मुंबई में आज रिपब्लिक टी.वी. के संपादक अर्नब गोस्वामी को सी.आई.डी. महाराष्ट्र द्वारा लोअर परेल स्थित उनके निवास से गिरफ्तार कर लिये जाने पर भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र में शासन में बैठी शिवसेना आमने-सामने है। भाजपा नेता इस गिरफ्तारी को प्रजातंत्र की हत्या बता रहे हैं। यदि यही भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार में होती तो इसे उचित ठहराने का प्रयास करती और तब काँग्रेसी विरोध का सुर अलापते खैर नागरिकों पर राजनैतिक दलों के ऐसे बयानों का असर अब नहीं होता है। वैसे तो रिपब्लिक टी.वी. पर अपशकुनों की शुरुआत तो मई 2020 में ही हो गई थी जब काँग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अनर्गल टिप्पणी के मामले में देश भर में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी तब अर्नब ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी और बमुश्किल गिरफ्तारी से बच पाये थे।
उसके बाद सुशांत आत्महत मामले में अर्नब गोस्वामी ने जिस तरह से इसे रंग देने की कोशिश की वह पूरे देश ने देखा और चैनलों पर इस तरह की अमर्यादित भाषा का प्रयोग होते देखकर पूरा मीडिया जगत शर्मसार हुआ। रिया चक्रवर्ती के लिये तो हत्यारिन जैसे शब्दों का उपयोग किया जिसे किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ को वैसे तो संविधान में कोई अधिकार नहीं है परंतु स्वतंत्रता के अधिकार का यह मतलब कदापि नहीं हो सकता है कि मीडिया अपनी मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा को लांघें। दूरदर्शन चैनल जनसंचार का एक बहुत बड़ा माध्यम है इन पर दिखाये जाने वाली सामग्री से तो समाज में स्पंनदन होता है। जनसंचार के इस सशक्त माध्यम का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ रिपब्लिक टी.वी. ने अपनी मर्यादाओं का पालन नहीं किया है। इसके पश्चात फर्जी टी.आर.पी. कांड में भी रिपब्लिक टी.वी. पर गंभीर आरोप लगे और यह धोखाधड़ी भारतीय दूरदर्शन के करोड़ों दर्शकों और विज्ञापनदाताओं के साथ की गई। और अब जो ताजा मामला सामने आया है वह तो बहुत ही गंभीर मामला है इसका प्रेस की आजादी पर कुठाराघात से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ अर्नब गोस्वामी का निजी मामला है।
इस मामले की शुरुआत मई 2018 में हुई थी। मुंबई के समीप अलीबाग के तालुका के कावीर गाँव में एक निजी फार्म हाऊस के प्रथम तल से 53 वर्षीय आर्टिटेक्ट अन्वय नाईक की और भूतल से अन्वय नाईक की माँ श्रीमती कुमुद नाईक की लाश अलीबाग पुलिस ने बरामद की थी। जाँच पड़ताल में पुलिस को फार्म हाऊस से एक सुसाईड नोट भी मिला जो कि अन्वय नाईक द्वारा लिखा गया था जिसमें उल्लेख था कि उनकी कंपनी कॉनकॉर्ड डिजाईन प्रायवेट लिमिटेड द्वारा मुंबई स्थित कंपनी आईकास्ट एक्स से 83 लाख, स्कीमीडिया के फिरोज शेख से 4 करोड़ और स्मार्ट वत्र्थ के नीतेश सरदा से 55 लाख रुपये लेना है इन सबके पीछे के सूत्रधार अर्नब गोस्वामी ने रिपब्लिक नेटवर्क के लिये नाईक की कंपनी ने स्टुडियो का निर्माण किया था। कॉनकॉर्ड डिजाईन से कार्य करवाने के बाद अर्नब गोस्वामी बकाया 5 करोड़ 40 लाख का भुगतान नहीं कर रहे थे और जब अन्वय नाईक शेष रकम माँगते थे तो उन्हें डराया-धमकाया भी जाता था इस कारण परेशान होकर वह अपनी माँ सहित जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं।
अन्वय नाईक द्वारा मृत्यु पूर्व लिखे गये सुसाईड नोट के आधार पर अलीबाग पुलिस ने उसमें उल्लेखित फिरोज शेख, नीतेश सरदा और अर्नब गोस्वामी के विरुद्ध आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में भारतीय दंड विधान की धारा 306 के तहत अपराध पंजीकृत किया था। दो वर्षों तक मामला ठंडे बस्ते में रहा मई 2020 में अन्वय नाईक की पत्नी 48 वर्षीय अक्षता नाईक और उनकी पुत्री अदन्या नाईक ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र लिखकर अपने पिता की आत्महत्या के दोषी लोगों पर कार्यवाही की माँग की थी इसके बाद महाराष्ट्र प्रशासन हरकत में आया और जाँच के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जिनमें अर्नब गोस्वामी एक है। जिसके घर का चिराग बुझा हो उसकी पीड़ा उस घर की विधवा पत्नी और अनाथ बेटी ही समझ सकती है जिसके सिर पर से पिता का साया हट गया हो। इस कार्यवाही से न्याय के प्रति सम्मान बढऩा स्वाभाविक है और आरोपी कितना ही रसूखदार क्यों ना हो कानून से ऊपर नहीं है। इस देश ने कई मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को जेल के सीखचों में बंद देखा है जिससे संविधान और न्याय पालिका के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है। यदि महाराष्ट्र पुलिस कानून के दायरे से बाहर आकर अर्नब गोस्वामी े साथ दुर्भावनावश दुव्र्यवहार या गैर कानूनी तरीके से पेश आती है तो हम उसकी निंदा करते हैं।