ये रैपिड रेल रहेगी, दिल्ली मेट्रो बना रहा डीपीआर, फिर कैबिनेट में रखेंगे
उज्जैन, अग्निपथ। यदि सब ठीक रहा और अगले साल मार्च-अप्रैल तक मंजूरी मिल गई तो सिंहस्थ (2028) से पहले इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो दौडऩे लगेगी। फिलहाल डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है। मेट्रो अफसरों की माने तो दिसंबर तक रिपोर्ट बनकर तैयार हो जाएगी। कैबिनेट में मंजूरी मिलने, फंडिंग और निर्माण एजेंसी तय होते ही काम की शुरुआत हो जाएगी।
इंदौर-उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो के लिए दिल्ली मेट्रो डीपीआर बना रहा है। फिजिबिलिटी स्टडी पहले ही हो चुकी है। डीपीआर में ही लागत, स्टेशनों की संख्या तय होगी। इंदौर-उज्जैन के बीच सडक़ मार्ग की दूरी करीब 55 किमी है। इसके आसपास से ही मेट्रो गुजर सकती है।
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए साल 2022-23 में फिजिबिलिटी स्टडी दिल्ली मेट्रो ने ही की थी, जो सरकार को सौंपी गई थी। दिल्ली मेट्रो ने यह स्टडी की थी। अब वही डीपीआर भी बना रहा है। सिंहस्थ (2028) से पहले इंदौर-उज्जैन मेट्रो शुरू होगी। मेट्रोपोलिटन सिटी में दोनों शहरों की फिजिबिलिटी रिपोर्ट सबसे बेहतर है।
8 सितंबर 2024 को इंदौर में बतौर प्रभारी मंत्री के तौर पर बैठक लेते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव ने ये बातें कहीं थीं। इसके बाद प्रोजेक्ट को लेकर रफ्तार तेज हुई है।
इंदौर-उज्जैन के बीच कितनी दूरी, कितने स्टेशन बनेंगे, कितनी संभावित लागत होगी आदि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में शामिल रहेगा। एक अनुमान के अनुसार, एक से डेढ़ हजार करोड़ रुपए लागत हो सकती है।
इस प्रोजेक्ट में 2 से 3 मेट्रो स्टेशन ही बनेंगे। इंदौर-उज्जैन के अलावा बीच में एक स्टेशन और बन सकता है। इसलिए रैपिड रेल रहेगी। रैपिड रेल का उद्देश्य इंटर सिटी कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
भोपाल में प्रायोरिटी कॉरिडोर के सुभाष नगर से एम्स के बीच कुल 8 मेट्रो स्टेशन बन रहे हैं। एक स्टेशन की लागत 50 करोड़ रुपए से अधिक है। दूसरी ओर, इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो के कम स्टेशन रहेंगे। इससे राशि बचेगी और लागत भी कम आएगी।
मेट्रो से जुड़े एक अफसर की माने तो अगले साल मार्च-अप्रैल तक सारी प्रोसेस पूरी करने पर फोकस है, क्योंकि इसके बाद 3 साल मिलेंगे। सिंहस्थ अप्रैल-मई 2028 में है। यदि समय पर काम शुरू हो गया तो मेट्रो चलाने में कोई अड़चनें नहीं आएगी।
सरकार ने सिंहस्थ से पहले इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए तैयारी की है। इसके चलते दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इंदौर के लवकुश चौराहा से उज्जैन महाकाल तक रूट का मौका मुआयना कर चुकी है। टीम ने स्टेशन, डिपो और अन्य सुविधाओं के लिए जगह देखी थी। दोनों शहरों के बीच एलिवेटेड ट्रैक बनाने की योजना है।
इंदौर और उज्जैन का करीब 75 प्रतिशत ट्रैफिक सडक़ मार्ग से ही आना-जाना करता है। हजारों लोग इंदौर-उज्जैन में अप-डाउन करते हैं। इससे सडक़ पर ट्रैफिक का दबाव बना रहता है। कई बार हादसे भी हो चुके हैं। ऐसे में इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो बेहतर कनेक्टिविटी का बड़ा विकल्प हो सकता है। दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलने के बाद सडक़ मार्ग का ट्रैफिक एक तिहाई रह जाएगा।
मेट्रो ट्रेन का सेफ्टी ऑडिट पूरा
मेट्रो ट्रेन का सेफ्टी ऑडिट पूरा हो गया है। 7 दिन में इसकी रिपोर्ट आएगी। 9 से 17 नवंबर 2024 तक गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर-03 स्टेशन के बीच मुख्य लाइन ट्रैक पर टीम ने टेस्टिंग की। दरअसल, मेट्रो ट्रेन के कॉमर्शियल रन के पहले मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को आरडीएसओ और सीएमआरसी की एनओसी लेना होगी, क्योंकि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए रेल मंत्रालय की टीम निरीक्षण के लिए आएगी।
हाल ही में रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने मेट्रो रोलिंग स्टॉक (ट्रेन) का निरीक्षण किया। ट्रेन की टेस्टिंग की गई। स्पीड, ब्रेक, इमरजेंसी ब्रेक, सॉफ्टवेयर, वायरिंग सहित सारी तकनीकी जांच की गई। अंतिम रिपोर्ट के बाद सीएमआरसी की टीम सिविल वर्क, ट्रेन सहित सभी सेवाओं का मुआयना कर एनओसी जारी करेगी।
ऑडिट के दौरान मेट्रो रोलिंग स्टॉक (ट्रेन) के लिए दोलन (ऑसिलेशन) और इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस परीक्षण किया गया। इसके तहत कई महत्वपूर्ण मापदंडों जैसे राइड क्वालिटी, स्थिरता, इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस और सम्पूर्ण रोलिंग स्टॉक का मूल्यांकन रिकॉर्ड किया। यह डेटा इंदौर मेट्रो के वाणिज्यिक संचालन के लिए सुरक्षा प्रमाणन और तकनीकी मंजूरी प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।