काली पट्टी बांधकर अदा की ईद की नमाज

नागदा, अग्निपथ। ईद पर मुस्लिम समाजजनों ने परंपरागत रुप से मनाई, मुख्य नमाज ईदगाह मस्जिद में शहर काजी ने अदा कराई। उन्होंने कहा कि सकारात्मक ऊर्जा के साथ देश के तरक्की में सहयोग करने, बच्चो की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने। वक्फ बिल के विरोध में देशव्यापी आह्वान के तहत मुस्लिम समाजजनों ने काली पट्टी बांध कर नमाज अदा की। चंबल मार्ग पर दिनभर मेले जैसे माहौल दिखाई दिया। सुरक्षा के लिए शहर के प्रमुख चौराहों एवं मुख्य मार्गो पर पुलिस बल तैनात रहा।

ईद के अवसर पर शहर की मस्जिदों में सामुहिक रुप से नमाज अदा कर अमन, चैन एवं भाईचारे की दूआ की गई। मुख्य नमाज ईदगाह में शहर काजी ने अदा कराई। जामा मस्जिद में पेश ईमाम इलियास साहब ने नमाज अदा कराई, इसी तरह शहर की सभी मस्जिदों में अलग अलग समय में नमाज अदा की गई।

मुस्लिम समाजजनों ने वक्फ बिल में संशोधन के विरोध में बाजु पर काली पट्टी बांधी। इसके अलावा शहीदाना मस्जिद, गोसिया मस्जिद, मदीना मस्जिद, जामा मस्जिद, चेतनपुरा मस्जिद, पाल्यारोड़ मस्जिद, बस स्टेंड मस्जिद, जनता केमिकल के पास वाली मस्जिद, नूरानी मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों में लगभग 40 हजार से अधिक मुस्लिम समाजजनों ने नमाज अता कर अमन चैन एवं भाईचारें के लिए विशेष दुआ की।

पूर्व विधायक दिलीपङ्क्षसह गुर्जर, बाबुलाल गुर्जर, राधे जायसवाल, पार्षद विशाल गुर्जर, अब्दुल शरीफ, प्रमोदसिंह चौहान, जगदीश मिमरोट मुस्लिमसमाजजनों को पर्व की शुभकामनाएं देने के लिए पहुंचे। नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर पर्व की बधाई देते हुए नजर आए, वहीं चंबल मार्ग पर मेले जैसा माहौल दिखाई दिया, दिनभर बच्चों ने झुले, चकरी सहित अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों के आनंद लेते नजर आएंगे। ईद की नमाज से पहले गरीबों और जरुरतमंदों को अदा की जाने वाली फितरे की रकम भी सहाबे हैसियत लोगों ने अदा किया। सुरक्षा के लिए एएसपी मयूर खंडेलवाल दिनभर शहर में रहे।

रोजो के इनाम का दिन हैं ईदुल फितर

रमजान माह के रोजों के इनाम का दिन ईद उल फितर हैं। इसके अल्लाह ने खुशी का इजहार करने के लिए अता किया हैं। ईद के मायने उस खुशी से है जो बार बार लौटकर आती है यह इस्लामी खुशी हैं और इसीलिए इसे मानने का तरीका भी इस्लामी हैं। यह वजह हैं कि इसे बनाने के लिए दो रकात नमाज जायद छ: तकवीरों के मुकर्रर की गई हैं इसका पैगाम यह हैं कि मुसलमान को खुशी या गमी के अंदर कभी भी इस्लाम के दायरे से बाहर नहीं जाना चाहिए। ईद की खुशी जाहिरा यानि सामने चेहरे पर दिखाई देनी चाहिए और जातिनी यानी दिल में भी महसूस होना चाहिए। रमजान के रोजो रखने के बाद जो मोमिन ईदगाह जाता हैं उसकी दुआ और तौबा बारगाहे इलाही में कुबूल होती हैं।

मेहमान नवाजी का दिन

इस्लामी रिवायत में ईदुल फितर को मेहमान नवाजी का दिन बताया गया हैं। इसलिए मेहमाननवाजी के इंतजाम जोर शोर से किए जाते हैं। एक दिन पहले ही सिवाईयां, फैनी, चावल, शक्कर घी और सूखे मेवों का इंतजाम कर लिया जाता हैं ताकि मेहमानों का इस्तकबाल सिवाईयां और शीरे खोरेमे के साथ किया जा सके।

खैनी की नई श्रृंखला आई बाजार में

शहर की किराने की दूकानों पर सिंवाए एवं खैनी आकर्षक रुप में दिखाई देने लगी है। किराना व्यापारी मंसुर भाई बोहरा व दशरथ राठौर ने संयुक्त रुप से बताया कि इस बार ईद पर्व के लिए विशेष क्वालिटी एवं आकर्षक रुप में खैनी लेकर आए है जो लोगों के आकर्षक का केंद्र बनी हुई हैं। कुछ ऐसा ही कहना है किराना व्यापारी बुरहान मेमुन का, उन्होंने बताया कि इस बार सिरखुर्मे की नई श्रंृखला लेकर आए है ताकि ग्राहकों को पारम्परिक व्यवस्था के साथ साथ इस बार नई चीजों का स्वाद मिल सके।

शाम होते है मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में समोस, टिकिया, कबाब सहित अन्य व्यंजनों की दूकानों पर ग्राहकों की खासी भीड़ दिखाई दे रही हैं तो फल विक्रेताओं को यहां भी कुछ इसी तरह की स्थिति बनी हुई हैं।

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