अनोखा गणित… 24 हजार कम, 15 हजार रुपये ज्यादा..!

उज्जैन। गणित के अनुसार 24 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान ज्यादा होता है और 15 हजार रुपये का कम। मगर नगर निगम में सबकुछ उल्टा-पुल्टा होता है। तभी तो 24 हजार रुपये कम और 15 हजार ज्यादा का मामला, निगम के गलियारों में सुनाई दे रहा है। मामला किराये पर ली जाने वाली टैक्सी की निविदा से जुड़ा है।

नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल भले ही ईमानदार है। मगर उनके निचले स्तर के मातहत, अपनी हरकतों से बाज नहीं आते है। मकसद यही होता है कि… अपनी ही संस्था नगर निगम को कैसे चूना लगाये। तभी तो निगम के गलियारों में टैक्सी के लिए निकली निविदा पर सवाल उठ रहे है। गलियारों में यह चर्चा आम है कि संबंधित अधिकारी को 24 हजार प्रतिमाह का किराया कम लगता है और 15 हजार का किराया ज्यादा लगता है।

पूर्वाग्रह…

विनायक ट्रेवल्स और वीर तेजाजी टे्रवल्स भले ही 2 फर्म है। मगर पर्दे के पीछे मालिक एक ही है। यह सर्वविदित है। कोरोना काल में हुए परिवहन दलाली कांड में दोनों फर्म का नाम प्रमुखता से सामने आया था। करीब 70 लाख का यह मामला था। इसके बाद भी अपर आयुक्त वित्त ने 2 बार रि-कॉल टेंडर शब्द का उपयोग किया। जिसको लेकर निगम के गलियारो में यह चर्चा आम है कि…अपर आयुक्त पूर्वाग्रह से ग्रसित है। तभी तो न्यूनत्तम दर पर टैक्सी देने वाली सालासर बालाजी फर्म को वर्क आर्डर देने में अडंगे लगा रहे है। जबकि संस्था हित में विनायक ट्रेवल्स के रेट से कम दर में वाहन नगर निगम को मिल रहे है। तो फिर वर्क आर्डर देने में तकलीफ क्या है।

यह है मामला …

किराये पर लेने वाले वाहनों के लिए नपानि द्वारा निविदा निकाली गई थी। जिसमें विनायक टूर एण्ड टे्रवल्स, वीर तेजाजी टूर एण्ड टे्रवल्स एवं सालासर बालाजी लाजिस्टिक ने अपने-अपने रेट डाले थे। नियत समय पर निविदा खुली। हमारे सूत्रों का कहना है कि…विनायक की दर 24 हजार तो सालासर की 15 हजार प्रतिमाह थी। जिसके बाद फाइल निविदा समिति के पास गई। मगर अपर आयुक्त वित्त गणेश धाकड़ ने पुन: टेंडर की आपत्ति दर्ज करा दी।

जबकि न्यूनत्तम दर 15 हजार आई थी। निगम गलियारों में यही चर्चा है। इसके बाद भी वित्त विभाग की आपत्ति यही है कि…इतनी कम दर में सालासर द्वारा सेवाएं प्रदान करना संभव नहीं है। इसलिए रि-कॉल टेंडर किये जाये। ऐसा 1 नहीं 2 बार हो चुका है। ताज्जुब वाली बात यह है कि अपर आयुक्त वित्त ने दोनों बार आदेशात्मक भाषा में रि-कॉल के लिए लिखा। जबकि उनका काम केवल समिति सदस्य होने के नाते सहमति या असहमति दर्शाना होता है। टेंडर पुन: बुलाने का अधिकार आयुक्त नगर निगम की मर्जी पर होता है।

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