पंच रामानन्दीय निर्मोही अखाड़े के व्यवस्थापक नियुक्त हुए संत चरणदास महाराज

उज्जैन, अग्निपथ। श्री पंच रामानन्दीय निर्मोही अखाड़े के व्यवस्थापक के रूप में पांच पंचों की सहमति से संत श्री चरणदास को नियुक्त किया गया है। उक्त जानकारी पत्रकारों से चर्चा करते हुए वरिष्ठ पंच और अंकपात स्थित श्री पंच रामानन्दीय निर्मोही अखाड़े के महंत मदन मोहन दास ने दी। उन्होंने कहा कि आठ में से पांच पंचों की सहमति से व्यस्थापक संत चरणदास महाराज को नियुक्त किया गया ।

महंत मदन मोहन दास ने कहा कि उज्जैन में श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाडे के संचालन का जिम्मा अखाड़े के अधीन पंचों की सहमति से होता है। अखाडे के पंचों को ही उज्जैन में नया व्यवस्थापक, महंत या अन्य कोई भी नियुक्ति करने का अधिकार है। इनमें से चार महंत प्रयागराज महाकुम्भ में व्यस्त थे जिनके नाम इस प्रकार है महंत रामस्वरूपदास चित्रकूट, महंत अयोध्यादास अभिरामपुर गुजरात, महंत राधेबाबा केकडी राजस्थान, महंत दिनेंद्रदास अयोध्या इस समय प्रयागराज महाकुंभ में अपनी व्यस्तता होने के कारण कल उज्जैन में आयोजित साकेतवासी महन्त श्री रामसेवक दास की श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित न हो सके,

श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़ा के भूमि स्वामी पांच पंच महंत भगवानदास, चित्रकूट, महंत नृसिंहदास, चित्रकुट, महंत मदनमोहनदास, वृंदावन और महंत रामसखा दान, चित्रकूट, महंत रामस्वरूप दास, चित्रकूट उज्जैन बैठक में उपस्थित होकर संत चरणदास को एवं अनुपस्थित पंचों को दूरभाष द्वारा सूचित कर उनकी स्वीकृति से उज्जैन बैठक का व्यवस्थापक रुप में नियुक्त किया। जिसमें निर्वाणी अखाड़े के महंत दिग्विजय दास जी महाराज दिगंबर अखाड़े के महंत रामचंद्र दास जी महाराज एवं अध्यक्ष महंत रामेश्वर दास जी महाराज, बेगमपुरा गधा पुलिया के महंत भगवानदास जी, महंत काशी दास जी महाराज, महंत मुनि शरण दास जी महाराज, महंत राघवेंद्र दास जी महाराज आदि संत महंत आदि उपस्थित थे।

नव नियुक्ति व्यवस्थापक संत श्री चरणदास जी महाराज ने कहा कि कहा वे निर्मोही अखाड़ा वृंदावन से 2003 से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पंचों ने जो जिम्मेदारी सौंपी है उसका पूरी जिम्मेदारी से निर्वहन करने का प्रयास करूंगा। आश्रम की व्यवस्था, संतों की सेवा, ठाकुर सेवा करने का प्रयास करूंगा। आश्रम में आने वाले संतों की बेहतर व्यवस्था करने का प्रयास करूंगा। ताकि किसी भी संत को कोई परेशानी न उठाना पड़े। उन्होंंने कहा कि निर्मोही अखाड़े की पांच से सात बैठकें हैं। इस अवसर पर संत राधेश्याम दास जी महाराज भी मौजूद थे।

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