धोखाधड़ी और अमानत में खयानत का प्रकरण दर्ज, और भी नाम आ सकते हैं सामने
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में दर्शन और भस्मआरती घोटाले में 2 लोगों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने गुरुवार को उन्हें जेल भेज दिया और इसी मामले में 6 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत का केस दर्ज किया है। अब इन आरोपियों से पूछताछ होगी तो और भी नाम सामने आ सकते हैं। महाकाल मंदिर में दर्शन और भस्मआरती मेंं शामिल होने वाले दर्शनार्थियों सेअवैध वसूली का गौरखधंधा कईं सालों से चल रहा था।
एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि पिछले दिनों महाकाल मंदिर में भस्मआरती और दर्शन के नाम पर दर्शनार्थियों से अवैध वसूली की शिकायत सामने आई थी। जांच की गई तो परत-दर-परत दर्शन के नाम पर वसूली का बड़ा स्कैम सामने आया। सबसे पहले पुलिस ने नंदी हॉल प्रभारी राकेश श्रीवास्तव और सफाई प्रभारी विनोद चौकसे को हिरासत में लेकर पूछताछ की।
पहले तो आरोपियों ने पुलिस के सामने कुछ नहीं कबूला, बोले – कलेक्टर साहब के सामने ही अपने बयान देंगे। इस पर कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने स्वयं महाकाल थाने पहुंचकर आरोपियों के बयान दर्ज किए।
इसी पूछताछ में दोनों आरोपियों ने और भी कईं नाम कबूले जो दर्शनार्थियों से ठगी के इस मामले में भागीदार हैं। पुलिस ने गुरुवार को राकेश श्रीवास्तव और विनोद चौकसे को कोर्ट में पेश किया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
एसपी ने बताया दर्शन घोटाले के इस मामले में 6 नाम और सामने आए हैं जिनमें आईटी सेल प्रभारी राजकुमार ङ्क्षसह, सभा मंडप प्रभारी राजेंद्र सिसौदिया, प्रोटोकॉल प्रभारी अभिषेक भार्गव, भस्मआरती प्रभारी रितेश शर्मा सहित क्रिस्टल कंपनी के जितेंद्र पंवार और ओमप्रकाश माली हैं। पुलिस ने राजकुमार, अभिषेक, राजेंद्र और जितेंद्र को दोपहर में गिरफ्तार कर लिया।
जबकि रितेश शर्मा और ओमप्रकाश माली को ड्यूटी पर आने के बाद हिरासत में लिया जाएगा। आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 और अमानत में खयानत की धारा 406 के तहत अपराध दर्ज किया है।
क्या है भस्म आरती दर्शन घोटाला
महाकाल बाबा की भस्मआरती में शामिल होने के लिए सामान्य दर्शनार्थियों के अलावा वीआईपी कोटा निर्धारित किया गया है। इसके लिए विशेष अनुमति दी जाती है। यह अनुमति वरिष्ठ अधिकारियों के अनुमोदन के बाद स्वीकृत की जाती है। आरोप है कि ये लोग भस्मआरती की परमिशन बेचते थे।
मसलन भस्मआरती की स्वीकृति के लिए जहां महाकाल मंदिर में एक दर्शनार्थी की 200 रुपए की रसीद काटी जाती है वहीं ये लोग दर्शनार्थियों से वीआईपी दर्शन के नाम पर 1100 रुपए से लेकर 3-3 हजार रुपए तक की वसूली करते थे।
विनोद और राकेश को जेल भेजा
महाकाल मंदिर दर्शन घोटाले में सबसे पहले पकड़ाए सफाई प्रभारी विनोद चौकसे और राकेश श्रीवास्तव की गुरुवार को रिमांड अवधि पूर्ण हो गई। पुलिस ने दोनों को दोपहर के बाद न्यायालय में पेश कर दिया था। न्यायाधीश ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया है।
कंट्रोल रूम में भी गड़बड़झाला
जानकारी में आया है कि कंट्रोल रूम से भी पैसों के इस लेन देन के वीडियो डिलीट कर दिये जाते थे, जिसके लिये बकायदा 20 हजार रुपये महीना लिया जाता था। इसकी डीवीआर गायब है। कंट्रोल रूम में सही कर्मचारियों को नहीं बैठाने के कारण भी इस तरह की भ्रष्टाचार की बाढ़ महाकालेश्वर मंदिर आ रही है, जिस पर रोक लगाने की भी जिम्मेदारी इनकी बनती है। गर्भगृह में कौन प्रवेश कर रहा है, मंदिर कहां पर ज्यादा भीड़ हो रही है, इसकी जानकारी कंट्रोल रूम वाले प्रशासक को मुहैया नहीं कराते हैं।
कस्टडी में लिये गये कर्मचारियों की सैलरी 32 से 35 हजार
कस्टडी में लिये गये मंदिर समिति के चार कर्मचारियों की सैलरी 32 से 35 हजार बताई जा रही है। इस मुकाबले यदि इनकी सैलरी के मुताबिक गणना की जाय तो सच्चाई सामने आ सकती है। साथ ही इनकी संपत्ति की जांच भी पुलिस ईओडब्ल्यू से कराए तो मामला पूरी तरह से साफ हो सकता है।