साहब बहादुरों को कुछ अंदरखाने की बात बताते हैं इस विनम्र अनुरोध के साथ कि वह यह बात माननीय मुख्यमंत्री जी तक अवश्य पहुँचाये। सुधि पाठकों उज्जैन नगर निगम सीमा में प्रदाय किये जा रहे पानी की गुणवत्ता की जाँच करने वाले रसायन शास्त्री (केमिस्ट) बीते 8-10 वर्षों से हमारे पास नहीं है। पेयजल प्रदाय करने वाले गंभीर और गऊघाट प्लांटों पर पानी की गुणवत्ता जाँचने और पानी शुद्ध करने के लिये केमिकल की मात्रा तय करने का काम केमिस्ट की जगह रोज सुबह भगवान का नाम लेकर लैब टेक्निशियन कर रहे हैं जो इस कार्य के लिये निहित योग्यताओं को ही पूरा नहीं करते। यह तो भला हो भगवान महाकाल का कि उनकी कृपादृष्टि से कोई हादसा नहीं हुआ अभी तक।

चलो आगे बढ़ते हैं। पानी को साफ और शुद्ध करने वाले हमारे दोनों यंत्रालयों में फिल्टर मीडिया (पानी साफ करने के टेंक में उपयोग की जाने वाली सामग्री) विगत 8 वर्षों से नहीं बदला गया है जिसे प्रत्येक दो वर्षों में आवश्यक रूप से बदला जाना चाहिये। पी.एच.ई. की गिर चुकी साख के कारण कोई ठेकेदार कार्य करने को तैयार नहीं है।

उपयंत्रियों के 15 पदों में 14 पद रिक्त

आगे बढ़ते हैं, नगर की पेयजल व्यवस्था संभाल रहे अमले की भी बात करना यहाँ पर बेहद जरूरी है और वह मुख्यमंत्री के गृहनगर होने के नाते ज्यादा संवेदनशील है। उज्जैन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (संधारण खंड) में स्वीकृत तीन सहायक यांत्रियों के पद के विरुद्ध मात्र 1 सहायक यंत्री ही है शेष दो पदों पर उपयंत्रियों को प्रभारी सहायक यंत्री का चार्ज दे रखा है। उपयंत्रियों के स्वीकृत 15 पदों के विरुद्ध पी.एच.ई. में एक ही उपयंत्री मानसिंह राजपूत पदस्थ है शेष 14 पद रिक्त है।

बीते वर्षों में बढ़ती जनसंख्या, 44 पानी की उच्चस्तरीय टंकियों और नगर के बढ़ते क्षेत्रफल के मद्देनजर आखिर यह कार्य कौन देख रहा होगा? यह प्रश्न आपके मन में उठना लाजिमी है, तो हम भी आपको बता देते हैं पूरे उज्जैन नगर की पेयजल प्रदाय व्यवस्था का जिम्मा उसी तरह संभाला जा रहा है जैसे शादी-ब्याह में बैंड वालों की टीम रहती है। जगह-जगह से लोगों को लाकर डे्रस पहना दी जाती है ‘कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा’ एक उस्ताद आगे चलता है बाकि डे्रस पहने साथी पीछे-पीछे चल देते हैं।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पी.एच.ई. में वर्तमान में इलेक्ट्रीशियन, स्टोर क्र्लक, टाईम कीपर, प्रयोगशाला सहायक, पंप अटेंडेन्ट, मीटर मिस्त्री, फीटर, लाईन मैन, टेलीफोन अटेंडेंट, प्लम्बर सभी को विश्वकर्मा वंशजों (अभियंताओं) की डे्रस पहनाकर, प्रभारी उपयंत्री बनाकर पेयजल प्रदाय करवाया जा रहा है, यही नहीं यह सभी नियम विरुद्ध माप-मुस्तिका (एम.बी.) भरने का कार्य भी कर रहे हैं जो आपराधिक कृत्य है। खैर अंधेर नगरी….

(शेष व्यथा कल)

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