विक्रम संवत की गणना सबसे सटिक, देशभर में लागू करना चाहिए

वैदिक घड़ी

उज्जैन में जुटे यूक्रेन-नेपाल समेत कई राज्यों के विद्वानों ने उठाई मांग

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें यूक्रेन-नेपाल सहित देश भर से आए विद्वानों ने एक स्वर में माना कि भारत में विक्रम संवत को ही पूरी तरह से मान्यता मिलना चाहिए। देश में करीब २५ तरह के संवत्सर चल रहे हैं लेकिन सबसे सटीक विक्रम संवत्सर है। भारत में संवत परंपरा के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए इस निष्कर्ष पर सहमति जताई कि भारत में कालगणना के लिए विक्रम संवत्सर को राष्ट्रीय वर्ष के रूप में मान्यता प्रदान की जानी चाहिए।

संवत् परंपरा वैशिष्ट्य एवं प्रमाण विषय पर चर्चा

दरअसल, उज्जैन में विक्रमोत्सव चल रहा है। जिसके तहत शनिवार को महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ ने महर्षि पाणिनि संस्कृत और वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें भारत में संवत् परंपरा वैशिष्ट्य एवं प्रमाण विषय पर चर्चा की गई। संगोष्ठी में यूक्रेन, नेपाल के वक्ता शामिल हुए। वहीं, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली के अलावा मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, दतिया के ज्योतिष विद्वानों ने संबोधन दिया।

दिन-महीनों के नाम अलग-अलग मिलते हैं

यूक्रेन की विदुषी ने ईसा पूर्व प्राचीन यूक्रेनियन कैलेंडर एवं वैदिक संवत्सर की तुलना की। कहा- यूक्रेनियन कैलेंडर और वैदिक संवत्सर में मूल रूप से कृषि, वर्षानुमान, अच्छी फसल की कामना, सुख-समृद्धि के लिए की गई है। जिनमें नक्षत्र, तिथि, राशि के साथ दिन और महीनों के नाम अलग-अलग मिलते हैं। डोंगला वैधशाला के प्रकल्प अधिकारी घनश्याम रत्नानी के कहा- विक्रम संवत को पुर्नस्थापित करना है, विक्रम पंचांग की वैज्ञानिक परम्परा को लागू करना चाहिए। इसकी तिथि की गणना सूर्य और चंद्र को लेकर है और ये बहुत ही सटीक मानी गई है। शासन की और से मान्यता नहीं मिली है। शक संवत गुलामी का प्रतिक है, विक्रम संवत को लागू करना चाहिए।

विक्रम संवत से शक संवत में १३५ वर्षों का अंतर

जयपुर केंद्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय से आए सुभाष चंद्र मिश्र ने कहा कि वैदिक परंपरा के अनुसार गणना होना चाहिए। भारत में २५ तरह के संवत है। विक्रम संवत से शक संवत के बीच १३५ वर्षों का अंतर है, विक्रम संवत सबसे सटीक है।

विक्रमोत्सव-२०२५ कार्यक्रम मे रोजगार परख कार्यशाला का आयोजन होगा

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रमोत्सव-२०२५ कार्यक्रम अंतर्गत दिनांक १६ मार्च २०२५ को ग्रामीण आजीविका हाट बाजार उज्जैन में हस्तशिल्प अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में हस्तशिल्प विभाग उज्जैन द्वारा विभिन्न कलाओ की दो दिवसीय वर्कशॉप प्रात: ११.०० बजे से सांय ०४.०० बजे तक आयोजित की जायेगी, जिसमे झाडू शिल्प, बटिक प्रिंट, मांडना, पत्थरशिल्प आदि, शिल्पियो के प्रोत्साहन हेतु कार्यशालाओं के माध्यम से उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं, उक्त प्रयासों से शिल्पकारों को प्रोत्साहन व उनकी कला को नई ऊँचाईया मिलेगी एवं आजीविका में सुधार करने की कोशिश की जा रही हैं। उक्त वर्कशॉप में ग्वालियर एवं जबलपुर जिले के कलाकार भी उपस्थित रहेंगे।

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