अपनी उंगलियों को रील की जगह वेदों के पन्नों को पलटने में लगाए : अंजली आर्य

नागदा, अग्निपथ। सेवाराम जी की बावड़ी आर्य गार्डन पर चल रही वैदिक श्री कृष्ण कथा के तृतीय दिवस में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।
कथावाचिका अंजली आर्य ने कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि आजकल के बच्चों को रील बनाते समय कमरा बंद करना पड़ रहा है, अर्थात वह स्वीकार कर रहे हैं कि हम कुछ गलत कर रहे हैं। वही गीता, रामायण, वेद धार्मिक पुस्तकों को पढऩे के लिए कमरा बंद करने की जरूरत नहीं पड़ती।

आर्या ने आगे कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए बच्चो के पालने का अर्थ बताते हुए कहा कि माँ अपने बच्चों को लोरी के माध्यम से जो संवाद करके पालती थी उन्हें वेदों के मंत्रों को सुनाती थी तो वही उसके मन-मस्तिष्क में चलता था और आगे उसका व्यक्तित्व निर्माण होता था परंतु आजकल की माताएँ बच्चों को गोदी में सुलाते-सुलाते मोबाइल में रील देखने में व्यस्त है तो उसका निर्माण कैसे होगा?

कथा में आज विशेष यह रहा कि मुख्य अतिथि के रूप में सफाईकर्मी बहने मौजूद थी तथा कथावाचिका अंजली आर्य ने व्यास पीठ से उनका स्वागत किया। कथा में अतिथि के रूप में विधायक डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान, सुबोध स्वामी, नरेंद्र पटेल, संदीप व्यास, एकता नारी संगठन, श्याम परिवार महिला मंडल, सर्व ब्राह्मण महासभा, सर्व महिला मंडल, गोविंद रघुवंशी, बद्रीलाल पोरवाल, गोविंदा मोहता, डॉ. अनिल दुबे, डॉ. सुनील चौधरी, डॉ हिमांशु पांडे, डॉ रमेश जोशी, अभिषेक चौरसिया, हरचरण सिंह चावला, गोपाल सलूजा, पत्रकार नीलेश रघुवंशी, राजेश रघुवंशी, किराना व्यापारी संघ सदस्य एवं विजय व्यास उपस्थित रहे।

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