उज्जैन, अग्निपथ। सिंहस्थ २०२८ के लिए प्रशासन द्वारा किसानों की जमीन अधिग्रहित करने की योजना के विरोध में आंदोलनरत किसान मंगलवार को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्रपुरी महाराज से मिले और किसानों को संरक्षण देने की मांग की। वहीं किसानों से अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने भ्रमित नहीं होने और प्रशासन को सहयोग का कहा है।
प्रयागराज महाकुंभ के बाद उज्जैन पधारे अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज से किसान संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने निरंजनी अखाड़ा बडऩगर रोड पहुंचकर प्रयागराज महाकुंभ समापन और उसके सफलता पर रवींद्र पुरी महाराज का भव्य अभिनंदन किया। साथ ही मध्यप्रदेश सरकार, विकास प्राधिकरण उज्जैन, सिंहस्थ जिला एवं संभाग प्रशासन के द्वारा आगामी सिंहस्थ को लेकर लैंड पूलिंग योजना के संदर्भ में विस्तार से चर्चा कर अपना विरोध व्यक्त किया।
किसान संघर्ष समिति ने अपना लिखित ज्ञापन भी रवींद्र पुरी महाराज को सौंपा तथा रवींद्र पुरी महाराज से सरकार द्वारा लाई जा रही इस योजना में हस्तक्षेप कर किसानों का संरक्षण करने की मांग की। महाराजश्री ने सभी किसानों से लगभग 2 घंटे तक वन टू वन चर्चा कर इस संबंध में कोई बीच का मार्ग निकालने की बात किसानों से कहीं जिसमें किसानों का भी नुकसान ना हो और आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा भी प्रशासन कर सके।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने की किसानों से चर्चा
वहीं जिला प्रशासन द्वारा जारी समाचार में बताया गया कि मंगलवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी बडऩगर रोड पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष से मिलने आए विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारी और प्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें मेला क्षेत्र को लेकर बनाई गई योजना के बारे में बताने के साथ ही कहा कि आप लोगों को कुछ लोगों ने भ्रमित किया है, जबकि प्रशासन द्वारा जो योजना बनाई जा रही है उसमें किसानों का कोई अहित नहीं बल्कि फायदा ही है, मेला क्षेत्र में पक्की सडक़ें, सीवरेज नल की लाइन डल जाने से आने वाले समय में उनकी जमीनों के उपयोग में ही आएगी, साथ ही जमीनों के भाव भी उनके अनुसार हो जाएंगे।
उन्होंने बताया कि सिहस्थ महाकुंभ के बाद मेला क्षेत्र के स्थाई स्वरूप के होने से कई संत महंतों, महामंडलेश्वरो के आश्रम आदि बनने से उज्जैन का आर्थिक विकास भी होगा। जिस प्रकार से महाकाल महालोक बनने के बाद उज्जैन में श्रद्धालुओं की जो संख्या बड़ी उससे विभिन्न प्रकार के रोजगार शुरू हो गए हैं, ऐसा ही मेला क्षेत्र के स्थाई स्वरूप के होने से भी होगा।
जिस प्रकार से हरिद्वार में वर्ष भर श्रद्धालु बने रहते हैं वह स्थिति भी जल्दी ही उज्जैन में आएगी, इससे ना केवल किसानों को फायदा होगा बल्कि शहर के विभिन्न व्यापारी वर्ग को भी लाभ होगा। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने किसानों कहा कि सरकार उन्हें मुआवजा भी दे रही है इसको लेकर भी उनकी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से चर्चा हुई है, उन्होंने भी साधु संतों और अखाड़ा परिषद को बताया है कि किसानों का अहित नहीं होने दिया जा रहा है जबकि जो जमीन ली जाए उसका मुआवजा देंगे जो नियम अनुसार है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने सभी किसान संगठनों से आग्रह किया कि वह किसी भी प्रकार के आंदोलन, जलसा, प्रदर्शन से पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों से बैठकर चर्चा करें और मेला क्षेत्र में निर्माण कार्य आदि शुरू होने दें। उज्जैन आध्यात्मिक और हरिद्वार की तर्ज पर धार्मिक नगरी स्थाई स्वरूप की बने इसको लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ही मध्य प्रदेश सरकार से मांग की थी उनकी मांग पर ही मेला क्षेत्र में कार्य हो रहा है।
साथ ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा कि किसानों ने चर्चा के दौरान जो कुछ बिंदु बताएं हैं उस पर भी विचार कर प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।
ये किसान पहुंचे थे अध्यक्ष से मिलने
किसानों के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व विधायक महंत राजेंद्र भारती, पूर्व बार अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी, भाजपा नेता सुरेंद्र सांखला, मानाजी राव आंग्रे, गोविंद शर्मा दादा, तोलाराम पटेल, रामेश्वर पटेल, आशुतोष उपाध्याय, ललित मीणा, वीरेंद्र त्रिवेदी, प्रमोद भदोरिया, माखन सिंह अंजना, जीवनसिंह पटेल, बृजेश पाल, नीलेंद्र जोशी, शंकर परमार, राजेंद्र राठौड़, संजय मदनपुरिया, पवन गौड, रत्नेश परमार, अमृतेश त्रिवेदी, रमेश द्विवेदी आदि बड़ी संख्या में किसानजन उपस्थित रहे।
पुन: होगी मुलाकात
किसान संगठन समिति की 12 मार्च को प्रात: 10 बजे गायत्री मंदिर मुरलीपुरा पर पुन: बड़ी बैठक होगी जिसमें आगामी कार्य योजना तैयार की जावेगी। इस बैठक में सभी किसान प्रतिनिधियों ने सभी प्रभावित किसानों से उपस्थित होने का आह्वान किया है।