दिल्ली तक प्रदर्शन, पीथमपुर में रैली के रूप में हुआ प्रदर्शन, सरकार को दिया अल्टीमेटम
धार, अग्निपथ। भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का जहरीला रसायनिक कचरा निपटान के लिए आखिरकार धार जिले की औद्योगिक नगरी पीथमपुर पहुंच गया। कड़ी सुरक्षा के बीच 12 ट्रकों में 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को गुरुवार सुबह पीथमपुर पहुंच गया। लेकिन इससे पहले पीथमपुर छावनी बन गया। यहां करीब 300 से ज्यादा जवान तैनात हैं। बता दें कि यहां 1200 डिग्री सेल्सियस पर फनेंस के साथ कचरा जलाया जाएगा। उधर कचरा जलाने को लेकर पीथमपुर में विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार को पीथमपुर बंद का आह्वान किया गया।
इस बीच भोपाल गैस त्रासदी के जिम्मेदार जहरीले कचरे को पीथमपुर में नहीं जलाने की गूंज पीथमपुर से दिल्ली तक पहुंच चुकी है। लोग एक स्वर में अपनी जमीन और पर्यावरण को बचाने की मांग कर रहे हैं। यह आंदोलन प्रदेश की राजनीति और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। पीथमपुर में कचरे निष्पादन के खिलाफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन, योगेश यादव भी उतर आये है।
गुरुवार को पीथमपुर में दिनभर कचरे के खिलाफ आंदोलन चलता रहा। सुबह पीथमपुर बचाओ समिति और रक्षा मंच के आव्हान पर एक जुट होकर रैली के रूप में आयशर चौराहे के पास महाराणा प्रताप बस स्टैंड पहुंचे। इस दौरान युवाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक और सांसद को भी कटघरे में खड़ा किया।
वक्ताओं ने कहा कि पीथमपुर में किसी भी परिस्थिति में कचरे एक निष्पादन नहीं होने देगे। हाईकोर्ट में पीथमपुर का मजबूती से पक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कचरे के प्रभाव से 2 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होगे। इससे बच्चे कैंसर, चर्म रोग जैसी बीमारियों से पीडि़त होगे।
दरअसल, गुरुवार तडक़े चार बजे पीथमपुर की रामकी कंपनी में जहरीले कचरे के 12 कंटेनर भारी सुरक्षा के बीच पहुंच गए। इसके बाद से विरोध की लहर तेज हो गई है। स्थानीय संगठनों, राजनीतिक दलों, और जनता ने इसे क्षेत्र की सुरक्षा और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बताते हुए व्यापक प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
पीथमपुर बचाओ समिति ने दिल्ली में दिया धरना
भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को लेकर पीथमपुर बचाओ समिति ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया। समिति ने स्पष्ट मांग की कि यह कचरा पीथमपुर में नहीं जलाया जाए। प्रदर्शनकारियों ने इसे क्षेत्र के पर्यावरण और जनता के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया। समिति के अध्यक्ष डॉ. हेमंत हीरोले ने चेतावनी देते हुए कहा, अगर पीथमपुर में इस जहरीले कचरे को जलाने की कोशिश की गई, तो हम संसद भवन का घेराव करेंगे।
सरकार को क्षेत्र की जनता की सुरक्षा के प्रति गंभीर होना चाहिए। डॉ. हीरोले ने बताया कि इस कचरे के जलने से निकलने वाली गैसें बेहद जहरीली हैं, जो न केवल स्थानीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगी, बल्कि आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। इन गैसों के कारण कैंसर, सांस की बीमारियां और अन्य गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। समिति ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह उद्योगों के दबाव में आकर पीथमपुर की जनता की परवाह नहीं कर रही है।
पीथमपुर में युवाओं का आमरण अनशन
कचरे के खिलाफ 3 जनवरी को व्यापक स्तर पर पीथमपुर बंद का ऐलान किया गया है। आज सभी स्कूल, उद्योग, दुकानों और वाहनों के संचालन को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। व्यापारिक संगठनों ने भी बंद का समर्थन किया है। सुबह से युवाओं की टीम कचरे के खिलाफ प्रदर्शन करेगी।युवा नेता संदीप आमरण अनशन पर बैठे युवा नेता संदीप रघुवंशी और सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडिया के साथ मिलकर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
उन्होंने कहा कि पीथमपुर को भोपाल नहीं बनने देंगे। जबतक प्रशासन हमारी मांगे नहीं मान लेता तब तक हम अनशन पर बैठेंगे। वही सैलाना विधायक कमलेश डोडिया ने कहा कि इस कचरे को अमेरिका भेजा जाना चाहिए। सरकार अपने ही देश लोगो की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। इस अवसर पर जयस के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
कांग्रेस का आक्रामक रुख
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पीथमपुर की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मुलाकात की। उन्होंने कहा, यह केवल पीथमपुर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की पर्यावरणीय सुरक्षा का मामला है। कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों की जान खतरे में डालकर उद्योगों के दबाव में यह कचरा पीथमपुर लाया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव कह रहे हैं कि वे लोगों को समझायेंगे कि इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं होगा उन्हें समझाना भी चाहिए लेकिन हम चाहते कि एक ठोस वैज्ञानिक आधार जनता के सामने लाया जाये जो इस बात की ग्यारंटी दे कि विषैला कचरा जलाने के बाद इससे कुच्छ भी प्रभावित नहीं होगा।
जनता में रोष, सरकार पर सवाल
कचरे को लेकर जनता में आक्रोश बढ़ गया है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि जहरीले कचरे के कारण क्षेत्र के जल, मिट्टी और वायु पर गंभीर असर पड़ सकता है। जनता ने सरकार से तत्काल इस कचरे के सुरक्षित निपटान की मांग की है। मांगें और समाधान जहरीले कचरे को तुरंत पीथमपुर से हटाया जाए। सरकार इस मामले में स्थानीय जनता को विश्वास में ले। विशेषज्ञों की निगरानी में दूसरी जगह निपटान की व्यवस्था हो।
2015 में भी यहां जलाया गया था कचरा
बता दें कि पीथमपुर स्थित भस्मक में 13 अगस्त 2015 को भी यूनियन कार्बाइड से 10 टन जहरीले कचरा निस्पादन के लिए भेजा गया था। तब परीक्षण के तौर पर तीन दिन जलाया गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रायल रन के दौरान भस्मक में हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया गया था। इसी ट्रायल रन रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के निर्देश दिए हैं।
जनता की शंकाओं को दूर कर सावधानी पूर्वक किया जायेगा कचरे का विनिष्टीकरण: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनिष्टीकरण के लिये सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कार्रवाई की जा रही है। कचरे का निष्पादन जनता की शंकाओं को दूर कर सावधानी पूर्वक किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जनता के सरोकार प्राथमिकता में सबसे ऊपर है, कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई सतत् निगरानी में की जायेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हादसे के 40 वर्ष बीतने के बाद भोपाल में रखा लगभग 337 मीट्रिक टन कचरे का हानिकारक प्रभाव खत्म हो गया है। उन्होंने बताया कि बचे हुए शेष कचरे में 60 प्रतिशत से अधिक केवल स्थानीय मिट्टी, 40 प्रतिशत में 7-नेपथॉल, रिएक्टर रेसिड्यूज और सेमी प्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। इसमें मौजूद 7-नेपथॉल रेसीड्यूस मूलत: मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका विषैला प्रभाव 25 साल में लगभग समाप्त हो जाता है। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को मार्च, 2013 में दिये गये निर्देशानुसार केरल कोच्चि स्थित हिंदुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड के 10 टन यूनियन कार्बाइड के समान कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित ञ्जस्ष्ठस्न में ट्रायल रन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया गया। सफल ट्रायल रन का प्रतिवेदन सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
मुख्य सचिव ने 3 बिन्दुओं पर कराई जांच
कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई के संबंध में समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये जा रहे निर्देशों के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव ने विस्तृत रूप से तीन बिंदुओं को आधार बनाकर पृथक से जांच कराई। जांच के बिंदु:- आसपास के गांवों में स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, फसल की उत्पादकता पर प्रभाव और क्षेत्रीय जल स्त्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण थे।
तीनों बिंदुओं के परीक्षण में यह पाया गया कि यूसीआईएल कचरे के निष्पादन से किसी भी प्रकार के नकारात्मक परिणाम परिलक्षित नहीं हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर शासन पूरी तरह से संवेदनशील हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्यप्रदेश प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही सभी संबंधित टीमों की सतत् निगरानी में विनिष्टीकरण की कार्रवाई की जाएगी