धार, अग्निपथ। वन क्षेत्र में सडक़ निर्माण के लिए विभाग की मंजूरी के बाद भी ठेकेदार से 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार रेंजर वैभव उपाध्याय को वन विद्यालय झाबुआ में अटैच कर दिया गया है। शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र के माध्यम से निहित प्रावधान में वैभव उपाध्याय, वनक्षेत्रपाल वन परिक्षेत्राधिकारी बाग की जांच प्रभावित न हो। इसके लिए स्थानीय व्यवस्था अंतर्गत अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक पदस्थिति वन विद्यालय झाबुआ, सामान्य वनमंडल झाबुआ किया गया है।
दरअसल, धार वन मंडल की बाग रेंज में रेंजर वैभव उपाध्याय को लोकायुक्त ने 1 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा है। बाग तहसील में आदिवासियों के टोली मंजरों के लिए बन रही 3 किमी लंबी सडक़ जो वनभूमि की जगह से गुजर रही है। सडक़ पर खुद के लिए रिश्वत के रूप में टैक्स लगा दिया इस रोड से जनता और सरकार को कोई आपत्ति नही थी बस रेंजर सहाब को अपने चांदी काटने से इसलिए सडक़ का काम बार-बार रुकवा रहे थे। और लागत का 3 फीसदी कमीशन देने की मांग ठेकेदार जितेंद्र वास्केल से की।
जिसकी एवज मे 96 हजार की रिश्वत रेंजर ले चुका था। 2 लाख रुपए की डिमांड और कर रहा था। उसके बाद परेशान ठेकेदार ने शिकायत की थी। जिसके बाद इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई करते उपाध्यय को रंगे हाथों रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
महू में भी वनभूमि बेच दी थी:
रेंजर उपाध्याय ने महू के गांव आशापुरा में 4-5 हेक्टेयर वनभूमि भी बिकवाने में मदद की थी। रेंजर ने अपने चार-पांच दोस्तों की एक संस्था बनाकर जमीन उनके नाम करवाने में मदद की। फिर संस्था सदस्यों ने यह जमीन अलग-अलग लोगों के नाम रजिस्ट्री कर दी। शिकायत डीएफओ, मुख्य वन संरक्षक से की गई।
इस जमीन पर फार्म हाउस, खेती का काम किया जा रहा है। तीन से चार करोड़ रुपए में जंगल की यह जमीन बेची गई थी। वही जिसके बाद सस्पेंड किए गए और साहब भोपाल जाना पड़ा। उसके बाद बाग रेंज के रेजर बनकर आये और गरीब गाँव तक सडक़ बने के पैसे मांगे। रेंजर उपाध्याय के कही कारनामे है जिसके कारण भी वह सुर्खियों में रहते हैं। वही पिछले दिनों बाग पदस्थ में एक तेंदुए की मौत हुई वह भी इनकी रेंज है। जिसको लेकर इनको नोटिस भी मिला था। वह तेंदुए की मौत के बाद टीम बनाई जिसमे सरदारपुर एसडीओ जांच कर रहे हैं।