शहर की टंकियां नहीं भराये जाने के थे दोषी, अपर आयुक्त ने गलती पकड़ी थी
उज्जैन, अग्निपथ। पिछले दिनों शहर को कम दबाव से जलप्रदाय की शिकायतें आ रही थीं। कई क्षेत्रों की टंकियां पूरी नहीं भर पा रही थीं। इसको लेकर सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों ने एक्शन लेते हुए गऊघाट यंत्रालय पर एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें नगरनिगम-पीएचई के आला अधिकारी भी शामिल हुए थे। यहां पर आयोजित मंत्रणा में जनप्रतिनिधियों ने इसका दोषी मानते हुए यहां के कंट्रोल रूम प्रभारी कमलेश कजोरिया को बर्खास्त करने की अनुशंसा की थी। लेकिन इसको अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया।
पिछले दिनों नवम्बर माह में ही निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, महापौर मुकेश टटवाल, एमआईसी सदस्य शिवेन्द्र तिवारी, जलकार्य समिति प्रभारी प्रकाश शर्मा, योगेश्वरी राठौर, रजत मेहता, दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी सहित अन्य सदस्यों ने गऊघाट प्लांट का दौरा किया था। यहां पर एक बैठक का भी आयोजन किया जिसमें नगरनिगम और पीएचई के अधिकारियों को बुलाकर पेयजल सप्लाय, गंभीर डेम पर बिजली फाल्ट सहित गंदा पानी सप्लाय पर चर्चा की गई। इस दौरान प्रभारी निगमायुक्त सुश्री जयतिसिंह, अपर आयुक्त पवनसिंह, पीएचई कार्यपालन यंत्री एनके भास्कर, डेम प्रभारी राजीव शुक्ला सहित नगरनिगम और पीएचई के अधिकारी मौजूद थे।
इस दौरान यह मामला सामने आया कि नगरनिगम अपर आयुक्त पवनसिंह गऊघाट प्लांट के औचक निरीक्षण पर पहुंचे थे। तो यहां पर उन्होंने देखा कि टंकियों को पानी सप्लाय का प्रेशर 12 से 15 एमएलडी की जगह 8 से 9 एमएलडी ही था। यह देखकर वह दंग रह गये। जो टंकी एक घंटे में भर जाना चाहिये, थी, उसको भरने में तीन से चार घंटे लग रहे थे। इस लापरवाही को देखते हुए जनप्रतिनिधियों ने यहां के कंट्रोल रूम प्रभारी कमलेश कजोरिया को बर्खास्त करने की अनुशंसा की थी। लेकिन अधिकारियों ने उनकी इस अनुशंसा को दरकिनार करते हुए अभी तक उनका निलंबन तक नहीं किया है।
जानबूझकर की गई गलती!
नगरनिगम के गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर चल रही है कि टंकियों को पूरा नहीं भरा जाना कहीं न कहीं जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा और पीएचई के एक अधिकारी को निपटाने का प्लान था। लेकिन पांसा उलटा पड़ गया और अपर आयुक्त गऊघाट प्लांट के निरीक्षण को पहुंच गये, अन्यथा बलि का बकरा पीएचई के वरिष्ठ अधिकारी बन जाते।