बिजली विभाग के अधीक्षण यंत्री ने कहा- मशीनरी पुरानी, एक घंटा नहीं पिला सकते पानी
उज्जैन, अग्निपथ। बुधवार को एमआईसी की बैठक नगरनिगम सभागृह में आयोजित हुई। इसमें शहर की पेयजल व्यवस्था को लेकर बातचीत और हंगामा हुआ। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 10 एमआईसी सदस्यों में से 4 सदस्य किसी न किसी बात का बहाना कर बैठक से नदारद रहे। बैठक में प्रभारी निगमायुक्त जयतिसिंह, अपर आयुक्त पवनसिंंह सहित पीएचई और बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
महापौर मुकेश टटवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिवेन्द्र तिवारी, रजत मेहता, प्रकाश शर्मा सहित अन्य दो एमआईसी सदस्य उपस्थित रहे। दक्षिण क्षेत्र के चार एमआईसी सदस्य दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी, कैलाश प्रजापत, अनिल गुप्ता और सुगन वाघेला बैठक में नहीं आये। कारण जानने के लिये उनको फोन लगाया गया तो किसी ने कहा, वह इंदौर में है तो किसी ने अन्य बहाना बनाकर बैठक से पल्ला झाड़ लिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगमायुक्त पर कार्रवाई के डर से बैठक मेें चार एमआईसी सदस्य नहीं आये। बैठक में पिछले रखे गये 258 ठहराव को लेकर भी चर्चा की गई। जिसमें 200 के लगभग ठहराव पास होने की बात अधिकारियों द्वारा बताई गई। लेकिन अधिकारियों ने बताया कि इसकी फाइल ही गुम हो गई है। इसी ठहराव में स्मार्ट सिटी द्वारा लगाई गईं स्ट्रीट लाइट खरीदी और रिपेयर की जांच के लिये उपसमिति की बैठक नहीं बुलाने को लेकर ठहराव पास किया गया था।
कबाड़ मशीनों के चलते नहीं दे पा रहे पानी
नगरनिगम बिजली विभाग के अधीक्षण यंत्री संतोष गुप्ता ने बताया कि इन मशीनरियों का मेंटेनेंस हर 15 साल में किया जाना आवश्यक है। लेकिन 40 वर्ष से अधिक समय से इनका मेंटेनेंस ही नहीं हो पाया है। लिहाजा वर्तमान पेयजल प्रदाय की स्थिति को देखते हुए प्रतिदिन पूरे शहर को 1 घंटा जलप्रदाय नहीं किया जा सकेगा।
इधर प्रभारी निगमायुक्त ने एमआईसी सदस्यों से कहा कि वह फाइलों का अध्ययन कर लेंगी, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि चार दिन बाद फिर से निगमायुक्त आशीष पाठक कार्यभार संभाल देंगे, तो कार्रवाई का क्या होगा? इस बात पर वह चुप्पी साध बैठीं। हालांकि महापौर ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि शहर के लोगों को स्वच्छ पानी मिलना चाहिये और इसमें दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाना आवश्यक है।
जलकुंभी बनी पीला पेयजल प्रदाय का कारण
जानकारी में आया है कि शहर को जो पीला और गंदा पानी प्रदाय किया जा रहा है, उसका एक कारण गंभीर डेम में जमी हुई जलकुंभी भी रही। हालांकि अब यह बहकर आगे की ओर निकल गई है। दूसरा कारण खान नदी का गंदा पानी शिप्रा स्थित गऊघाट से बूस्टिंग किया जा रहा था। इस प्लांट को तो पहले ही बंद कराया जा चुका है।