सन 2017-19 के चुनाव में धांधली और पत्रकारों को फर्जी बताने वाले विरोधियो की हुई हार
उज्जैन, अग्निपथ। सोसायटी फॉर प्रेस क्लब को न्यायालय प्रथम व्यवहार न्यायधीश वर्ग 2 ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राहत दी है। न्यायालय ने वादीगण द्वारा प्रस्तुत वाद को निरस्त किया गया है।
वादीगण निरूक्त भार्गव, शैलेन्द्र कुल्मी, सुनील मगारिया, सचिन कासलीवाल व जय कौशल ने सोसायटी फॉर प्रेस क्लब के विरूद्ध एक वाद दायर किया था।
वादीगणों द्वारा सोसायटी फॉर प्रेस क्लब में वर्ष 2017-2019 के निर्वाचन को चुनौती दी गई थी। वादीगणों द्वारा सोसायटी फॉर प्रेस क्लब द्वारा मतदाता सूची में शामिल किए गए नये सदस्यों को अवैधानिक रूप से शामिल करना बताया गया था। अपने फैसले में न्यायाधीश श्रीमती मीनू पचौरी ने लिखा कि प्रकरण के अवलोकन से दर्शित है कि वादीगणों द्वारा न्यायालय के समक्ष प्रतिवादी संस्था के निर्वाचन 2017 से 2019 को चुनौती देते हुए वाद प्रस्तुत किया था। यह कि वर्ष 2019 में प्रतिवादी एक संस्था के पुन: निवार्चित हो चुके हैं। उक्त समस्त तथ्यों को वादी द्वारा भी स्वीकार किया गया है, अत: यह साबित होता है कि वर्तमान वाद में कोई वाद कारण शेष नहीं रह गया है। इसीलिए उक्त वाद विधि द्वारा वर्जित होकर प्रचलन योग्य नहीं है। अत: वादी द्वारा प्रस्तुत वाद निरस्त किया जाता है। सोसायटी फॉर प्रेस क्लब की ओर से प्रकरण की पैरवी अभिभाषक राजकुमार झंवर ने की।
इन पर थी आपत्ति
वादीगणों को अभिमन्यु सिंह चंदेल, अभिषेक नागर, चेतन्य वशिष्ठ, गोविंद यादव, घनश्याम शर्मा, जगमोहन जायसवाल, मेहंदी हुसैन, प्रेम डोडिया, प्रणवचन्द्र मोहन, राजेशसिंंह कुशवाह, सुरेश सोनी, सोहनसिंह ठाकुर, एसएन सोमानी, शुभम बमने, शिरीष राव मोरे, शुभम जायसवाल, शैलेष नागर, शिवेन्द्रसिंह भदौरिया, योगेश शर्मा, वरूण पण्ड्या, विवेक सोनी, विजय शर्मा तथा राजेन्द्र पुरोहित के नाम को मतदाता सूची में अवैधानिक रूप से शामिल करना बताया था।