महाकाल के आंगन में 13 की शाम होलिका दहन

श्रद्धालु रंग-गुलाल नहीं ले जा सकेंगे अंदर, सभी प्रवेश द्वार पर नोटिस लगे, कड़ी चैकिंग शुरू

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज 13 मार्च को होलिका दहन होगा। 14 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। लेकिन इस दौरान रंग-गुलाल नहीं उड़ेगा। प्रबंध समिति द्वारा मंदिर के सभी प्रवेश व निर्गम द्वारों पर मंदिर में 13 मार्च व 14 मार्च 2025 के होली उत्सव व 19 मार्च 2025 पर होने वाले रंगपंचमी उत्सव में रंग, गुलाल व कलर गन आदि सामग्री को प्रतिबंधित किये जाने से संबंधित सूचना के नोटिस बोर्ड लगाये हैं।

होलिका महोत्सव मे गर्भगृह, नंदी मण्डपम्, गणेश मण्डपम् , कार्तिकेय मण्डपम् एवं सम्पूर्ण मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल इत्यादि ले जाना, रंग-गुलाल उड़ाया जाना, आपस में रंग-गुलाल लगाना, किसी विशेष उपकरण का उपयोग कर रंग इत्यादि उड़ाना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मंदिर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल व अन्य कोई विशेष उपकरण लेकर प्रवेश नही कर सकेगें। श्रद्धालुओ को जाँच उपरान्त ही मंदिर में प्रवेश दिया जावेगा।

कैमरे से होगी निगरानी, प्रवेश द्वारों पर कड़ी चैकिंग

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के कंट्रोल रूम में तैनात अधिकारी व कर्मचारी द्वारा कैमरों के माध्यम से मंदिर के समस्त द्वारों एवं सम्पूर्ण मंदिर परिसर परिक्षेत्र की सतत निगरानी रखने के निर्देश दिये गये हैं। समस्त द्वारों पर तैनात कर्मचारी एवं सुरक्षाकर्मी यह सुनिश्चित करेंगे कि मंदिर में रंग-गुलाल लेकर कोई भी प्रवेश न कर सके इस हेतु श्रद्धालुओं की जाँच करने के उपरांत ही मंदिर में प्रवेश दिया जावेगा।

आज शाम संध्या आरती में गुलाल अर्पित करने के बाद होलिका दहन

13 मार्च की संध्या आरती में भगवान महाकालेश्वर को हर्बल-गुलाल अर्पित करने के साथ शकर की माला चढ़ाई जाएगी। आरती के बाद महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होलिका का विधिवत पूजन-अर्चन किया जाकर होलिका दहन किया जाएगा। 14 मार्च धुलेंडी के दिन सुबह 4 बजे भस्मआरती में श्री महाकालेश्वर को मंदिर से पुजारी-पुरोहित हर्बल-गुलाल अर्पित करेंगे। मंदिर में होली और रंगपंचमी पर्व के अवसर पर टेसू (पलाश) के फूलों से बनाए हर्बल रंग का उपयोग किया जाएगा और मंदिर परिसर में बाहर से रंग लाना प्रतिबंधित रहेगा।

कल से शुरू होगा शीतल जल से स्नान

कार्तिक पूर्णिमा से ठंड का मौसम की शुुरुआत होने से उन्हें भस्मआरती में गर्म जल अर्पित किया जा रहा है। अब फिर से गर्मी बढऩे से फाल्गुन पूर्णिमा से भगवान महाकाल को ठंडा जल अर्पित करेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि 15 मार्च से ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर भगवान की आरतियों के समय में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक परिवर्तन होगा।

पिछले साल गर्भगृह में गुलाल उड़ाने के दौरान भडक़ गई थी आग

पिछले साल धुलेंडी की सुबह भस्म आरती के दौरान लगी गुलाल उड़ाने के बाद आग भडक़ गई थी। इस कारण महाकाल मंदिर में क्विंटलों से रंग गुलाल ले जाने वाले भक्त, पंडे-पुजारी, कर्मचारियों को इस बार मंदिर में खाली हाथ जाना होगा। अनहोनी से बचने के लिए होली की शाम संध्या आरती में भी मंदिर समिति पुजारी को सीमित मात्रा में गुलाल उपलब्ध करवाएगी।

महाकालेश्वर मंदिर में पिछले साल धुलेंडी के दिन सुबह 5.49 बजे भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में आग लगने से पुजारी समेत 14 लोग झुलस गए थे।घायलों में पुजारी, सेवक और गर्भगृह निरीक्षक सहित 14 लोगों को इंदौर रेफर किया गया था। आग से झुलसे सेवक सत्यनारायण सोनी (80) की 30 प्रतिशत से अधिक जलने के चलते मौत हो गई थी।

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