उज्जैन, अग्निपथ। नगर के प्राचीन व प्रसिद्ध भगवान श्री चिंतामन गणेश मंदिर में गुरुवार को नई दान पेटी लगाई गई। श्री चिंतामन गणेश मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक अभिषेक शर्मा ने बताया कि नायब तहसीलदार आलोक चौरे व पटवारी रानी पाटीदार ने नई दान पेटी का पूजन कर गर्भगृह के सामने स्थापित किया।
दान पेटी का पूजन के समय मंदिर के दोनों पुजारी पंडित शंकर गरु व पंडित गणेश गरु की उपस्थिति में पूजन कर भगवान चिंतामन गणेश के सामने गर्भ ग्रह के बाहर नई दान पेटी लगवाई गई।
मंदिर समिति प्रशासक अभिषेक शर्मा के मुताबिक मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसको ध्यान रखते हुए मंदिर की की व्यवस्था में भी दर्शनार्थियों की सुविधा लिए लगातार वृद्धि की जा रही है।

चिंतामन गणेश मंदिर का महत्व
उज्जैन शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान गणेश के तीन स्वरूपों- चिंतामण, इच्छामण और सिद्धिविनायक को समर्पित है।
माना जाता है कि यह मंदिर परमार काल (9वीं से 13वीं शताब्दी) में निर्मित हुआ था, और इसका जीर्णोद्धार महारानी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में किया गया था।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश की तीन प्रतिमाएं हैं:
1. चिंतामण गणेश: भक्तों की सभी चिंताओं को दूर करने वाले।
2. इच्छामण गणेश: भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले।
3. सिद्धिविनायक गणेश: भक्तों के सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाले।
भगवान राम ने वनवास के दौरान की थी स्थापना
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान सीता और लक्ष्मण के साथ इस स्थान पर गणेश जी की स्थापना की थी।
मंदिर के परिसर में एक लक्ष्मण कुंड (बावड़ी) भी है, जिसे लक्ष्मण जी द्वारा निर्मित माना जाता है।
चिंतामण गणेश मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को उनकी चिंताओं से मुक्ति, इच्छाओं की पूर्ति और कार्यों में सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
चिंतामन गणेश मंदिर के प्रमुख उत्सव
उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर में वर्ष में दो प्रमुख उत्सव मनाए जाते हैं:
1. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दशी तक: इस 10 दिवसीय उत्सव में भगवान गणेश को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाता है और श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया जाता है।
2. चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार: इस दौरान विशेष जत्रा का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त गणेश जी का आशीर्वाद लेने आते हैं।