महाकाल मंदिर में पुजारी वेश में घूम रहे लोगों पर अंकुश की पहल

प्रोटोकाल शिखर दर्शन ग्राउंड पर अगर बड़ी एलईडी लगा दी जाये तो बिना अनुमति के भी सैकड़ों लोग यहां से सहजतापूर्वक भस्मारती दर्शन कर सकते हैं।

अब पुजारी, पुरोहित, सेवक सभी पहचान पत्र लगाने के बाद ही घूम सकेंगे परिसर में

उज्जैन, अग्निपथ। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के पुजारी, पुरोहित, सेवक को अब पहचान पत्र लगाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलेगा। सभी को मंदिर प्रबंध समिति की ओर से पहचान पत्र दिए जाएंगे। यह सभी को पहनना जरूरी होगा, ताकि अन्य लोग पंडे-पुजारी के वेश में अंदर प्रवेश नहीं कर सकें। इसके अलावा प्रबंध समिति की ओर से तय समय में ही वे सेवाएं दे सकेंगे। उसके अतिरिक्त पाए जाने पर समिति नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने यह व्यवस्था बनाई है। समिति के अनुसार मंदिर की व्यवस्थाएं सुचारू बनाने के लिए समिति ने यह बदलाव किया है। मंदिर के अधिकृत पुजारी, पुरोहित और उनके सेवक पहचान पत्र धारण करेंगे तो श्रद्धालुओं को सुविधा होगी। साथ ही बिना पहचान पत्र के आने वाले सेवकों की पहचान करना भी आसान हो जाएगा।

इसी तरह मंदिर समिति की ओर से पुजारी, पुरोहित का समय तय किया जाएगा। उन्हें उसी समय में मंदिर में सेवाएं देना होगी। इसके अतिरिक्त वे मंदिर में केवल दर्शन के लिए आ सकेंगे। किसी भी प्रकार की सेवा के लिए नहीं।

पुजारी बनकर कर रहे हैं दर्शनार्थियों से ठगी

मंदिर में दर्शन और भस्मआरती की अनुमति के नाम पर श्रद्धालुओं से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। कई लोग पुजारी के वेश में मंदिर में घूमकर दर्शनार्थियों के साथ ठगी कर रहे हैं। हाल ही में पुणे से आई चार महिलाओं से दीपक वैष्णव नामक व्यक्ति ने 8500 रुपए ऑनलाइन जमा करवा लिए।

ऐसे में मंदिर के पुजारी, पुरोहित और सेवक के पहचान पत्र हो तो श्रद्धालुओं को यह पहचानने में सुविधा होगी कि वह मंदिर से संबंधित व्यक्ति है। किसी भी प्रकार की ठगी या धोखाधड़ी के मामले में श्रद्धालु संबंधित पहचान पत्र के आधार पर शिकायत भी कर सकेगा।

मंदिर में हैं 16 पुजारी और 22 पुरोहित

महाकालेश्वर मंदिर में 16 पुजारी 22 पुरोहित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर में वर्तमान में 16 पुजारी और 22 पुरोहित है। इसके अतिरिक्त उनके सेवक भी हैं, जो प्रतिदिन सेवाएं देते हैं। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से जारी पहचान पत्र धारण करने के बाद मंदिर में एकरूपता दिखाई देगी। समिति सदस्य का कहना है कि जब मंदिर के अफसर, कर्मचारी यहां तक कि निजी कंपनी के कर्मचारी पहचान पत्र धारण कर रहे हैं तो पुजारी, पुरोहित और सेवक के लिए इसे धारण करने में कोई परेशानी नहीं आना चाहिए।

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