सीएम की नाव में चुनरी फंसी तो अफसरों की सांस अटकी

जानकारों का कहना यह अपशकुन नहीं, मानवीय त्रुटि- अफसर पूजन व्यवस्था शास्त्रोक्तकरें

उज्जैन, अग्निपथ। प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ गुड़ी पड़वा पर एक ऐसी घटना हो गई जो सुरक्षा में चूक तो है लेकिन राजनीतिक जानकार इसे अपशकुन भी मानकर चल रहे हैं। क्योंकि घटना मां शिप्रा की गोद में हुई है जो बरसो से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं। हालांकि विद्वान इस घटना को मानवीय त्रुटि बताते हैं।

गुड़ी पड़वा पर ३० मार्च को सीएम डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में कई धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लिया और शहर को तमाम ऐतिहासिक सौगातें दी। उन्होंने विक्रम संवत के नूतन वर्ष की शुरुआत भी मां शिप्रा के किनारे सूर्यदेव को अघ्र्य देकर की। इसी दौरान उन्हों ने शिप्रा पूजन किया और मां शिप्रा को चुनरी अर्पित की।

इसके बाद वे जब नौका विहार पर निकले तो जो चुनरी उन्होंने मां शिप्रा को अर्पित की थी, वो उनकी वोट में फंस गई। उस वक्त वोट में सीएम के अलावा उज्जैन शहर के प्रमुख जनप्रतिनिधि भी शामिल थे। इस घटना से सीएम काफी नाराज हो गये और जिम्मेदार अफसरों पर जमकर नाराजगी भी जाहिर की। हालांकि तुरंत ही गलती सुधार ली गई और सीएम की नाव विहार पर निकल गई। लेकिन इस घटना के बाद सीएम की सुरक्षा में चूक होने से वरिष्ठ अधिकारियों की सांसे जरूर अटक गई।

नाराज है मां शिप्रा, जिम्मेदारों पर जताया गुस्सा

इस घटना को राजनीतिक जानकारी अपशकुन के रूप में ले रहे हैं और दबी जुबान यह भी कह रहे हैं मां शिप्रा अपनी दुर्दशा को लेकर नाराज है और जिम्मेदारों के प्रति इस तरह अपनी नाराजगी जाहिर की।

क्योंकि गुड़ी पड़वा पर प्रशासन ने भले ही नर्मदा का साफ पानी शिप्रा में लाने का दावा किया हो लेकिन नालों का मलमूत्र, होटल-कॉलोनियों का ड्रेनेज और इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का गंदा पानी अभी भी शिप्रा में मिल रहा है जिस कारण शिप्रा का पानी गुड़ी पड़वा के दिन भी बुरी तरह बदबू मार रहा था। रात को विक्रम उत्सव के कार्यक्रम में पहुंचा जन समुदाय भी शिप्रा के बदबूदार पानी से बेहाल था।

यह मानवीय त्रुटि, लेकिन जिम्मेदार पूजन की व्यवस्था विधानपूर्वक करें

इस घटना के बारे मेें शहर के विद्वान पं. अमर डिब्बावाला का कहना है कि इसे मानवीय त्रुटि के रूप मेें लिया जाना चाहिए। जैसे पूजन के समय अगर दीपक से कपड़े में आग लग गये या फिर पूजन की थाली गिर जाये तो इसे कई लोग अपशकुन मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ मानवीय त्रुटि है, अपशकुन नहीं है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को पूजन संबध्ंाी कार्यक्रमों में शास्त्रोक्त विधान से व्यवस्थाएं जरूर करना चाहिए।

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