अर्जुन के बाण : यमराज की तरह डरा रहा सड़क चौड़ीकरण के ‘लाल निशान’

सड़क चौड़ीकरण के ‘लाल निशान’

अर्जुन सिंह चंदेल

बीते कुछ दिनों से उज्जैन नगर निगम सीमा में रहने वाली 20 प्रतिशत आबादी की रातों की नींद और दिन का चैन गायब है। निगमकर्मियों द्वारा सड़क चौड़ीकरण कार्य के मद्देनजर घरों के अंदर लगाये गये ‘लाल निशान’ उन्हें दुष्टात्माओं से नजर आ रहे हैं। यह लाल निशान हर पल-हर घड़ी भवन स्वामियों को यमराज की तरह डरा रहे हैं, हर एक दिन बीतने के बाद परिवार का मुखिया राहत की साँस लेता है और परवरदिगार का शुक्रिया अदा करता है कि चलो आज का दिन गुजरा।

सड़क चौड़ीकरण की जद में आने वाले भयाक्रांत नागरिकों को पता है कि किसी भी दिन सरकार जेसीबी लाकर उनका आशियाना ढहा देगी और सिर पर से छत हटाकर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर कर देगी। जी हाँ शहर के जिन मार्गों का चौड़ीकरण होना है उनमें से कुछ भवन स्वामियों की यही स्थिति है। कुछ लोगों की तो पूरी की पूरी जीवन भर की कमाई बाप-दादाओं द्वारा बनाये गये मकान, सब कुछ स्वाहा हो रहा है।

सड़क चौड़ीकरण प्रशासन की मजबूरी

रविशंकर नगर जैसे मार्गों के चौड़ीकरण में तो नागरिकों के पास 5-7 फीट जगह ही बच रही है, जिसमें परिवार के लिये बाथरूम भी नहीं बनाया जा सकता। यह तो हुआ इस मुद्दे का एक पहलू, दूसरी ओर प्रकृति का नियम है कि बिना विनाश के विकास संभव नहीं है। किसी भी नगर, कस्बे के विकास के लिये सडक़ों का चौड़ीकरण अति आवश्यक है, मार्गों को चौड़ा किये बिना यातायात को सुगम नहीं बनाया जा सकता है और ना ही भीड़ का प्रबंधन किया जा सकता है।

शासन-प्रशासन की मजबूरी है कि आगामी 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ में करोड़ों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्थाएं दी जाय। आवागमन के लिये सड़क चौड़ीकरण किया जाना इसलिये जरूरी है ताकि वाहनों के कारण लगने वाले जाम की स्थिति को कम से कम किया जा सके।

शहर के विकास में भागीदारी हर भारतीय नागरिक का कत्र्तव्य है और इसके लिये त्याग करना भी जरूरी है। हम पूरी तरह से शासन के इस कार्य में सहभागी बनने और अच्छे नागरिक के नाते पूरी तरह साथ देना चाहते हैं। यह हुआ दूसरा पहलू, अब बात करते हैं सड़क चौड़ीकरण को लेकर नागरिकों के मन में उठ रहे अनेक प्रश्नों के जिनके जवाब शासन-प्रशासन, राजनीति में ऊँचे पदों पर बैठे लोगों द्वारा दिये जाने चाहिये।

प्रश्न नंबर 1 : उज्जैन जैसी पुरातन नगरी में जिन जगहों पर रोजाना जाम की स्थिति रहती है क्या उन मार्गों को चौड़ीकरण किया जाना आवश्यक नहीं है? उदाहरण के लिये लखेरवाड़ी, छोटा सराफा, कार्तिक चौक, पानदरीबा, नई पेठ, मदार गेट, व्यायामशाला की गली, पटनी बाजार, नलिया बाखल।

प्रश्न नंबर 2: शहर के प्रमुख चौराहों पर दिन भर में अनेक बार जाम लगता है देवासगेट, दौलतगंज, कंठाल, निकास चौराहा, तीन बत्ती क्या इन सभी चौराहों का चौड़ा करके बॉयी साइड की जगह को मुक्त नहीं किया जाना चाहिये?

प्रश्न नंबर 3: 12 साल में एक बार लगने वाले सिंहस्थ के मात्र दो माह के लिये मार्गों का चौड़ीकरण करने के पूर्व क्या उन मार्गों का फिजीबिलीटी सर्वे कराया गया है? ताकि पता चल सके चौड़ीकरण किये जाने वाले मार्गों पर दिन भर में कितने वाहन गुजर रहे हैं?

प्रश्न नंबर 4: मास्टर प्लान बनाते समय यह कैसी विसंगति छोड़ी गयी कि कंठाल से गोपाल मंदिर शहर का सबसे व्यस्ततम मार्ग मात्र 18 मीटर (60 फीट) और रविशंकर नगर वाला मार्ग 24 मीटर (80 फीट)। हम मानते हैं कि मास्टर प्लान के प्रकाशन पूर्व दावे-आपत्ति के समय किसी ने भी विरोध दर्ज नहीं किया जो कि किया जाना था।

प्रश्न नंबर 5: नागरिक कालियादेह गेट से इमली तिराहा तक के सड़क चौड़ीकरण की दुर्दशा देख चुके हैं और वहाँ के नागरिक दो वर्षों से आज तक परेशान है आज भी दिन में चार-पाँच बार दुर्घटनाएं हो रही हैं क्या ग्यारंटी है ऐसा हश्र इन चौड़ीकरण होने वाले मार्गों का नहीं होगा।

प्रश्न नंबर 6: केडी गेट से इमली तिराहा मार्ग चौड़ीकरण में बाधक बन रहा एक धार्मिक स्थल एक जनप्रतिनिधि और एक तात्कालीन प्रशासनिक अधिकारी के जाति मोह के कारण आज भी खड़ा होकर इठलाता हुआ अन्य हटाये गये धार्मिक स्थलों को अँगूठा दिखा रहा है। क्या प्रशासन को दूसरे मार्गों के सड़क चौड़ीकरण में बाधक बन रहे हैं धार्मिक स्थलों हटाने के पूर्व इसे नहीं हटाया जाना चाहिये?

प्रश्न नंबर 7: क्या प्रशासन ढाबा रोड पर 400 वर्ष पुरानी श्रीनाथ जी की हवेली की एक भी ईंट निकाल पायेगा? कंठाल-गोपाल मंदिर मार्ग पर सदियों पुराने सतीगेट, खड़े हनुमान को हाथ लगा पायेगा?

प्रश्न नंबर 8: वर्ष 2004 में देवासगेट-महाकाल मार्ग चौड़ीकरण के आज जो हालात है वह नगरवासियों के सामने है। मालीपुरा मार्ग पर बाहुबलियों के चौपहिया वाहन सडक़ पर खड़े हैं। सब्जी के बेतरतीब ठेले नाली से 15-20 फीट दूर बीच सडक़ पर खड़े होकर धंधा कर रहे हैं, कोई देखने-सुनने वाला नहीं है। ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’। यदि जिन सड़क चौड़ीकरण हो रहा है उनकी भी बाद में हालत मालीपुरा जैसी होने वाली है तो मत कीजिये चौड़ीकरण।

प्रश्न नंबर 9: सडक़ के मार्गों को एकांगी क्यों नहीं किया जा रहा है।

उम्मीद करते हैं सड़क चौड़ीकरण से संबंधित ऊपर उल्लेखित अनुतरित प्रश्नों के जवाब ढूंढने का प्रयास संबंधितों द्वारा जरूर किया जायेगा।

जय महाकाल

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