भव्य कलश यात्रा से हुई 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की शुरुआत

उज्जैन, अग्निपथ। राष्ट्रीय जागरण अभियान के तहत अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार अखंड ज्योति परम वंदनिया माता जी जन्म शताब्दी वर्ष में महाकाल की नगरी उज्जैन मे 24 कुंडी गायत्री महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत प्रज्ञा पुराण कथा का शुभारंभ हुआ। विद्यापति कॉलोनी में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की शुरुआत में 6 जनवरी को कलश यात्रा विद्येश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गो से भ्रमण करती हुई पुन: महादेव मंदिर पहुंची।

उर्मिला तोमर ने बताया कि अतिथि गिरीश व्यास, रजनीश व्यास ने सपत्नीक कलश पूजन किया। भव्य शोभा कलश यात्रा में महापौर मुकेश टटवाल भी शामिल हुए। रास्ते में पुलिस पेंशनर संघ द्वारा अध्यक्ष प्रमोद सिंह भदोरिया, योगेंद्र सिंह सेंगर, जगदेव सिंह सेंगर, अखिलेश तिवारी, आत्माराम चौहान, रामनरेश यादव, यशपाल यादव, रामसे पचौरी, कन्हैयालाल आदि कई सदस्यों ने मंच के माध्यम से पुष्प वर्षा कर कलश यात्रा का भव्य स्वागत किया।

इसी के साथ शांतिकुंज हरिद्वार से आए गायत्री परिवार के कथा व्यास सूरत सिंह अमृते के द्वारा श्रीमद् प्रज्ञा पुराण की पावन कथा का श्रीगणेश हुआ। जिसमें संगीत कर्मकांड की टीम में गोपाल मालवीय, सुनील बंशीधर, नीरज विश्वकर्मा एवं सुनील वर्मा ने मंत्र कर्मकांड से श्रीमद् प्रज्ञा पुराण कथा का पूजन संपन्न कराया।

कथा व्यास अमृतेजी ने कथा में कहा कि समस्त दुखों का कारण अज्ञान ही है और अज्ञान के कारण ही व्यक्ति को जो खाना चाहिए वह नहीं खाता है जो पीना चाहिए वह नहीं पीता है जो सोचना चाहिए वह नहीं सोचता है जो नहीं करना चाहिए वह करता है। इसीलिए उसके जीवन में नाना प्रकार की बीमारी हो रही हैं। और जो नहीं होना चाहिए वह हो रहा है।

अज्ञान के कारण आदमी भटक रहा है। संसार में धन और दौलत में सुख खोजता है। लेकिन वास्तविक सुख जो है वह आत्मज्ञान में है। ज्ञान का प्रकाश होते ही रत्नाकर वाल्मिक ऋषि बन जाते है। अंगुलिमाल बौद्ध भिक्षुक बन जाते है। आदमी को पता चल जाए कि कल फांसी होनी है तो उसके बाल रात भर में काले से सफेद हो जाते हैं। लेकिन ज्ञान के बल पर ही जेल में भगत सिंह दंड बैठक मारता है और उनका वजन बढ़ जाता है। कथा जीवन की व्यथा को हर लेती है। दुख तो ज्ञान के बल पर समाप्त हो जाते हैं। ज्ञान ही था जिसके कारण हमारा देश जगत गुरु था। इसीलिए दैहिक दैविक भौतिक तापा रामराज काहू नहीं व्यापा।

किसी प्रकार का अनाचार पापा चार नहीं होता था इस कारण से यहां पर कोई भी पापी नहीं थे। ज्ञान के बल पर रामराज्य था। गृह गृह सबके हुई पुराना। सबके घर घर में ज्ञान की कहानी बच्चों को पढ़ाई जाती थी। सबके घर घर में रामायण और गीता पुराण पढ़ी जाती थी। हर बच्चा ज्ञान से ओतप्रोत रहता था।

बच्चों को 15 मिनट आध्यात्मिक ज्ञान दें

कथा में कथा व्यास ने बताया कि अपने बच्चों को अज्ञान से बचाना है तो कम से कम 10 मिनट 15 मिनट उसको आध्यात्मिक ज्ञान दें। माता-पिता उनके साथ बैठे और छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से उनको मोटिवेट करें। कथा में बड़ी संख्या में भाई बहनों ने भाग लिया। कथा व्यास अमृतेजी ने बताया आज 7 तारीख को सुबह 8:30 से 24 कुंडली गायत्री महायज्ञ प्रारंभ होगा और 2 बजे से शाम 5 बजे तक बालक कौशल शिविर, कन्या कौशल शिविर, युवा दंपत्ति शिविर होगा। शाम 5 बजे प्रज्ञा पुराण का द्वितीय खंड पारिवारिक जीवन में स्वर्ग का अवतरण कैसे हो हमारे बच्चे भाई देवता कैसे बने हमारी बेटियां हमारे हमारी माताएं बहने देवी कैसे बने उनके अंदर देवत्व का जागरण कैसे हो पारिवारिक जीवन कैसे जिए।

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