उज्जैन, अग्निपथ। सुसंस्कृत, संस्कारवान समाज व राष्ट्र निर्माण के लिए बेटियों को पढ़ाना, उनकी सुरक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। बेटियों के बिना परिवार, समाज राष्ट्र अकल्पनीयहै तो सामाजिक असंतुलन, असमानता ही परिणाम होगा।
हमारे समाज राष्ट्र को सदैव बेटियों ने अपने साहसिक कार्यों से गौरवान्वित किया है। बेटियाँ परिवार को भावनात्मक, रचनात्मक सहयोग से खुशहाल बनाती है। परिवार, समाज, राष्ट्र के निर्माण में बेअियाँ जल, वायु और भोजन की भूमिका में होती है। बेटियाँ परिवार की आधारशिला है। सामाजिक विकास बेटियों के सद्प्रयासों से ही सम्भव है। उक्त विचार माननीय कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने डॉ. आम्बेडकर पीठ और महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना में हम होंगे कामयाब’ पखवाड़ा के अन्तर्गत एक दिवसीय जिलास्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।
कुलगुरु प्रो. भारद्वाज ने कहा कि बेटी शुभकामनाएँ हैं जिसकी शुभइच्छा भावना से परिवार, समाज, राष्ट्र खुशहाल और पल्लवित होता है। वर्तमान समाज में अनेक परिवर्तनों से बेटियों की स्थिति में दिन प्रतिदिन बदलाव आ रहा है। बहुत आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने की। बेटियों के प्रति स्वस्थ और सकारात्मक सोच की।
बेटियों को पढ़ाना, लिखाना उन्हें बेहतर जीवन के लिए कामयाब बनाना परिवार, समाज का प्राथमिक कर्त्तव्य है। बेटी अच्छे स्वास्थ्य और उनकी सामाजिक सुरक्षा सबसे अच्छी सामाजिक निवेश योजना हो सकती है। वित्तीय स्वतंत्रता बेटे-बेटी दोनों के लिए आज के बदलते युग की अहम जरूरत है। यही समाज में भी बेहतर संतुलन बनाने में अहम् भूमिका निभाती है। यहीं से जेंडर इक्वेलिटी की, बराबरी की शुरुआत है, जिसमें सुनिश्चित ही हम कामयाब होंगे’।
स्वागत भाषण श्रीमती प्रियंका त्रिाठी प्रोव्हीजन अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिया। कार्यशाला की समुचित रूपरेखा नीलेश दुबे, ममत, एच.आई.एम.सी. यूनीसेफ कार्यक्रम ने प्रस्तुत की।
एक दिवसीय जिलास्तरीय कार्यशला तीन सत्र में सम्पन्न हुई। जिनमें जेंडर एवं सामाजिक नियम, समाज में प्रचलन-चुनौतियाँ एवं अवसर, उज्जैन जिले में बाल संरक्षण के मुद्दे चुनौतियाँ और अवसर, बच्चों और महिलाओं हेतु महिला एवं बाल विकास की योजनाएँ एवं कार्यक्रम, युवाओं के बीच मनोसामाजिक मुद्दें की चुनौतियों, जेंडर फोरम का गठन, प्रक्रिया, गतिविधि एवं रिपोर्टिंग जैसे समसामयिक विषयों पर विमर्श हुआ।
तराना, घट्टिया, उन्हेल, बडऩगर, महिदपुर, नागदा, माकड़ोन, आगर रोड, खाचरौद, कायथा के प्राध्यापकों, विद्यार्थियों ने सहभागिता की। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में आदित्य बिरला फाउंडेशन के सोशल सायक्लोजिस्ट निखिल मिश्रा, रोहित वर्मा राज्य समन्वयक, महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी सुप्रियंका जायसवाल, प्रोव्हीजन अधिकारी प्रियंका त्रिपाठी, यूनीसेफ कार्यक्रम के जिला समन्वयक नीलेश दुबे ने विषयगत बारीकियों, सम्भावित कार्ययोजना, रणनीति पर विमर्श किया। फार्मेसी अध्ययनशाला के आचार्य प्रो. कमलेश दशोरा विशेष रूप से उपस्थित थे।