आत्महत्या के दूसरे दिन सामने आया भाजपा किसान मोर्चा नेता का वीडियो
शाजापुर, अग्निपथ। नगर के मूलीखेड़ा रोड़ पर भाजपा किसान मोर्चा के मंडल उपाध्यक्ष बलराम सिंह राजपूत ने एक दिन पहले गुरुवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड से पहले इन्होंने वीडियो बनाया था। जो शुक्रवार को सामने आया है। जिसमें उन्होंने पुलिस द्वारा झूठा फंसाने का आरोप लगाया है।
वीडियो में भाजपा नेता पीएम मोदी से न्याय की अपील करते हुए कहा कि मुझे और मेरे परिवार पर पुलिस ने झूठा केस दर्ज किया है। मकान के पड़ोस में पट्टे की भूमि बताकर मेरी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की गई। विवाद में मेरे बेटे और मां का सिर फोड़ दिया गया। पुलिस और प्रशासन ने मेरे साथ विश्वासघात किया है। मेरे साथ न्याय नहीं हुआ है। इसलिए मैं चाहता हूं मुझे न्याय मिले। मेरे परिवार को न्याय मिले। मेरे परिवार के सभी लोगों के फंसाया गया है। मैं एक ईमानदार व्यक्ति था। मुझे फंसाया गया है।
एक दिन पहले बलराम ंिसह का शव मुलीखेड़ा रोड पर नीम के पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका मिला था। मामले में मृतक के भांजे अरविंद सिंह ने बताया था कि भाजपा किसान मोर्चा मंडल उपाध्यक्ष बलराम सिंह राजपूत को बुखार आने पर परिजन उन्हें इलाज के लिए शहर के एक निजी अस्पताल ले गए थे, यहां उनका इलाज चल रहा था।
इसी बीच गुरुवार देर रात वे अस्पताल से गायब हो गए और पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। अस्पताल से रात 1 बजे गायब होने के बाद परिजनों ने कोतवाली थाने पर जाकर रात को 2 बजे और सुबह 5 बजे पुलिस को सूचना भी दी। लेकिन पुलिस ने सुबह से कार्रवाई का कहकर परिजनों को लौटा दिया। सुबह उनका शव फंदे पर लटका मिला। उन्होंने बताया कि पारिवारिक विवाद के चलते वे डिप्रेशन में थे। सुन्दरसी पुलिस ने विवाद में इन पर भी झूठा मामला दर्ज कर लिया था और पुलिस को इस मामले में एक लाख रुपए की रिश्वत भी दी थी। उसके बाद भी पुलिस परेशान कर रही थी।
पड़ोसी से हुआ था विवाद
21 अगस्त को मकान बनाने को लेकर पड़ोसी रिश्तेदारों ने इनकी मां और नाबालिग बेटे के साथ मारपीट की। दोनों घायल भी हुए। सुन्दरसी पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया। पुलिस ने इनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर लिया जिसकी शिकायत एसपी शाजापुर को 29 अगस्त को की गई। लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई जांच नहीं की।
इनका कहना
दोनों पक्षों के विवाद में कुल 10 लोगों पर केस दर्ज हुआ था। इसमें 19 नवंबर को ही कोर्ट में चालान पेश किया गया था। इसके बाद बलरामसिंह पर धाराएं बढ़ाईं गईं थीं। बलराम और उसके परिवार वाले विवाद में राजीनामा करना चाहते थे। लेकिन दूसरे पक्ष के लोग इसके लिए राजी नहीं थे। इस पर बलराम ने जान देने की बात कही थी। हमने उसे समझाया कि राजीनामा कोर्ट से ही हो सकता है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। लेकिन वह समझने को तैयार ही नहीं था। कुछ दिनों पहले भी उसने आत्महत्या की कोशिश की थी। परिवार वाले उसका इलाज भी करवा रहे थे। पुलिस द्वारा रिश्वत मांगने और प्रताडि़त करने के आरोप निराधार हैं। पुलिस ने किसी को प्रताडि़त नहीं किया और ना ही रिश्वत मांगी।
– पंकज शाक्य, थाना प्रभारी सुंदरसी