‘चरक’ के गोरखधंधे की: शुक्रवार को खुलेगी ‘पोल’..!

उज्जैन। लापरवाही-बदइंतजामी-वैश्यावृत्ति और गरीब मरीजों को लूटने में चरक अस्पताल कुख्यात है। निजी अस्पतालों से सेटिंग चरक का पसंदीदा धंधा है। मुफ्त में इलाज की चाह रखने वालो को, रैफर करके लूटने का धंधा वर्षो से जारी है। कभी किसी कलेक्टर ने इस पर अंकुश लगाने की कोशिश नहीं की। अब जाकर इस धंधे पर अंकुश लगाने की कोशिश हुई है। जिसका खुलासा आगामी शुक्रवार को हो जायेगा।

कलेक्टर आशीषसिंह की कार्यशैली हिम्मत वाली है। बर्रे के छत्ते में हाथ डालकर, सबको आश्चर्य में डालना उनकी पुरानी आदत है। ताजा मामला रैफरल कांड से जुड़ा है। जिसकी जांच उन्होंने जिपं सीईओ अंकित अस्थाना को सौंपी है। जिन्होंने 20 सदस्यीय जांच दल बनाया है। जो कि गुरुवार तक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। शुक्रवार को यह रिपोर्ट कलेक्टर को पेश कर दी जायेगी। जिसके बाद चरक के गोरखधंधे की पोल खुलना पक्का है।

9 बिंदुओं पर जांच …

मंगलवार को जनसुनवाई चल रही थी। तभी मौका मिलने पर जिपं सीईओ अंकित अस्थाना से रैफरल कांड की जांच पर सवाल पूछा। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि शुक्रवार 5 मार्च तक कलेक्टर को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी जायेगी। उन्होंने बताया कि भर्ती महिला मरीजो की सूची की जांच उपरांत, कुल 242 महिलाएं चिन्हित की गई है। जिनके घर जाकर दल वस्तु स्थिति की जांच करेगा। 20 जिलाधिकारियों का दल बनाया गया है। इधर जांच दल में शामिल हमारे सूत्रों का कहना है कि 9 बिंदूओं पर जांच करनी है। जिसमें मरीज का नाम- चरक में भर्ती दिनांक- प्रसव पूर्व अन्य अस्पताल जहां ले जाया गया- अन्य अस्पताल ले जाने का कारण- क्या किसी डॉक्टर अथवा अस्पतालकर्मी की सलाह पर भेजा-डॉक्टर और अस्पतालकर्मी का नाम-प्रसव दिनांक-अन्य अस्पताल ले जाने हेतु एम्बुलेंस पर निजी व्यय और जिस अस्पताल में प्रसव हुआ, वहां किया गया व्यय…इस जांच में शामिल है।

मुख्यमंत्री आयेंगे …

9 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह का उज्जैन आगमन होने वाला है। प्रशासन ने उनके आगमन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। आचार संहिता लगने के पहले मुख्यमंत्री का आगमन हो रहा है। निगम द्वारा 9 मार्च को लोकार्पण और भूमिपूजन करवाया जा सकता है।

Next Post

<span style='color:red'>अनोखा गणित... </span> 24 हजार कम, 15 हजार रुपये ज्यादा..!

Tue Mar 2 , 2021
उज्जैन। गणित के अनुसार 24 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान ज्यादा होता है और 15 हजार रुपये का कम। मगर नगर निगम में सबकुछ उल्टा-पुल्टा होता है। तभी तो 24 हजार रुपये कम और 15 हजार ज्यादा का मामला, निगम के गलियारों में सुनाई दे रहा है। मामला किराये पर […]