अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
पुनाखा अभी 40 किलोमीटर दूर था और हमें आज ही यानि 8 जनवरी को ही पुनाखा ज्यादा से ज्यादा देखना था। हमारे गाईड टेकराज ने बताया कि पुनाखा में आपको सर्दी थिम्पू की तुलना में कम मिलेगी, यह सुनकर प्रसन्नता हुयी। भूटान का दूसरा महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल पुनाखा समुद्र तल से 1200 मीटर ऊँचाई पर बसा हुआ है। दोचूला दर्रे से लगभग डेढ़ घंटे बाद हम पहुँच गये पुनाखा।
बसे पहले हमें देखना था ‘दजोंग’ को जिसे राजसी किला भी कहा जाता है। 28 हजार 740 जनसंख्या वाले पुनाखावासी इसे बहुत खुशी और आनंद का महल मानते हैं। मो छू और फो छू नदियों के संगम पर बना यह किला सचमुच विशाल है। मो छू नदी को स्त्री और फो छू नदी को पुरुष माना जाता है और इन दोनों के संगम से जो नदी बनती है उसे पुनाखा छू कहा जाता है।
1637 में निर्मित इस ‘दजोंग’ में ही सन् 2011 में भूटान के वर्तमान राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की शादी जेटसन पेमा के साथ हुयी थी। इसे पुंगयांग देवेन दजोंग भी कहा जाता है। भूटान के संस्थापक जबदुंग न्गवांग नामग्याल के पार्थिव शरीर के अवशेष भी महल के तीन में से एक भाग में सुरक्षित हैं इस जगह पर जाने की अनुमति भूटान में सिर्फ तीन ही लोगों को है जिसमें राजा, धर्म प्रमुख एवं एक अन्य है।
नदी के ऊपर निर्मित लकड़ी के पुल से इसमें प्रवेश किया जाता है। बौद्ध धर्म के लामाओं (मकी) का यह शीतकालीन आवास होता है। प्रवेश शुल्क 500 रुपये प्रति व्यक्ति था, इस कारण हम लोग अंदर नहीं गये। भूटान के 20 जिलों में ही इस तरह के प्रशासनिक भवन है पुनाखा के भी इस महल मेें एक हिस्से में प्रशासनिक अधिकारी बैठते हैं दूसरे हिस्से में लामा निवास करते हैं।
यह देखने के बाद पुनाखा के एक और आकर्षण संस्पेंशन पुल को देखने निकल पड़े जो चुड नदी के ऊपर बना हुआ है। हिंदुस्तानियों के लिये यह कोई अनूठी चीज नहीं है हमारे उत्तराखंड हिमाचल में ऐसे कई पुल बने हैं तारों पर। फिर भी हम पुल पार कर नदी के उस पार गये जहाँ पर दो-तीन रेस्टोरेन्ट बने हुए हैं उनमें से एक में चाय पी और दूसरे में वहाँ की ५-६ ग्रामीण महिलाओं से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी से संबंधित पूछताछ दुभाषिये हमारे गाईड और साथी की मदद से की।
महिलाओं ने बताया कि भूटान में भारी और मेहनत के कार्य पुरुष करते हैं और हल्के कार्य महिलायें। उन्होंने साफगोर्ड से स्वीकार किया कि वह भी मदिरा का सेवन करती है। लगभग 45 मिनट की चर्चा के बाद हम लौट चले क्योंकि अब हमें जाना था सबसे दिलचस्प चिमी लखांग फर्टिलिटी मंदिर देखने।
इस बीच गाड़ी के ड्रायवर ने मो चू नदी में राफ्टिंग की पेशकश की परंतु चार्ज बहुत ज्यादा था इस कारण हमने मना कर दिया। हम पहुँच गये प्रजनन क्षमता (शुद्ध हिंदी में) के लिये प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर में। भूटान में ऐसी मान्यता है कि संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों को प्रजनन के लिये यहाँ आकर आर्शीवाद लेना चाहिये।
चिमी लखांग जगह में ऊँचायी पर स्थित इस मंदिर में काफी सीढिय़ा चढक़र जाना होता है। मंदिर में कई साईज के लिंग रखे हुए हैं जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है वह यदि लिंग को अपनी पीठ पर लादकर मंदिर की तीन परिक्रमा करती है तो संतान प्राप्ति की उनकी मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की प्रतिमायें हैं और बाहर लगभग 3 फुट ऊँचाई के लिंग की मूर्ति स्थापित है जिसकी पूजा की जाती है।
मंदिर परिसर में बौद्ध अनुयायी धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते रहते हैं। मंदिर दर्शन के लिये आने वाले श्रद्धालु यहाँ अपनी गाडिय़ां पार्क करते हैं वहाँ दुकानों पर लकड़ी के बने विभिन्न साइजों के लिंग और घरों की बाहरी दीवारों पर लटकाने या प्रदर्शित किये जाने वाले लिंग की मूर्तियां या शो पीस बेचे जाते हैं।
शेष कल