महाकाल मंदिर में दर्शन के नाम पर ठगी जारी

नंदी हॉल से भस्मारती दर्शन के नाम पर ले लिये साढ़े चार हजार रुपए, शिकायत के बाद लौटाए, मंदिर समिति भी गंभीरता से नहीं ले रही मामला

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ ठगी की घटनाएं जारी है। कुछ मामलों में मंदिर समिति द्वारा ढिलाई बरतने और कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण ऐसी घटनाओं को और बल मिल रहा हे। हाल ही में ऐसे ही मामले सामने आया है। जिसमें ठग द्वारा दर्शनार्थी के रुपए लौटाने के बाद मंदिर समिति द्वारा पुलिस कार्रवाई नहीं की गई।

पिछले दिनों मुंबई से आए मिलिंद दोषी और उनके साथी के साथ जीतू बैरागी नाम के व्यक्ति ने धोखाधड़ी की। जीतू ने भस्म आरती की अनुमति और नंदी हॉल में बैठने की व्यवस्था के लिए श्रद्धालुओं से 9 हजार रुपए मांगे। श्रद्धालुओं ने पहली किश्त के रूप में 4500 रुपए दे दिए। रात करीब ढाई बजे जब श्रद्धालु मंदिर पहुंचे, तो जीतू वहां नहीं मिला।

उसने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया। परेशान श्रद्धालुओं ने मंदिर के कंट्रोल रूम में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद संबंधित व्यक्ति ने श्रद्धालुओं के पैसे वापस कर दिए। मंदिर के शिकायत प्रकोष्ठ द्वारा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। मंदिर में ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। कई मामलों में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद दलाल अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। अधिकारियों की ओर से इस तरह के मामलों में कार्रवाई से बचने का रुख देखा जा रहा है।

महिला श्रद्धालु के साथ भी हो चुकी है 12 हजार की धोखाधड़ी

पिछले दिनों महाकाल दर्शन के लिए पश्चिम बंगाल से आई एक महिला दर्शनार्थी के साथ 12 हजार रुपए की ठगी की शिकायत ऑनलाइन की गई थी। शिकायत में महिला ने मंदिर के पुजारियों से जुड़े गोपाल त्रिवेदी व यश नामक युवकों पर भस्म आरती अनुमति कराने व वीआईपी दर्शन व पूजन के नाम पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।

इस मामले में भी केवल एक युवक पर प्रतिबंध की कार्यवाही करने की बात मंदिर प्रशासन कह रहा है। जबकि यह मामला भी आपराधिक बनता है और इसमें भी पुलिस कार्रवाई की आवश्यकता है।

समिति का दोहरा रुख : कुछ मामलों में एफआईआर, कई में कार्रवाई नहीं

श्री महाकाल मंदिर में होने वाले लेन-देन के कुछ मामलों में जांच तो कराई जाती है, लेकिन कुछ थाने तक नहीं पहुंचाये जाते है। मंदिर में एक मामला जनवरी में हुआ था जिसमें क्रिस्टल कंपनी के सुरक्षा गार्ड व सुपरवाइजर के बीच लेन-देन का वीडियो सामने आया था। उस समय के प्रशासक व एडीएम अनुकूल जैन ने पूरे मामले की जांच मंदिर की सुरक्षा प्रभारी प्लाटून कमांडर हेमलता पाटीदार को सौंपी थी।

उन्होंने जांच रिपोर्ट तैयार कर मंदिर प्रशासन को सौंप दी थी, लेकिन मंदिर प्रशासन ने दो महीने बाद भी जांच रिपोर्ट थाने नहीं पहुंचाई। वहीं, क्रिस्टल कंपनी द्वारा सुपरवाइजर व गार्डों को बचाने के लिए इनकी बैंक की डिटेल भी उपलब्ध नहीं कराई है।

अकसर दबा दी जाती हैं शिकायतें

श्री महाकालेश्वर मंदिर में रोज ही हजारों की संख्या में बाहरी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। सभी की कामना भस्म आरती दर्शन की होती है। ऐसे में बाहर के श्रद्धालुओं को दलाल फंसा लेते है और अनुमति बनवाने के साथ ही नंदी हाल में बैठाने और सहजता से दर्शन कराने के नाम पर मोटी राशि लेते हैं।

देखने में आया है कि कुछ मामलों में शिकायत लेने के बाद भी मंदिर प्रशासन की ओर से कोई एफआईआर की कार्यवाही नहीं होने से दलाल बेखौफ होकर श्रद्धालुओं को निशाना बनाते हैं। मंदिर से जुड़े कुछ लोग श्रद्धालुओं को ही पुलिस कार्यवाही में बार-बार उज्जैन आने का हवाला देकर श्रद्धालुओं को डराकर शिकायत नहीं कराई जाती है।

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