पूर्व विधायक के पौत्र, शहर के नामी अभिभाषक के भतीजे और युवा व्यवसाई की सडक़ दुर्घटना में दु:खद मौत हो गई है। यह मौत एक हादसा नहीं होकर हत्या है। इस हत्या के लिए नगर निगम के वह जिम्मेदार अधिकारी हैं। जिन्होंने टाटा कंपनी की समस्त कारगुजारियों को नजरअंदाज किया है।
टाटा कंपनी की लापरवाही होने पर भी नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी लगातार पर्दा डालते रहे हैं। शहर भर के अखबार लगातार इस बात को प्रमुखता से छापते रहे हैं कि टाटा कंपनी का कार्य धीमा तो है ही, साथ ही गुणवत्ता पूर्वक नहीं है। किंतु नगर निगम के अधिकारियों को इस बात से कोई असर नहीं हो रहा था। उन्हें तो सिर्फ उनके कमीशन से मतलब था।
नगर निगम के अधिकारियों के लालच की वजह से एक युवा की दु:खद मौत हो गई है। युवक ने हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी कर वकालत के लिए सनद मांगी थी। आने वाले समय में युवा एक काबिल वकील बनकर परिवार और शहर का नाम रोशन कर सकता था।
जिस तरह से यह घटनाक्रम घटित हुआ है, निश्चित रूप से उसके बाद अभिभाषक वर्ग तो नाराज है ही। साथ ही इस घटनाक्रम के बाद नगर निगम के अधिकारियों पर अब शिकंजा कसना तय है।