अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
गंभीर इंटेकवेल और प्लांट की स्थिति ठीक नहीं है मशीनरी पुरानी होने के कारण पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर पा रही है, साथ ही बचे हुए कर्मचारी ठीक से कत्र्तव्य नहीं निभा रहे हैं। कर्मचारियों पर अधिकारियों का नियंत्रण समाप्त हो गया है। जिस प्रभारी उपयंत्री सुभाष मुवैल के पास गंभीर के इंटेकवेल और पंप हाऊस का चार्ज है उसके पास कुल कितने चार्ज हैं आपके लिये यह जानना बेहद जरूरी है-
- मूल पद इलेक्ट्रीशियन प्रभारी उपयंत्री
- उपखंड क्रमांक 1 के अंतर्गत- पम्प सेक्शन, हैंडपंप सेक्शन, बुस्टर पंप सेक्शन, उंडासा जलयंत्रालय एवं उंडासा टंकी।
- उपखंड क्रमांक 2 के अंतर्गत- आई.पी.एस. मंछामन, एम.पी.एस. गऊघाट, सीवेज पंप हाऊस के समस्त कार्य।
- उपखंड क्रमांक 3 के अंतर्गत- गंभीर जलयंत्रालय पंप हाऊस, इंटेकवेल।
यह तो हुए पी.एच.ई. विभाग के काम हमारे बाहुबली प्रभारी उपयंत्री मुवैल के पास विभाग के अलावा नगर निगम के समस्त बगीचों एवं शहर के रोटरी आदि के फव्वारों के मोटर पंप सेटों का संधारण एवं स्वच्छ भारत मिशन के कार्य।
कल्पना कीजिये क्या कोई एक व्यक्ति दैवीय शक्ति होने के बावजूद भी क्या इतने कार्य ईमानदारी से निष्पादित कर सकता हैं? जवाब होगा नहीं। फिर एक अकेले अभियंता से गुणवत्तापूर्वक कार्यों की उम्मीद करना बेईमानी ही होगा। फिर पंपों में गड़बड़ी होना, पेनल में साँप घुसना स्वाभाविक ही है। शासकीय विभागों में कर्मचारियों की कमी के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं की यह एक बानगी मात्र है।
फिल्टर टेंक कई सालों से साफ नहीं
पानी को शुुद्ध करने वाले फिल्टर टेंक कई सालों से साफ ही नहीं हुए हैं और तो और फिल्टर टेंकों को साफ करते समय गंदा पानी पाईपों के माध्यम से जलयंत्रालय से 100-200 मीटर दूर निकाला जाता था। वह पाइप ही किसानों ने बंद कर दिये हैं। जिन टेंकों को धोने में 1 घंटे लगना चाहिये अब 7-8 घंटे लग सकते हैं। फिल्टर मीडिया (सफाई टेंकों के अंदर रहने वाले पत्थर-रेती आदि) लगभग 8 सालों से नहीं बदले गये हैं।
विभाग की छवि का आलम यह है कि 3 लाख 14 हजार 20 रुपये मूल्य का चूना जो गऊघाट जलयंत्रालय के लिये आवश्यक है उसके लिये छठीं बार निविदा क्रं. २०२४_्रष्ठ_३४६०९३ निकालना पड़ी। जितना मूल्य चूने का नहीं है उससे कहीं अधिक खर्च समाचार पत्रों में निविदा प्रकाशित करने वाले विज्ञापन के बिल का हो गया होगा। छोटे-छोटे कार्यों के लिये भी 4-5 बार निविदा निकलनी आम बात है।
ठेकेदारों के बीच साख गिर गयी
ठेकेदारों के बीच नगर निगम व पी.एच.ई. विभाग की साख इतनी गिर गयी है कि कोई ठेकेदार निविदा में भाग लेना ही नहीं चाहता। पाईप लाइनों का फूटना आम बात है उसका कारण है कि पाईप लाइनों के पे्रशर को बाहर निकालने वाले सारे एयर वाल्व (जिस प्रकार प्रेशर कूकर के ऊपर सुरक्षा के लिहाज से वाल्व होता है जो संभावित दुर्घटना को रोकता है) बंद पड़े हैं उन्हें मिट्टी से ढक दिया गया है। शहर के अनेक स्थानों पर पाईप लाइनों पर लगे चाबी से खोले जाने वाले स्लूस वाल्व या तो खराब है या उनका संचालन बंद कर दिया गया है।
जलप्रदाय की अवधि में भी अंतर
शहर के अनेक स्थानों पर 6-6 घंटे जलप्रदाय हो रहा है तो कहीं 20-25 मिनट ही। बीते दिनों यह भी घटनाएं सामने आयी है कि आम नागरिक फर्जी पी.एच.ई. कर्मचारी बनकर जब चाहे संबंधित क्षेत्र का वाल्व खोलकर अपने मोहल्लों में जलप्रदाय चालू कर लेते हैं। बंधुआ मजदूर की तरह पी.एच.ई. में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले आऊटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति यह है कि मात्र 6000/- रुपये प्रतिमाह में वह कार्य कर रहे हैं और ठेकेदार ने उन्हें अक्टूबर के वेतन का भुगतान आज तक नहीं किया है।
शहर की जलप्रदाय व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले पाईप लाइनों पर लगे सभी तरह के लगभग 1000 स्लूस वाल्व स्थापित है जिनमें से 3-4 सौ वाल्व या तो सडक़ों के नीचे दब गये हैं या खराब पड़े हैं। खैर यह व्यथा-कथा हरि अनंत-हरि कथा अनंता की तरह है अत: वर्तमान में मैं अपनी लेखनी को विराम देता हूँ, माननीय मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से इस विनती के साथ कि उज्जैनवासियों के पास यह स्वर्णिम समय अब दुबारा सदियों तक लौटकर आना मुश्किल है। आप ही ‘भागीरथ’ बनकर मेरे पी.एच.ई. विभाग के उद्धारक बन जाओ। कुशल और अनुभवी अधिकारियों-कर्मचारियों की पदस्थी के साथ ही आगामी सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर पुराने जलयंत्रालयों का मशीनरी सहित कायाकल्प नितांत आवश्यक है।
जय श्री महाकाल
(समाप्त)