एक महीने बाद भी 10 में से 3 केंद्रों पर सिर्फ 37 किसान पहुंचे
धार, अग्निपथ। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन खरीदी में किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 25 अक्टूबर से प्रदेश में समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी शुरू की गई है। एक महीने बाद भी जिले में अभी तक 37 किसानों ने ही लगभग 820 क्विंटल सोयाबीन सरकार को बेची है। जबकि जिले में 10 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं।
सरकारी खरीदी में सोयाबीन बेचने के लिए इस बार 7 हजार किसानों ने अपना पंजीयन करवाया था। अब तक 243 किसानों ने स्लाट बुकिंग थी। सरकार ने 4892 रुपये प्रति क्विंटल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद को मंजूरी दी थी। किसान इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में सोयाबीन की कीमतें एमएसपी से काफी ऊपर जा सकती हैं। सरकार ने इस बार खरीदी केंद्रों के लिए लाखों रुपए का बरदान व अन्य सामग्री में खर्च कर दिया है।
जिले में 3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी
जिले में इस बार सोयाबीन की फसल पर किसानों ने भरोसा जताया था। यही वजह थी कि बीते साल की तुलना में सोयाबीन इस बार 3 लाख हजार हेक्टेयर में किसानों ने लगाया था। नई फसल आ चुकी है। ऐसे में मौजूदा भाव सुन किसानों को पसीना छूट रहा है। सोयाबीन फसल की उत्पादन लागत लगातार बढऩे और बिक्री मूल्य लगातार घटने से किसान परेशान हैं।
समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए सोयाबीन का मूल्य 6 हजार रुपए क्विंटल करने की मांग को लेकर कई प्रदर्शन भी किए गए। जिसके बाद सरकार ने सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के आदेश निकाले उसके बाद भी किसान दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है।
उपज के भंडारण से अच्छे दाम की उम्मीद
कई किसान सोयाबीन की फसल का भंडारण करने की योजना बना ली है । किसानों से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल क्षेत्र में सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ है। ऐसे में अच्छी क्वालिटी के सोयाबीन को औने- पौने दामों पर बेचने से किसान बच रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में कई किसानों की उपज को करीब पांच हजार रुपए प्रति क्विंटल तक का दाम भी मिल रहा है। ऐसे में किसान दो-तीन माह भंडारण के बाद उपज की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद रख रहे हैं। क्योकि क्षेत्र में बारिश की खेंच और फसल की कटाई के पूर्व झमाझम बारिश ने सोयाबीन की फसल को खासा प्रभावित किया है।
किसानों को होना पड़ता है परेशानी
वही किसान बताते हैं कि सरकारी खरीदी में अपनी उपज तो बेच दें मगर खरीदी केंद्रों पर सरकार के कड़े नियमों से किसान ने खरीदी से मुंह मोड़ लिया है। उपज समर्थन मूल्य पर बेचने के बाद किसानों को रुपए आने का इंतजार करना पड़ता है। वहीं उपज में नमी आदि को लेकर भी बेवजह किसानों को परेशान किया जाता है। इन परेशानियों से बचने के लिए किसान मंडी में उपज बेचना उचित समझते हैं। वही सरकारी खरीदी व मंडी के दाम में ज्यादा अंतर नहीं है।
सोयाबीन की कीमतें क्यों बढ़ सकती हैं
ब्राजील में बाढ़ के कारण सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ है। साथ ही अमेरिका में सोयाबीन तेल की मांग तेजी से बढ़ी है। डीओसी (डियोइल्ड केक) और अन्य सोयाबीन उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि हुई है।
घरेलू बाजार में मांग
भारत में त्योहारी के साथ शादी के सीजन के बाद सोयाबीन उत्पादों की मांग बढ़ गई है। बीज क्वालिटी के सोयाबीन की कीमतें पहले ही 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी हैं। वही आने वाले दिनों में किसानों को भाव बढऩे की उम्मीद है। सोयाबीन कारोबारी और विशेषज्ञ मानते हैं कि जनवरी 2025 तक कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी।