अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
सीटी की आवाज हमारे ही लिये थी। हम भूल बैठे थे कि हम दूसरे देश में आ गये हैं, मात्र 100 फुट दूर उस पार हिंदुस्तान और इस ओर भूटान दोनों में जमीन आसमान का अंतर। अपने देश में तो जब मन करें कहीं से भी सडक़ पार कर लो पर भूटान में ऐसा नहीं था। सडक़ पर बने हुए जेबरा क्रॉसिंग से ही आप सडक़ पार कर सकते हो। सीटी इसीलिये बजी थी कि हम गलत जगह से सडक़ क्रास कर रहे थे। हमारा गाईड थोड़ा पीछे थे उसने आकर समझाया अँग्रेजी में कि ऐसे क्रास नहीं करना है वर्ना फाईन लग जायेगा। पहले ही दिन, झटका लगा अभी तो 7 दिन रहना है। आगे चलकर हम सभी लोग जेबरा क्रॉसिंग पर जाकर खड़े हुए।
मैं यह देखकर दंग रह गया कि हम 140 करोड़ भारतीयों से 8 लाख भूटानी ज्यादा अनुशासित है। उस सडक़ पर चल रहे सारे वाहनों के पहिये थम गये पहले हम सबको सम्मानजनक तरीके से सडक़ पार करने के बाद ही सारे वाहन आगे बढ़े। मन प्रसन्न हो गया। साफ-सुथरा भूटान, स्व अनुशासन को देखते-देखते इमीग्रेशन सेंटर की इमारत आ गयी।
हमारे गाईड टेकराज जी महाराज थे तो स्मार्ट परंतु अनुभव की कमी से थोड़ी परेशानी जरूर हो रही थी। लगभग 1 घंटा लग गया सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करने में। गाईड होने के कारण हमें कुछ भी परेशानी नहीं हुयी सारा काम टेकराज ने ही किया। हम लोगों को तो बस अपना सुंदर सा थोबड़ा कैमरे के सामने करना पड़ा। हमारे पासपोर्टों पर सील लग गयी भूटान में प्रवेश की ओर भूटान में रहने के अंतिम दिवस 12 जनवरी की। जिन साथी के पास पासपोर्ट नहीं था उन्हें अनुमति पत्र बनाकर दे दिया गया।
इमीग्रेशन सेंटर से निकलकर कुछ साथियों ने अपने चलायमान फोन में भूटान की सिम डलवा ली। एक सिम टूर आपरेटर की तरफ से हमारे ग्रुप को दी गयी थी। लगभग 11:30 बजे के लगभग हम निकल पड़े फुटशोलिंग से भूटान की राजधानी और हमारे पहले पड़ाव थिम्पू की ओर।
घडिय़ों में आधे घंटे का अंतर
हाँ एक बात और भूटान में प्रवेश करते ही कलाइयों पर बंधी घडिय़ों और मोबाइल फोन की घडिय़ों में आधे घंटे का अंतर आ गया था। भूटान का समय हमारे देश से आगे है। भारत में जब 10 बज रहे होते हैं तब भूटान में लगभग 10:32 का समय होता है। जापान की टोयोटा कंपनी की 65 लाख मूल्य की हाईरूफ हियास बस ड्रायवर सहित नौ लोगों के बैठने की क्षमता वाली थी। चालक के साथ आगे हमारा मार्गदर्शक टेकराज बैठ गया पीछे सोफेनुमा दो सीट आगे, दो मध्य में और तीन पीछे।
सभी सीटें बेहद आरामदायक थी वातानुकूलित हियास बस में पीछे बैठने वाले भी बहुत आरामदायक स्थित में रहते हैं। गाड़ी में डस्टबीन भी रखी हुयी थी। हम निकल पड़े थिम्पू के लिये। मैदानों को हम हिंदुस्तान में ही छोड़ आये थे अब पहाड़ों पर ही सफर करना था सात दिनों तक। 10 किलोमीटर बाद ही जंगल और हरियाली नजर आने लगी।
भूटान के 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 70 से 72 प्रतिशत हिस्सा वनों से आच्छादित है। आपको बता दूँ भूटान में पौधों की 500 से ज्यादा प्रजातियां है जिनमें करीब 300 औषधीय प्रजातियां हैं। पूरे भूटान में 8 करोड़ से अधिक पेड़ हैं। फुटशोलिंग से थिम्पू की दूरी लगभग 145 किलोमीटर है और यात्रा समय 3 घंटे 55 मिनट का दर्शा रहा था मतलब हमें शाम को 5 से 6 बजे के बीच अपनी मंजिल पर पहुँचना था। रास्ते में हम एक जगह लघुशंका के लिये रूके तो एक बोर्ड ने हमारा ध्यान खींच लिया।
शेष कल