अर्जुन के बाण : सिंहस्थ 2028 से पहले पुल का काम छोडक़र भागा ठेकेदार, छोड़ गया है यक्ष प्रश्न

सिंहस्थ 2028 पुल

अर्जुन सिंह चंदेल

आगामी सिंहस्थ 2028 के लिये उल्टी गिनती प्रारंभ हो गयी है, सन् 2025 के दो माह और मार्च के भी आज 8 दिन खत्म हो चुके हैंं। सन् 25-26-27 तीनों सालों के यदि वर्षाकाल के 3-3 माह भी माने तो 9 माह यह कम कर दीजिये। शेष 36 माह में से 9 माह कम कर दिये जाये तो मात्र 27 माह ही शेष बचते हैं।

महाराष्ट्र के नासिक में लगने वाला कुंभ मेला वर्ष 2027 में 17 जुलाई से 17 अगस्त तक चलेगा। नासिक का कुंभ समाप्त होते ही साधु, संत, बाबा लोग अपना डेरा तम्बू लेकर उज्जैन ही आयेंगे। स्थिति स्पष्ट है कि प्रशासन को हर हालत में सन् 2027 के अंत तक अपनी सारी योजनाओं को अमली जामा पहनाना होगा।

सिंहस्थ 2028 : मध्यप्रदेश सरकार की प्रतिष्ठा दाँव पर

सिंहस्थ 2028 इस बार दो बातों को लेकर महत्वपूर्ण हो चला है, पहली मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का यह गृहनगर है, दूसरी बात यह कि प्रयागराज कुंभ में भगदड़, यातायात प्रबंधन की असफलता के कारण धर्मालुओं को हुयी परेशानी से भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र व राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुयी, जिसके कारण सिंहस्थ 2028 के आयोजन को लेकर मध्यप्रदेश सरकार की प्रतिष्ठा दाँव पर है।

उज्जैन में चल रहे बहुत सारे कार्य मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के ‘ड्रीम्स प्रोजेक्ट’ हैं। चल रहे निर्माण कार्यों की गति अभी तक संतोषजनक नहीं कहीं जा सकती है।

फ्रीगंज को पुराने शहर से जोडऩे वाले ठाकुर शिवप्रताप सिंह सेतु के समानांतर बनने जा रहे ओव्हर ब्रिज के ठेकेदार का निर्माण कार्य शुरू करने के पहले ही छोड़ कर भाग जाने से शहरवासियों के माथे पर चिंता की लकरेंं आना स्वाभाविक ही है।

यक्ष प्रश्न

काम छोडक़र जाने वाला ठेकेदार नागरिकों के सामने कई यक्ष प्रश्न छोड़ गया है। वह कौनसी परिस्थितियां उत्पन्न कर दी गयी कि उसे काम छोडक़र जाना पड़ा? क्या सत्ता से जुड़े लोगों द्वारा उस पर ब्रिज निर्माण के दौरान उपयोग में ली जाने वाली सामग्री खरीदे जाने का अनैतिक दबाव था? क्या उससे कमीशन के रूप में अमर्यादित राशि माँगी जा रही थी? या फिर किसी अन्य तरह के दबाव थे जिसको वह सहन नहीं कर पाया और उसे ‘रणछोड़’ दास बनना पड़ा।

सिंहस्थ 2028 निर्माण कार्यों के लिये इसे अपशकुन माना जा रहा है, कारण यह कि अब फिर से निविदा निकाली जायेगी, फिर से मंजूरी, जिसमें कम से कम 4 से 5 माह का समय लगना मामूली बात है। ठेकेदार के कार्य छोडक़र जाने से पूरे देश के ठेकेदारों में यह संदेश भी गया कि ‘कुछ तो गड़बड़ है’ इसके कारण अच्छे ठेकेदार उज्जैन में निर्माण कार्यों में भाग लेने के पहले 10 बार सोचेंगे।

मोहनपुरा का पुल 9 सालों में भी अधूरा

पहले ही वर्ष 2016 से बन रहा मोहनपुरा का पुल 9 सालों में भी अधूरा है। उज्जैन को लेकर अभिशाप की कहानी में और भी कडिय़ां हैं, मंछामन में गरीबों के लिये निर्माणाधीन मल्टी स्टोरी, स्वर्ग सुंदरम टॉकीज के यहाँ बनने वाला शॉपिंग काम्प्लेक्स, कानीपुरा में प्रधानमंत्री आवास की मल्टी को बनाने वाले ठेकेदार भी काम अधूरा छोडक़र भाग चुके हैं।

सबक लें अधिकारी

पी.एच.ई. में कार्य करने वाली तापी कंपनी, शहरवासियों को चूना लगाकर रफूचक्कर हो चुकी है, टाटा कंपनी शहर को बदसूरत करने में कोई कोताही नहीं बरत रही है, टाटा कंपनी द्वारा बनाये चेम्बर जूना सोमवारिया क्षेत्र में अभी से ओव्हरफ्लो होने लगे हैं। कान्ह डायवर्शन योजना में लगे जनता के गाढ़े खून पसीने के 100 करोड़ डूब चुके हैं। इन सारी असफलताओं से प्रशासनिक अधिकारियों को सबक लेना चाहिये और प्रदेश के मुखिया को भी चौकन्ना रहना होगा।

जय महाकाल

Next Post

हत्या के मामले में खरगोश सहित तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा

Fri Mar 7 , 2025
इंदौर रोड स्थित शिवालय में 9 साल पहले सुपारी देकर की गई थी हत्या उज्जैन, अग्निपथ। नीलगंगा थाना क्षेत्र स्थित शिवालय में 9 साल पहले हुई हत्या के मामले में मुख्य आरोपी खरगोश सहित उसके तीन साथियों को न्यायालय ने आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपियों […]